Aligarh Municipal Corporation: अलीगढ़ में डलावघर बने खाली प्लाट, नहीं तलाश सकी जांच समिति
शहर में डलावघर बने खाली प्लाटों को तलाशने आैर उन्हें सूचीबद्ध करने के लिए तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गई थी। निर्देश थे कि वार्ड स्तर पर ऐसे प्लाट तलाश कर तीन दिन में रिपोर्ट दी जाए। जांच समिति एक प्लाट न तलाश सकी।
अलीगढ़, जेएनएन। शहर में डलावघर बने खाली प्लाटों को तलाशने आैर उन्हें सूचीबद्ध करने के लिए तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गई थी। निर्देश थे कि वार्ड स्तर पर ऐसे प्लाट तलाश कर तीन दिन में रिपोर्ट दी जाए। डेढ़ हफ्ता बीत चुका है, लेकिन जांच समिति एक प्लाट न तलाश सकी। इस बीच जांच समिति के अध्यक्ष का तबादला भी हो गया।
कूड़े में समाए बोर्ड
तमाम ऐसे प्लाट हैं, जिन्हें खरीद कर यूंही छोड़ दिया गया है। ये प्लाट डलावघर बन चुके हैं। क्षेत्रीय लोग इन्हीं प्लाटों में कूड़ा डाल देते हैं। कभी कभार तो सफाई कर्मचारी है कचरा फैंक आते हैं। यही नहीं, प्लाट की बाउंड्री न होने से सड़क, नालियां क्षतिग्रस्त हाे रही हैं। पिछले साल तत्कालीन नगर आयुक्त सत्यप्रकाश पटेल ने ऐसे प्लाट चिह्नित कराकर इन्हें नगर निगम की संपत्ति घोषित कर बोर्ड लगवा दिए थे। लेकिन फिर यहां नजर नहीं डाली। कई बोर्ड उखाड़ दिए गए तो कई कूड़े में समा गए। मौजूदा नगर आयुक्त ने पुन: ऐसे प्लाट स्वामियों पर कार्रवाई का मन बनाया। सहायक नगर आयुक्त रहे राजबहादुर सिंह की अगुवाई में तीन सदस्यीय जांच समिति बना दी। इस समिति को एक प्रारूप देकर वार्ड स्तर पर खाली प्लाटों की संख्या, नगर निगम द्वारा अब तक की कार्रवाई, प्लाट स्वामी का नाम, पता आदि ब्यौरा जुटाने की जिम्मेदारी दी गई। तीन दिन में आख्या देनी थी। ब्यौरा मिलने के बाद नोटिस व जुर्माने की कार्रवाई होनी थी। डेढ़ हफ्ता बीत चुका है, अभी जांच तक शुरू नहीं हो सकी। सहायक नगर आयुक्त का मुरादाबाद स्थानांतरण हो गया। प्लाट स्वामी यह सोचकर गंभीरता नहीं बरत रहे कि नगर निगम की कथनी और करनी में अंतर है। शायद यही वजह है कि नगर आयुक्त के कड़े निर्देश के बाद भी डलावघर बने प्लाटों में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला।