राेजगार की चाह में पुरुष निकले शहर की ओर तो मनरेगा में बढ़ा आधी आबादी का दखल, जानिए मामला Aligarh news
बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मुहैया कराने वाले महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) में तेजी से महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है। पिछले पांच साल में 3.31 लाख मानव दिवसों से महिलाओं की संख्या 10.40 लाख मानव दिवसों पर पहुंच गई हैं।
सुरजीत पुंढीर, अलीगढ़ । बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मुहैया कराने वाले महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) में तेजी से महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है। पिछले पांच साल में 3.31 लाख मानव दिवसों से महिलाओं की संख्या 10.40 लाख मानव दिवसों पर पहुंच गई हैं। कोरोना काल में सबसे अधिक महिलाओं को रोगजार मिले हैं। इस वित्तीय वर्ष में भी महज पांच महीने में ही 3.82 लाख महिला मानव दिवस सृजित हो चुके हैं। पुरुषों के रोजगार की चाह में शहर चले जाने के चलते महिलाओं की संख्या में मनरेगा में बढ़ोत्तरी हो रही है।
सरकार का बड़ा कल्याणकारी कार्यक्रम
मनरेगा रोजगार के मामले में सरकार का सबसे बड़ा कल्याणकारी कार्यक्रम है। देश में सबसे अधिक पैसा इसी पर खर्च होता है। इस योजना के तहत ग्रामीण परिवारों को एक साल में 100 दिन के रोजगार की गारंटी है। जिले में कुल 867 ग्राम पंचायत हैं। इनमें 2.50 लाख मजदूर मनरेगा में पंजीकृत है। इनमें से 1.55 लाख सक्रिय हैं। 204 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से इन्हेंं मजदूरी मिलती है।
इस तरह बढ़ा आंकड़ा
मनरेगा की शुरुआत में काफी कम महिला मजदूर ही इस योजना में काम करती थीं, लेकिन अब समय के साथ इनकी संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है। अगर पिछले पांच साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो जाएं काफी चौंकाने वाले आंकड़े सामने आते हैं। वित्तीय वर्ष 2016-17 में जिले में महज 3.31 लाख महिला मानव दिवस सृजित हुए थे। वहीं, एक साल बाद यह संख्या 3.57 लाख पर पहुंची। इसके बाद निरंतर बढ़ोत्तरी होती रही। अब पिछले साल जिले में कुल 10.40 लाख महिला मानव दिवस सृजित हुए हैं।
पांच महीने में 3.82 लाख
अब वित्तीय वर्ष 2021-22 में पांच महीने बीते हैं। इसमें अप्रैल, मई, जून, जुलाई व अगस्त शामिल हैं। इन महीनों में कुल 3.82 लाख महिला मानव दिवस सृजित हुए हैं। अभी वित्तीय वर्ष में सात महीने का समय बचा हुआ है। ऐसे में इस साल भी 10 लाख का आंकड़े तक पहुंचने की उम्मीद है। इसमें सबसे अधिक जिन परिवारों से पुरुष शहरों में काम करते हैं, उनकी महिलाएं शामिल हैं।
पांच साल में इस तरह हुई है बढ़ोत्तरी
वित्तीय वर्ष, महिला मानव दिवस
2016-17, 331174
2017-18,358501
2018-19,429722
2019-20,581417
2020-21,1040419
मनरेगा में होते हैं यह कार्य
तालाब जीर्णोद्धार, भूमि समतलीकरण, चकरोड़, रजवाहे व नहरों की सफाई, सड़क, नाली, खड़ंजा निर्माण।
इच्छुक लोगों को मिलेगा भरपूर काम
काम करने के इच्छुक लोगों को मनरेगा के तहत काम उपलब्ध कराना प्रशासन की प्राथमिकता में शामिल है। सीडीओ अंकित खंडेलवाल के निर्देश पर इसके लिए जिले भर में अभियान चलाया जा रहा है। यह टीमें सर्वे कर रही हैं। इसमें इच्छुक लोगों को मनरेगा के कार्यों के लिए चिन्हित किया जा रहा है। हर परिवार को कम से कम सौ दिन का मिलेगा।
इनका कहना है
मनरेगा में मजदूरों को कम से कम सौ दिन का रोजगार देना प्रशासन की प्राथमिकता में है। अब पुरुषों के साथ महिला मजदूरों की संख्या में भी तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। इच्छ़ुक लोगों के लिए मनरेगा में काम की कोई कमी नहीं है।
अंकित खंडेलवाल, सीडीओ