अलीगढ़ में महिला ने पहले बेटे की राख से फूल बीने, फिर सासू का किया अंतिम संस्कार

विधाता न जाने कैसे-कैसे खेल रच रहा है। कोरोना के क्रूर काल के चक्र में इंसान की सारी खुशियां दो मिनट में छिन जा रही हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 May 2021 01:43 AM (IST) Updated:Wed, 12 May 2021 01:43 AM (IST)
अलीगढ़ में महिला ने पहले बेटे की राख से फूल बीने, फिर सासू का किया अंतिम संस्कार
अलीगढ़ में महिला ने पहले बेटे की राख से फूल बीने, फिर सासू का किया अंतिम संस्कार

जासं, अलीगढ़ : विधाता न जाने कैसे-कैसे खेल रच रहा है। कोरोना के क्रूर काल के चक्र में इंसान की सारी खुशियां दो मिनट में छिन जा रही हैं। ऐसे ²श्य दिखा रहा है, जिसकी समाज ने कभी कल्पना तक नहीं की थी। ऐसा ही वाकया विष्णुपुरी की दर्शन गुप्ता के साथ हुआ। एकलौते बेटे के अंतिम संस्कार के दूसरे दिन सासू मां का निधन हो जाने पर उनके ऊपर मानों दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। विडंबना देखिये, बेटे की अस्थियों से फूल चुनने के तुरंत बाद सासू मां को मुखाग्नि देनी पड़ी।

विष्णुपुरी निवासी दर्शन गुप्ता के 32 वर्षीय इकलौते पुत्र पांच दिन पहले बीमार पड़े थे। उन्हें वरुण ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया था, जहां सोमवार तड़के चार बजे उनका निधन हो गया। अंकित अपने पीछे पत्नी नम्रता, चार वर्षीय बेटे पुण्य, मां दर्शन गुप्ता और दादी श्यामा देवी को छोड़ गए। अंकित के पिता गिरधर गुप्ता की डेढ़ साल पहले मौत हो गई थी। अंकित की मौत के बाद अंतिम संस्कार पर प्रश्न खड़ा हुआ। चार साल का बेटा पुण्य कुछ भी जानने और समझने योग्य नहीं है। मां दर्शन गुप्ता ने हिम्मत दिखाई। उन्होंने सोमवार को नुमाइश के श्मशान गृह में बेटे को मुखाग्नि दी। बेटे के अंतिम संस्कार के बाद घर पहुंचीं। सासू मां श्याम देवी, अंकित की पत्नी नम्रता और बच्चे को संभालने की कोशिश करने में जुट गईं। जवान नाती की मौत के गम में मंगलवार तड़के चार बजे श्यामा देवी भी दुनिया छोड़ गईं। पूरे परिवार में कोहराम मच गया। निर्णय हुआ कि दादी का चंदनिया में अंतिम संस्कार कर दिया जाए, पर नुमाइश में फूल चुनने जाना था। नुमाइश श्मशानगृह में ही अंतिम संस्कार किया गया। फूल चुनने के बाद दर्शन गुप्ता ने श्यामा देवी को मुखाग्नि दी। जिसे भी पता चला कि बेटे की मौत के दूसरे ही दिन दर्शन गुप्ता सासू मां का अंतिम संस्कार कर रही हैं, वो रो पड़ा। अंकित के मामा डा. विश्वमित्र आर्य ने बताया कि दो दिन के भीतर पूरे परिवार की खुशियां बिखर गईं।

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