Rahat Indori Passed Away: शाम ढले हर पंछी को घर जाना पड़ता है, कौन खुशी से मरता है मर जाना पड़ता है Aligarh News
यश भारती डॉ.विष्णु सक्सेना ने फोन पर सिकंदराराऊ में दैनिक जागरण से से कहा कि पूरे विश्व के जाने-माने और बड़े शायर राहत इंदौरी के इंतकाल से पूरा हिंदी और उर्दू साहित्य सदमे में ह
हाथरस [जेएनएन]: 'शाम ढले हर पंछी को घर जाना पड़ता है। कौन खुशी से मरता है मर जाना पड़ता है। ' यश भारती डॉ.विष्णु सक्सेना ने फोन पर सिकंदराराऊ में दैनिक जागरण से से कहा कि पूरे विश्व के जाने-माने और बड़े शायर राहत इंदौरी के इंतकाल से पूरा हिंदी और उर्दू साहित्य सदमे में है। राहत इंदौरी एक प्रकार से हिंदी और उर्दू के लिए पुल की तरह थे। आज उनके जाने से ये पुल ढह गया है। उनके साथ साझा किए गए सैकड़ों मंच और उन पर उनसे मिला हुआ प्यार आज मुझे रोमांचित कर रहा है। उनके जाने के नुकसान की भरपाई शायद अब नहीं हो पाएगी।
राहत इंदौरी बहुत प्यार किया करते थे मुझे:डॉ.विष्णु सक्सेना
राहत इंदौरी सिकंदराराऊ में भी अनेक बार मुशायरों में आए। मेरे साथ उनका बहुत आत्मीय संबंध थे। बहुत प्यार किया करते थे मुझे। होटल में वह किसी के साथ रूम शेयर नहीं करते थे, लेकिन मेरे साथ रहने से उन्हें कोई एतराज़ नहीं होता था। एक बार उतरौला के मुशायरे में संचालक ने मेरे बारे में खराब बोल दिया तो राहत इंदौरी माइक पर आकर मेरे लिए लड़ गए और उस संचालक को बुरी तरह लताड़ा। वे उर्दू के मुशायरों से भी अधिक हिंदी के कवि सम्मेलनों में लोकप्रिय थे। उन्हें उनके इंकलाबी शेरों के लिए जाना जाता था। 'एक जिंंदादिल शायर राहत इंदौरी को हिंदी काव्य मंच की तरफ से तथा सरला नारायण ट्रस्ट की तरफ से विनम्र श्रद्धाजंलि देता हूं।