Injustice of Corona period: स्वजन ने की लापरवाही तो जवाबदेही बनेगी बच्चों की, जानिए मामला

लापरवाही करने की सजा उसी व्यक्ति को मिले जिसने लापरवाही की है तो ये न्यायसंगत लगता है। मगर कोरोना संक्रमण पहले ही देश समेत पूरी दुनिया को अपनी क्रूरता से हिला चुका है। ऐसे में कोरोना काल के चलते नई व्यवस्था भी बन रही है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 03:55 PM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 03:55 PM (IST)
Injustice of Corona period: स्वजन ने की लापरवाही तो जवाबदेही बनेगी बच्चों की, जानिए मामला
कोरोना संक्रमण पहले ही देश समेत पूरी दुनिया को अपनी क्रूरता से हिला चुका है।

अलीगढ़, जेएनएन। लापरवाही करने की सजा उसी व्यक्ति को मिले जिसने लापरवाही की है, तो ये न्यायसंगत लगता है। मगर कोरोना संक्रमण पहले ही देश समेत पूरी दुनिया को अपनी क्रूरता से हिला चुका है। ऐसे में कोरोना काल के चलते नई व्यवस्था भी बन रही है। अगर किसी बच्चे के अभिभावक या अन्य स्वजन ने लापरवाही की है तो उसके बारे में उस बच्चे से पूछा जाएगा। हालांकि ये व्यवस्था बच्चों को दंडात्मक तौर पर सख्ती के लिए नहीं बल्कि आमजन की जान बचाने व सहूलियत के लिए की जा रही है। यह व्यवस्था माध्यमिक विद्यालयों मेें पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए होगी। इसके पीछे ये भी मानना है कि बच्चोें की बात घर पर बड़े लोग नहीं टालते हैं। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए ये बेहतर कदम अफसरों की ओर से उठाया जा रहा है। शासनस्तर से ऐसी व्यवस्था करने के लिए काेई बाध्यता नहीं है, शिक्षाधिकारियों ने अपना सामाजिक दायित्व समझते हुए यह पहल करनेे की योजना बनाई है।

बच्‍चों को कालेज भेजने की अनुमति दें अभिभावक

माध्यमिक विद्यालयों मेें कक्षा नौ से 12वीं तक के विद्यार्थियों की पढ़ाई शुरू कराने की पहल की जा रही है। इसके तहत विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को निर्देश जारी किए गए हैं कि वे अभिभावकों की ओर से बच्चों को कालेज भेजने के लिए अनुमति दें। ये रिपोर्ट शासनस्तर पर जाएगी। इसके आधार पर शासन से कालेजों में इन कक्षाओं में पढ़ाई कराने पर फैसला किया जाएगा। मगर नई व्यवस्था के तहत जब विद्यार्थी अपने अभिभावक के अनुमति पत्र के साथ कक्षा में बैठेगा तो शिक्षक उससे सवाल करेंगे कि क्या आपके माता-पिता या अन्य स्वजन, जो वैक्सीन लगवाने के लिए पात्र हैैं, उन्होंने वैक्सीनेशन कराया या नहीं? बच्चों सही जवाब दे रहे हैं या नहीं इसकी पड़ताल करने के लिए शिक्षक वहीं से सीधे अभिभावक को फोन भी कर सकते हैं। अगर कोई विद्यार्थी कहता है कि अभी वैक्सीनेशन नहीं कराया गया है तो उसको अपने स्वजन को जागरूक कर वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। कोरोना महामारी से बचाव व इसके दुष्प्रभावों के बारे मेें बताया जाएगा। अफसरों का मानना है कि बच्चे जब अपने घरों में किसी बात की जिद करते हैं तो बड़े उसको पूरा करते हैं। वैक्सीनेशन के लिए बच्चे अभिभावकों से कहेंगे तो स्थिति में काफी बदलाव आ सकता है। हजारों विद्यार्थियों में से अगर सैकड़ा भर अभिभावक या स्वजन वैक्सीनेशन के लिए राजी हुए तो मुहिम में सफलता मिलेगी।

वैक्‍सीनेशन कराने का काम करें अभिभावक

डीआइओएस डा. धर्मेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि प्रधानाचार्य व शिक्षकोंं को अपने स्तर से समाजसेवा का भाव रखते हुए ये पहल करनी है। प्रधानाचार्यों को निर्देशित किया है कि वे पढ़ाई के साथ ज्यादा से ज्यादा अभिभावकों के वैक्सीनेशन कराने पर भी काम करें। ये सार्थक पहल राष्ट्रहित व समाजहित मेें की जा रही है। समाज मेें रहते हुए अगर किसी भी प्रकार से अपने नैतिक मूल्यों का निर्वहन कर सकें तो जरूर करना चाहिए।

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