अलीगढ़ में सीलिंग की जमीन के हो रहे बैनामे, सो रहा एडीए

भू अधिग्रहण के समय एडीए (अलीगढ़ विकास प्राधिकरण) के हिस्से में आई सीलिंग की जमीन में यहां बड़ा घालमेल चल रहा है। फर्जी बैनामों से दशकों से कब्जा जमाए बैठे हैं।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Publish:Fri, 26 Apr 2019 12:58 PM (IST) Updated:Fri, 26 Apr 2019 01:57 PM (IST)
अलीगढ़ में सीलिंग की जमीन के हो रहे बैनामे, सो रहा एडीए
अलीगढ़ में सीलिंग की जमीन के हो रहे बैनामे, सो रहा एडीए

अलीगढ़ (जेएनएन)। भू अधिग्रहण के समय एडीए (अलीगढ़ विकास प्राधिकरण) के हिस्से में आई सीलिंग की जमीन में यहां बड़ा घालमेल चल रहा है। फर्जी बैनामों से दशकों से कब्जा जमाए बैठे हैं। फर्जी बैनामों के तमाम मामले कोर्ट में चल रहे हैं। अगर प्रशासनिक रिकॉर्ड पर नजर डाली जाए तो शहर में 100 अरब से अधिक की 105 हेक्टेयर सीलिंग की जमीन है। इसमें से महज पांच हेक्टेयर पर ही एडीए का कब्जा है। बाकी पर लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है। इनके फर्जी कागजात भी बनवा रखे हैं। ऐसे में अब प्राधिकरण इन्हें बेदखल भी नहीं कर पा रहा है।

18 मार्च 1999 को हुई सीलिंग

प्रदेश सरकार ने 1999 में अंतिम बार शहरी सीलिंग कराई थी। 18 मार्च 1999 को प्रक्रिया पूरी हुई। इसमें सरकार से अधिकतम दो हजार वर्गमीटर प्रति परिवार के हिसाब से मानक तय किए। इससे अधिक जमीन सरकार के पास चली गई। शहर में 15 लाख वर्ग मीटर यानी 115 हेक्टेअर जमीन राज्य सरकार के हिस्से में आई। इस जमीन को खतौनी में जिला प्रशासन के नाम कर दिया गया।

शुरू हो गए अवैध कब्जे 

शुरुआत में तो जिला प्रशासन ने इस जमीन का प्रयोग किया, लेकिन एक साल बाद इसे अलीगढ़ विकास प्राधिकरण के नाम कर दिया गया है। एडीए को इस जमीन को कब्जे में लेकर पार्क बनाने के साथ ही अपनी योजनाएं भी विकसित करने थी, लेकिन शुरुआत से ही एडीए इसे लेकर सुस्त रहा। जमीन का रिकॉर्ड तक एकत्रित नहीं किया गया। ऐसे में लोगों ने इसका फायदा उठाकर इस पर भवन और मकान बनाने शुरू कर दिए है। अब एडीए के नाम जमीन होने को 19 साल के करीब समय हो चुका है, लेकिन अब तक महज पांच हेक्टयर पर ही प्राधिकरण का कब्जा है। बाकी की 100 हेक्टयर जमीन लोगों के कब्जे में हैं।

फर्जी बैनामों से लड़ रहे मुकदमे

लोगों ने कब्जे लेने के साथ ही इसकी फर्जी बैनामे करने शुरू कर दिए। अब अधिकांश कब्जा धारकों पर फर्जी कागजात हैं। इसी को लेकर वह न्यायालयों में जा रहा हैं। अगर शहर की बात करें तो कुल जमीन की 250 फाइलें हैं। इनमें से  51 मामले सिविल कोर्ट, हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुके हैं। जिला प्रशासन इनमें से 13 मामले हार चुका है। 38 अभी विचाराधीन हैं। अब दूसरे लोगों को हो रही है बिक्री इतने ही नहीं कब्जा धारकों ने भी इस जमीन की बिक्री शुरू कर दी है। कई लोग दूसरे लोगों के नाम बैनामा करा चुके हैं। सासनी गेट क्षेत्र व रामघाट रोड पर भी दो बैनामों के मामले सामने आए थें। एडीए की ओर से अपना पक्ष तक नहीं रखा जा रहा है।

प्राधिकरण दिखा चुका है कब्जा

प्रदेश सरकार ने अर्बन सीलिंग के बाद जिला प्रशासन को धारा 10 (5) के तहत जमीन पर कब्जा लेने के निर्देश दिए थे। तत्कालीन अफसरों ने कागजों में तो इसे अपने कब्जे में दिखा दिया, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं कर पाए। यही मुकदमे के हार के कारण हैं। एडीएम सिटी राकेश मालपाणी का कहना है कि सीलिंग की जमीन के मामलों में शासन से तय नियमों के हिसाब से कब्जा लिया जाएगा। प्राधिकरण कई मामलों में मुकदमे लड़ रहा है।

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