अलीगढ़ में गोवंश घूम रहे सड़क पर, चारा चबा रहा कोई और Aligarh news
जिले में छुट्टा गोवंश बनते जा रहे हैं मुसीबत आएदिन हो रहे हादसे। 20 हजार से अधिक छुट्टा गोवंश की संख्या नहीं मिल पा रहा चारा।
अलीगढ़ [जेएनएन] प्रदेश सरकार खुले में घूमने वाले गोवंश के संवर्धन और संरक्षण के लिए करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा रही है, लेकिन पशु पालन विभाग सरकार की मंशा पर पानी फेरने में लगा हुआ है। घुमंतू गायों की टैगिंग करने के बाद उन्हें गोशाला के रिकार्ड में दर्शाया जाता है, लेकिन कुछ दिनों बाद ही यह खुले में छोड़ दिए जाते हैं। यह किसानों के खेतों में नुकसान करते हैं। लोगों के साथ भी हादसे करते हैं। वहीं, इनके नाम से गोशालाओं में सरकारी धन का गबन होता रहता है। सरकार 30 रुपये प्रति गोवंश के हिसाब से चारे को धनराशि देती है।
30 रुपये प्रति गोवंश
रोजाना 30 रुपये प्रति गोवंश के हिसाब से सरकार बजट देती है। पशुपालन विभाग के माध्यम से इन्हें गोशालाओं में भेजा जाता है। स्वयंसेवी संगठन भी इसमें मदद करते हैं, लेकिन इसके बाद भी पशु पालन विभाग के कर्मचारी इसमें 'खेलÓ करने में लगे हैं। गोवंश के गले में टैग नंबर डालकर उसे बाहर छोड़ देते हैं। वह खेतों में जाकर किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, जबकि इनके नाम से गोशालाओं को धनराशि जारी होती रही है।
सड़क पर घूम रहे गोवंश
इगलास में प्रशासन ने 28 गोशालाएं बनवाई हैं। इसके बाद भी लगभग तीन हजार गोवंश सड़कों पर निराश्रित घूम रहे हैं। मौका मिलते ही झुंड बनाकर खेत में घुस जाते हैं और फसल को नष्ट कर देते हैं। गोवंश अक्सर रात्रि के समय ही खेतों पर धावा बोलते हैं।
24 गोशालाएं, फिर भी घूम रहा गोवंश
अतरौली तहसील क्षेत्र में मौजूद तीन ब्लॉक अतरौली, बिजौली व गंगीरी में इन दिनों मात्र 24 गोशाला ही संचालित हो रही हैैं। तहसील के तीनों ब्लॉकों में 200 से अधिक ग्राम पंचायतों में गोशाला बनने के लिए पिछले वर्ष 10 जनवरी 19 तक डीएम द्वारा निर्देशित किया गया था, मगर पूरी तहसील में मात्र 24 गोशाला ही बन सकीं और बाकी अधर में लटक गईं। तहसील के गांव ककेथल, नौरथा, सालारपुर, पेंडरा, पालीमुकीमपुर, दूधमां, दादों, रनमोचना, रानी आलमपुर, दरीअलावलपुर, छर्रा रफातपुर समेत 24 ग्राम पंचायतों में गोशाला संचालित की जा रही हैं।
गभाना में बुरा हाल
गभाना में किसानों के लिए निराश्रित गोवंश जी का जंजाल बने हुए हैं। कस्बा समेत रामपुर, नगला नत्था, कन्होई, हाईवे समेत क्षेत्रभर में बड़ी संख्या में इन दिनों निराश्रित गोवंश घूम रहे हैं, लेकिन प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। पिछले दस दिनों में 20 से अधिक लोगों को निराश्रित सांड़ चुटैल कर चुके हैं। रात्रि के समय में छुट्टïा पशु सड़कों पर आकर बैठ जाते हैं। पिछले करीब 15 दिनों में हाईवे समेत अन्य संपर्क मार्गों पर करीब एक दर्जन से अधिक वाहन चालक इन निराश्रित गोवंशों से टकरा कर घायल हो चुके हैं। तहसीलदार जयप्रकाश सिंह ने बताया कि 99 ग्राम पंचायतों में गो आश्रय स्थल के लिए जमीन चिह्नित की जा चुकी हैैं, जिसमें 36 ग्राम पंचायतों में गोशाला संचालित भी हो चुकी हैं। कौमला-कदौली गांव स्थित प्रदेश की पहली पीपीपी मॉडल गोशाला व ओगर नगला राजू स्थित बड़ी गोशाला संचालित हैैं।
24 लाख की गोशाला, गोवंश शून्य
गंगीरी के गांव गालिबपुर में 24 लाख की लागत से बनकर तैयार हुई गोशाला में चारे की व्यवस्था न होने से एक भी गाय नहीं है। क्षेत्र में सैकड़ों निराश्रित गोवंश घूम रहे हैैं। थाना परिसर के सामने दर्जनों गोवंशों ने अपना आशियाना बना लिया है। ग्राम प्रधान भंवरपाल यादव ने बताया कि जनवरी माह तक गोशाला में दर्जनों गाय थीं। इसमें देखभाल करने वाली महिला का आज जक पैसा नहीं मिल पाया। अधिकारियों ने ग्राम पंचायत के खाते को बंद करा दिया है। इस कारण चारे की व्यवस्था न होने से गोशाला में गाय नहीं हैं।
जल्द होगा समाधान
अधिकांश गोशाला में नाम मात्र को ही निराश्रित गोवंश मौजूद हैं। मामले में बीडीओ पूर्ण वोरा ने बताया कि क्षेत्र में चार गोशाला पूर्ण रूप से बन चुकी हैैं। दो का निर्माण चल रहा है। इनके पूरे हो जाने पर जल्द समस्या का समाधान हो जाएगा। प्रभारी सीवीओ डॉ. मेघ सिंह का कहना है कि जिले में 20 हजार से अधिक निराश्रित गोवंश हैं। इसमें से 18 हजार को संरक्षित किया जा रहा है। तीन बड़ी गोशालाएं भी बन रही हैं। बचा गोवंश इनमें स्थानांतरित कर दिया जाएगा। इसमें जनसहभागिता जरूरी है। सरकार एक गाय पालन पर 900 रुपये माह किसानों को दे रही है।