अलीगढ़ में शातिर अपना रहे नायब हथकंडे, घर से लेकर सड़क तक साइबर ठगी

कोरोना महामारी के दौर में सड़क से लेकर साइबर प्लेटफार्म तक शातिर ठगी के नायब हथकंडे अपना रहे हैं। आपको अब सचेत रहने की जरुरत है। कहीं ऐसा न हो जाए कि राह चलते आप कहीं भी कभी भी शिकार बन जाएं।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Fri, 11 Jun 2021 07:00 AM (IST) Updated:Fri, 11 Jun 2021 07:00 AM (IST)
अलीगढ़ में शातिर अपना रहे नायब हथकंडे, घर से लेकर सड़क तक साइबर ठगी
सड़क से लेकर साइबर प्लेटफार्म तक शातिर ठगी के नायब हथकंडे अपना रहे हैं।

अलीगढ़,रिंकू शर्मा। कोरोना महामारी के दौर में सड़क से लेकर साइबर प्लेटफार्म तक शातिर ठगी के नायब हथकंडे अपना रहे हैं। आपको अब सचेत रहने की जरुरत है। कहीं ऐसा न हो जाए कि राह चलते आप कहीं भी, कभी भी शिकार बन जाएं। हालांकि साइबर सेल व पुलिस आमजन को सचेत करने के साथ ही जागरुक कर रही है। सावधानी ही साइबर फ्राड से बचाव का एक मात्र तरीका है। अगर मोबाइल पर वाट््सएप या ई-मेल पर कोई ङ्क्षलक और करोड़ों की लाटरी का मैसेज आए तो सर्तक हो जाइए। अगर इनके जाल में फंस गए तो अपनी जमा पूंजी से भी हाथ धो बैठेंगे। जिले में आनलाइन ठगी जैसी वारदातें बढ़ती जा रही हैं। साइबर क्राइम को लेकर हालत यह है कि पहले तो पुलिस इस तरह के मामलों को दर्ज करने में आनाकानी करती है और अगर दर्ज कर भी लिया तो राजफाश नहींं कर पाती। फोन काल के माध्यम से खाते से संबंधित जानकारी पूछकर भी ठग आसानी से लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। थानों से लेकर पुलिस कप्तान तक हर रोज ठगी के शिकार लोग अपनी पीड़ा लेकर आ रहे हैं।

घरेलू प्रोडक्ट के नाम पर ठगी

साइबर क्राइम से जुड़े शातिर कास्मेटिक, सर्फ, साबुन आदि घरेलू उत्पादों के नाम से किसी नामी कंपनी या सेल्स प्रोडक्ट बेचने वाले के रूप में आते हैं। इन शातिरों के निशाने पर वे घर होते हैं जहां दिन में केवल घरेलू महिलाएं ही मौजूद मिलती हैं। जिन्हें वे ब्रांडेड कंपनियों से मिलते -जुलते नकली प्रोडक्ट को असली बताकर बेचते हैं और बदले में कंपनी की ओर से गिफ्ट देने का लालच देते हैं। थोड़े से लालच में उन्हें अपनी मेहनत की कमाई भी गंवानी पड़ जाती है।

राह चलते हो जाएं सावधान

शातिर बदमाश राह चलती जेवर पहनी महिलाओं को एकांत में देखकर स्न्रेङ्क्षचग का डर दिखाकर व खुद को पुलिस वाला बताकर सुरक्षा की बात करते हैं। फिर महिलाओं से सारे जेवर उतरवाकर उन्हें कागज या बैग में रखने के बहाने या रजिस्टर में एंट्री के नाम पर अदला-बदली कर लेते हैं। पीडि़त को जब तक ठगी की जानकारी होती है तब तक शातिर गायब हो चुके होते हैं।

इंश्योरेंस के नाम पर चूना

शातिर इंश्योरेंस एजेंट के रूप में घरों में दिन के समय पहुंचते हैं जब मर्द नौकरी या अन्य पेशे के लिए निकले होते हैं। पालिसी मैच्योर व मनी ट्रांसफर के नाम पर गारंटी के बहाने रुपये लेकर चूना लगाकर चलते बनते हैं। एटीएम व बैंक शाखा में रुपये निकालने व जमा कराने में मददगार बनकर भी शातिर लोगों की मेहनत की कमाई को उड़ाकर ले जा रहे हैं।

एक्सपर्ट व संसाधनों का अभाव

साइबर क्राइम को लेकर पुलिस चाहे कितने भी दावे करे, लेकिन हकीकत है कि संसाधन के साथ ही एक्सपर्ट का भी अभाव है। साइबर सेल में आनलाइन ठगी की रकम पांच लाख से अधिक होने के हिसाब से ही केस दर्ज होते हैं।

ठगी के ये हैं तरीके

आनलाइन ठगी करने वाले शातिर बीमा का बोनस आने व खाते में सिक्योरिटी जमा कराने के नाम या लकी ड्रा में नंबर चुने जाने की बात करते हैंं। एटीएम ब्लाक करने, नया कार्ड बनाने व खाते को अपडेट करने के नाम पर गोपनीय जानकारी हासिल कर लेते हैं।

साइबर ठगी रोकने को पुलिस व साइबर सेल लोगों को जागरुक कर रही हैं। फिर भी होने वाली आनलाइन ठगी के मामलों में पिछले कुछ दिनों में कई पीडि़तों को हुई ठगी की रकम वापस दिलायी गई है। बड़े मामलों में भी गिरफ्तारी व कार्रवाई की गई है। इस तरह की धोखाधड़ी के शिकार लोग सीधे शिकायत दर्ज कराएं तो उनकी हरसंभव मदद की जाएगी।

- कलानिधि नैथानी, एसएसपी

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