अलीगढ़ में महायोजना से बदलेगी विकास से अछूते 407 गांवों की तस्वीर

महायोजना 2031 को लेकर अच्छी खबर है। आल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ सेल्फ लोकल गवर्नमेंट ने प्रस्तावित महायोजना तैयार कर ली है। इसे मुख्य नगर व ग्राम नियोजक के यहां भेजा जाएगा। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद एडीए बोर्ड की बैठक में मुहर लगेगी।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 09 Apr 2021 07:55 PM (IST) Updated:Fri, 09 Apr 2021 07:55 PM (IST)
अलीगढ़ में महायोजना से बदलेगी विकास से अछूते 407 गांवों की तस्वीर
अलीगढ़ में महायोजना से बदलेगी विकास से अछूते 407 गांवों की तस्वीर

जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : महायोजना 2031 को लेकर अच्छी खबर है। आल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ सेल्फ लोकल गवर्नमेंट ने प्रस्तावित महायोजना तैयार कर ली है। इसे मुख्य नगर व ग्राम नियोजक के यहां भेजा जाएगा। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद एडीए बोर्ड की बैठक में मुहर लगेगी। 2008 में प्राधिकरण क्षेत्र में शामिल हुए 407 गांव को भी महायोजना में शामिल किया गया है। महायोजना में शामिल गांवों की संख्या 610 हो गई है। इन सभी में निर्माण कार्यों के लिए भूउपयोग तय होंगे।

2008 से पहले अलीगढ़ विकास प्राधिकरण का दायरा 4482 वर्ग हेक्टेयर था। इसमें एक नगर निगम, एक नगर पंचायत व 203 गांव शामिल थे। 2001 से 2021 तक की महायोजना भी इसी दायरे के हिसाब से बनाई गई। 2008 में 407 गांवों व तीन नगर पंचायतों को भी प्राधिकरण क्षेत्र में शामिल किया गया। नगर पंचायतों में पिलखना, कौड़ियागंज व जलाली शामिल थीं। महायोजना पहले ही लागू होने से इन सभी गांवों व नगर पंचायतों के क्षेत्र को कृषि व आवासीय आरक्षित कर दिया गया। 2001 से लेकर 2021 तक की महायोजना का समय पूरा होने को है। अब 2021 से 2031 तक की नई महायोजना पर काम चल रहा है।

कंपनी ने तैयार की महायोजना

शासन के निर्देश पर इंडिया इंस्टीट्यूट आफ सेल्फ लोकल गवर्नमेंट ने नई महायोजना तैयार की है। आमजन, व्यापारी, उद्यमी, डाक्टर, आर्किटेक्ट आदि के सुझावों को भी इसमें शामिल किया गया है। जीआइसी (सेटेलाइट सर्वे) व डोर टू डोर भौतिक सत्यापन की रिपोर्ट भी शामिल की गई है। अब कंपनी इसे नगर व ग्राम नियोजक के यहां देगी। यहां से स्वीकृति मिलने पर प्राधिकरण बोर्ड में रखा जाएगा। फिर दावे व आपत्तियां लिए जाएंगे।

इन क्षेत्रों के गांव होंगे शामिल

नई महायोजना में गभाना तहसील के 152, कोल के 125, खैर के 83, इगलास के 26 और अतरौली के 17 गांव शामिल होंगे। 203 गांव पहले से हैं।

भविष्य में जमीनों के

उपयोग पर फोकस

महायोजना की सेटेलाइट मैपिग में आवासीय, व्यावसायिक, सामुदायिक, संस्थागत, औद्योगिक क्षेत्र और ग्रीन बेल्ट की जमीनों को चिह्नित किया गया है। इसके आधार पर भविष्य में नागरिक सुविधाओं के लिए जमीनों का उपयोग किया जाएगा। इसी आधार पर ही नगर निगम और विकास प्राधिकरण काम कराएंगे।

अब 10 साल के लिए महायोजना

महानगर सीमा क्षेत्र में विकास कार्य कराने के लिए इस बार 10 साल के लिए महायोजना बनाई जा रही है। पहले यह 20 साल के लिए बनाई जाती थी। पहले महायोजना बनाने का काम जुलाई 2020 तक पूरा होना था, लेकिन कोरोना काल में देरी हो गई। ऐसे में अब तेजी से तैयारी चल रही है।

पुरानी महायोजना ही लागू : 2021 में नई महायोजना बननी है। अगर इसमें देरी होती है तो पुरानी महायोजना ही लागू रहेगी।

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कंसल्टेंट कंपनी ने नई महायोजना तैयार कर ली है। अब इसे शासन से स्वीकृति मिलनी है। इसके बाद बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा। दावे आपत्तियां व सुझाव भी लिए जाएंगे।

प्रेम रंजन सिंह, एडीए वीसी महायोजना में सभी वर्गों से आए सुझावों को शामिल किया गया है। सेटेलाइट व डोर टू डोर सर्वे से भी स्थिति देखी गई है। जल्द ही इसे शासन में जमा कर दिया जाएगा।

संतोष चौधरी, टीम लीडर, आल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ सेल्फ लोकल गवर्नमेंट

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