अलीगढ़ में अमीर व पिछड़ा वर्ग वाले भी बनवा रहे ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र, जांच में पकड़े तो फिर हुआ ये सब

(आर्थिक रूप से कमजोर) प्रमाणपत्रों में फर्जीवाड़ा हो रहा है। अमीर व पिछड़ा वर्ग के लोग भी तथ्य छिपाकर तहसीलों से प्रमाणपत्र बनवा रहे हैं। कोल तहसील में दो दर्जन से अधिक मामलों का पर्दाफाश हो चुका है। ये आवेदन निरस्त कर दिए गए है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 07:24 AM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 07:24 AM (IST)
अलीगढ़ में अमीर व पिछड़ा वर्ग वाले भी बनवा रहे ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र, जांच में पकड़े तो फिर हुआ ये सब
सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए 10 फीसद आरक्षण की घोषणा की थी।

अलीगढ़, सुरजीत पुंढीर। ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर) प्रमाणपत्रों में फर्जीवाड़ा हो रहा है। अमीर व पिछड़ा वर्ग के लोग भी तथ्य छिपाकर तहसीलों से प्रमाणपत्र बनवा रहे हैं। कोल तहसील में दो दर्जन से अधिक मामलों का पर्दाफाश हो चुका है। ये आवेदन निरस्त कर दिए गए है। 2019 के बाद जारी सभी प्रमाणपत्रों के जांच के आदेश दिए गए हैं।

यह हैंं फायदे 

अब तक अनुसूचित जाति/जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को ही आरक्षण का लाभ मिलता था। मगर, सामान्य वर्ग के भी तमाम परिवार बेहद गरीब हैं। आर्थिक हालत खराब होने से इनके बच्चे पढ़ाई व नौकरी में पीछे छूट जाते हैैं। 2019 से मोदी सरकार ने सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए 10 फीसद आरक्षण की घोषणा की थी। इसका लाभ पाने के लिए तहसीलों से ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र बनवाना होता है।

फर्जी प्रमाणपत्र आए पकड़ में : तहसीलों में डेढ़-दो साल ये प्रमाणपत्र बन रहे हैं। जालसाज इसमें खेल करने लगे हैं। अमीर लोग तथ्य छिपाकर प्रमाणपत्र बनवा रहे हैं। परिवार में सरकारी नौकरी होने के बाद भी ये लोग इसका लाभ ले रहे हैं। पिछड़ा वर्ग के भी तमाम लोग इसके लिए आवेदन कर रहे हैं। कोल तहसील में इस तरह के दर्जनों से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। इन सभी के आवेदनों को निरस्त कर दिया गया है।

नौकरी व दाखिलों में करते हैं प्रयोग

अफसरों के मुताबिक, कई बार सरकारी नौकरी व दाखिलों में अनुसूचित जाति व पिछड़ा वर्ग वालों से भी कम नंबरों पर ईडब्ल्यूएस वालों को मौका मिल रहा हैं। इसलिए ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र बनवाने के लिए गैंग सक्रिय हो गया है। यह तहसीलों से प्रमाणपत्र बनवा लेता है, जिसका इस्तेमाल।नौकरी व दाखिले में किया जाता है।

ऐसे होता है आवेदन

ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र के लिए आवेदक को तहसील में आवेदन करता होता है। इसके बाद लेखपाल-कानूनगो सत्यापन करते हैं। दोनों की अलग-अलग रिपोर्ट लगती है। इसके आधार पर तहसीलदार जारी करते हैं।

केस-1 : गोपालपुर पड़की निवासी नीरज कुमार ने कोल तहसील में ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र के लिए आवेदन किया था। इन्होंने आवेदन में जाति सामान्य वर्ग में ब्राह्मïण बताई। राजस्व टीम ने जांच की तो सामने आया कि इनका परिवार पिछड़ा वर्ग में आता है।केस-2 : शहर के सुरेंद्र नगर निवासी प्रेम प्रताप ङ्क्षसह ने ईडब्ल्यूएस के लिए आवेदन किया था। इसमें अपना घर 100 वर्गगज से कम में बताया। राजस्व विभाग की टीम जांच को पहुंची तो सामने आया कि आवेदक की 500 वर्गगज से बड़ी कोठी है। परिवार से एक व्यक्ति सरकारी नौकरी में है।

यह हैं ईडब्ल्यूएस के मानक

- परिवार के पास पांच एकड़ या इससे अधिक भूमि न हो।

- गांव में एक हजार वर्ग फीट या इससे अधिक क्षेत्र का आवासीय फ्लैट न हो।

- नगर निकायों में सौ वर्गगज या इससे अधिक का आवासीय भूखंड न हो।

- शहर व देहात में अलग-अलग मकान न हो।

- परिवार से कोई भी सरकारी नौकरी में न हो।

ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र के लिए सरकार ने नियम तय कर रखे हैं। तमाम लोग इन नियमों से बाहर होने के बाद भी आवेदन करते हैं। कुछ तथ्य भी छिपा लेते हैं। ऐसे आवेदनों को निरस्त कर दिया जाता है।

रंजीत सिंह, एसडीएम कोल

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