अलीगढ़ के दीनदयाल अस्पताल के पीकू वार्ड में मास्क ही नदारद, स्टाफ भी तैयार नहीं, जानिए वजह

अलीगढ़ जागरण संवाददाता । कोविड की तीसरी लहर की तैयारियों को लेकर शुक्रवार को दूसरी माक ड्रिल में कुछ कमियां सामने आईं। दीनदयाल अस्पताल में कोविड की ज्यादातर तैयारियां दुरुस्त दिखीं। हालांकि पीकू वार्ड में बच्चों का मास्क ही उपलब्ध नहीं था।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 08:25 AM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 08:45 AM (IST)
अलीगढ़ के दीनदयाल अस्पताल के पीकू वार्ड में मास्क ही नदारद, स्टाफ भी तैयार नहीं, जानिए वजह
कोविड की तीसरी लहर की तैयारियों को लेकर शुक्रवार को दूसरी माक ड्रिल में कुछ कमियां सामने आईं।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता । कोविड की तीसरी लहर की तैयारियों को लेकर शुक्रवार को दूसरी माक ड्रिल में कुछ कमियां सामने आईं। दीनदयाल अस्पताल में कोविड की ज्यादातर तैयारियां दुरुस्त दिखीं। हालांकि, पीकू वार्ड में बच्चों का मास्क ही उपलब्ध नहीं था। वहीं, दूसरी लहर में मुस्तैद रहा स्टाफ इस माक ड्रिल के लिए कुछ तैयार नहीं दिखा। अधिकारियों ने अस्पताल प्रबंधन को निर्देश दिए है कि स्टाफ को प्रशिक्षण कर व्यवस्थाएं और चाक-चौबंद कर ली जाएं।

अधिकारियों ने किया पीकू वार्ड का निरीक्षण

निदेशालय के निर्देश पर आगरा मंडल के संयुक्त निदेशक व नोडल अधिकारी डा. प्रदीप शर्मा ने शुक्रवार सुबह करीब 9:30 पर दीनदयाल अस्पताल पहुंचे। यहां सीएमओ डा. आनंद उपाध्याय, पीकू वार्ड के नोडल अधिकारी डा. दुर्गेश कुमार व कार्यवाहक सीएमएस डा. अनुपम भास्कर की उपस्थिति में सबसे पहले पीकू वार्ड का निरीक्षण किया। यहां बेड, वेंटीलेटर व अन्य सुविधाओं का जायजा लिया। मरीज को वार्ड में पहुंचाने वाले मार्ग को देखा कि वह संकरा तो नहीं। डिस्चार्ज करते वक्त कहां से रवाना होगा, इसकी पूरी जानकारी डा. भास्कर से ली। आक्सीजन प्लांट व अन्य व्यवस्थाएं देंखी।

ऐसे हुआ माकड्रिल

माकड्रिल के लिए सर्वप्रथम संयुक्त निदेशक ने डाक्टर, स्टाफ नर्स व अन्य कर्मचारियों को चयनित किया। सभी पीपीई किट में तैयार थे। थोड़ी देर में ही एंबुलेंस हेल्प डेस्क के सामने आकर रुकी। कर्मचारी दौड़े, वापस लौटे तो स्ट्रेचर पर बच्चा लेटा हुआ था। डेस्क पर बच्चे का तापमान और आक्सीजन सेचुरेशन चेक किया। गाइडलाइन के अनुसार पीकू वार्ड में बच्चों को भर्ती करने से पहले वजन करना जरूरी है, लेकिन स्टाफ भूल गया। संयुक्त निदेशक के टोकने पर स्टाफ ने गलती सुधारी। बच्चे के वजन (14 किलोग्राम) के आधार पर बेड पर लिटाकर कर कैनुला ड्रिप आदि लगाने की प्रक्रिया होनी थी, लेकिन स्टाफ ने गैलरी में ही यह प्रक्रिया शुरू कर दी।

नहीं मिला छोटा मास्क, नर्स घबराई

हेल्प डेस्क या फिर वार्ड में पहुंचते ही सबसे पहले बच्चे के चेहरे पर मास्क लगाना चाहिए था, मगर वहां बच्चों वाला मास्क ही नहीं मिला। लिहाजा, बड़े मास्क से माकड्रिल को आगे बढ़ाया। पीकू वार्ड में दस बेड का एन-आइसीयू वार्ड बनाया गया है, जिसमें नवजात बच्चों के लिए चार वार्मर रखे गए है। संयुक्त निदेशक ने स्टाफ नर्स से वार्मर चालू कराया। उससे पूछा कि बच्चों को थर्मामीटर कहां लगाना है, कैसे लगाना है, तापमान कैसे मेंटेन रखना है? आदि की जानकारी मांगी। स्टाफ नर्स घबरा गई। संयुक्त निदेशक ने बताया कि वार्मर को आटोमेटिक मोड पर रखना है। मैनुअल मोड पर रखने से बच्चा जल भी सकता है।

पहली गलतियों से ली सीख

दीनदयाल में पहले भी एक माकड्रिल हो चुका है, उस समय काफी सामान्य कमियां पाई गईं, जिनसे स्टाफ ने सीख भी ली। इसका असर शुक्रवार को दिखा भी। समस्त स्टाफ पीपीई किट में तैनात रहा। मरीज एंबुलेंस में लाया गया। सीएमओ डा. आनंद उपाध्याय ने बताया कि माकड्रिल सफल रहा। हां, स्टाफ को प्रशिक्षित किया जाएगा। उधर, ग्रामीण क्षेत्र में प्रस्तावित पीकू वार्डों का माक ड्रिल हुआ। वहां कमियां सामने आईं। चंडौस में माकड्रिल के लिए बच्चा नहीं मिल पाया तो 45 वर्षीय व्यक्ति को ही बच्चा मानकर उपचार की प्रक्रिया की गई।

ये करने होंगे सुधार - स्टाफ को और ट्रेङ्क्षनग की जरूरत - कोविड ट्रीटमेंट प्रोटोकाल का डिस्पले - कौन सा मरीज कहां भर्ती होगा ? स्पष्ट हो - आक्सीजन पल्स कम होने पर आइसीयू या एचडीयू में भर्ती होगा मरीज, की जानकारी - लाजिस्टक कहां है? स्टाफ को पूरी जानकारी हो

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