कोरोना काल में खुले आसमान को बनाया छत और छत को बना दिया ''सेंटर'', जानिए कैसे Aligarh News

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने सभी लोगों को एक छत के नीचे कैद रहने को मजबूर कर दिया है। कोरोना काल में कोई भी क्षेत्र चाहें वो शिक्षा का हो बिजनेस आफिस या खेल का ही क्षेत्र क्यों न हो हर कहीं पाबंदियों की बेड़ियां पड़ गई हैं।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 03:59 PM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 03:59 PM (IST)
कोरोना काल में खुले आसमान को बनाया छत और छत को बना दिया ''सेंटर'', जानिए कैसे Aligarh News
लोगों को एक छत के नीचे कैद रहने को मजबूर कर दिया है।

अलीगढ़, जेएनएन। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने सभी लोगों को एक छत के नीचे कैद रहने को मजबूर कर दिया है। कोरोना काल में कोई भी क्षेत्र चाहें वो शिक्षा का हो, बिजनेस, आफिस या खेल का ही क्षेत्र क्यों न हो, हर कहीं पाबंदियों की बेड़ियां पड़ गई हैं। मगर खेल का ऐसा क्षेत्र हैं जहां प्रतिभाएं खुद को इन पाबंदियों की बेड़ियों में जकड़ कर रखना पसंद नहीं करती हैं। क्योंकि उनके प्रदर्शन की नींव उनके वर्कआउट व नियमित व्यायाम पर ही टिकी होती है। कितना भी बेहतरीन खिलाड़ी हो अगर उसको एक से दो हफ्ते भी उसके नियमित वर्कआउट से अलग कर दिया जाए तो उसके प्रदर्शन व शरीर में जंग सी लगनी शुरू हो जाती है। इसलिए जिले के खिलाड़ियों ने खुले आसमान को अपनी छत बनाकर अपने घर की छत पर ही प्रैक्टिस व व्यायाम का सेंटर बना लिया है।

रनिंग में भी खतरा 

कोरोना काल ने शिक्षा व खेल जगत में सभी गतिविधियां थाम कर रख दी हैं। मगर किसी खिलाड़ी के लिए उसका नियमित अभ्यास व वर्कआउट बहुत जरूरी होता है। कोरोना संक्रमण के चलते स्टेडियम में भी खिलाड़ियों के जाने पर पाबंदी लगा दी गई। संक्रमण के खतरे के चलते खिलाड़ी कहीं बाहर रनिंग भी नहीं कर सकते। ऐसे में उन्होंने अपने घर की छतों को ही प्रैक्टिस सेंटर बना दिया है। सुबह उठकर दो से चार किलोमीटर की वाकिंग व दौड़ भी छत पर होती है। इसके साथ अपने संबंधित खेल से जुड़ी एक्सरसाइज व व्यायाम आदि की क्रियाएं भी खेल प्रतिभाएं घर की छतों पर ही कर रहे हैं। खिलाड़ी अपने प्रशिक्षकों को वीडियो काल कर प्रशिक्षण से जुड़े जरूरी टिप्स भी ले रहे हैं। जिससे उनकी प्रैक्टिस में कोई खामी नहीं आए।

 

छत पर ही बीतते सुबह के दो घंटे

बैडमिंटन खेल में राष्ट्रीय खिलाड़ी व कवार्सी निवासी विकास कुमार चौहान बताते हैं कि वे सुबह चार बजे उठकर घर की छत पर ही व्यायाम करते हैं। रनिंग भी छत पर चक्कर काटकर करते हैं। इसके बाद कुछ जरूरी व्यायाम भी छत पर मैट बिछाकर करते हैं। इससे शरीर की मांसपेशियां दुरुस्त रहती हैं। उनका कहना है कि किसी भी बैडमिंटन खिलाड़ी को अगर नियमित व्यायाम न करने दिया जाए तो मसल्स सख्त हो जाती हैं। फिर बैडमिंटन कोर्ट पर फुर्ती के साथ मूवमेंट करना मुश्किल होता है।

छत पर ही चार किलोमीटर रनिंग

फुटवॉल के राज्यस्तरीय खिलाड़ी व शमशाद मार्केट क्षेत्र निवासी सैयद जॉन अब्बास बताते हैं कि फुटबॉल खिलाड़ी के लिए रनिंग बहुत जरूरी है। कोरोना काल में बाहर रनिंग बंद है। इसलिए छत पर ही काफी देर दौड़कर मोबाइल पर स्टेप काउंट कर रनिंग करते हैं। चार किलोमीटर तक की रनिंग रोजाना करने के बाद व्यायाम व आसन क्रियाएं कर शरीर को फिट रखते हैं। फुटबॉल की थोड़ी प्रैक्टिस भी छत पर ही करते हैं। रोजाना दो घंटे वर्कआउट कर शरीर को चुस्त रखने का प्रयास करते हैं। जिससे मांसपेशियां शिथिल न हों।

 

एएमयू जिम्नेजियम प्रशिक्षक मजहर उल कमर ने कहा कि खिलाड़ियों के लिए कोरोना काल में अपने घर की छत पर ही व्यायाम व योग क्रियाएं कराना सबसे फायदेमंद है। योग क्रियाएं व अासन से शरीर को फर्तीला बनाए रखा जा सकता है। बेहतर होगा कि अगर सूर्य नमस्कार क्रिया को सही से किया जाए तो काफी लाभकारी होगा। उससे शरीर की हर मांसपेशी व रक्त धमनियां क्रियाशील हो जाती है। खिलाड़ी घर की छत पर ही अपने वजन व स्ट्रेंथ के हिसाब से योग व व्यायाम करें व स्वस्थ रहे।

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