Awareness Against Diseases on Vijayadashmi: बीमारी हैं दुश्मन, जागरुकता से करें प्रहार Aligarh News

बुराई पर अच्छाई का जश्न तो हम शुक्रवार को रावण के पुतले फूंककर मना लेंगे पर जीवन के लिए संकट बन रहीं रावण रूपी भयंकर बीमारियों से कैसे मुक्ति मिलेगी? ये ऐसी बीमारी हैं जिनके चलते अलीगढ़ में ही अनेक लोग असमय ही दुनिया से विदा हो चुके हैं।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Fri, 15 Oct 2021 07:54 AM (IST) Updated:Fri, 15 Oct 2021 07:54 AM (IST)
Awareness Against Diseases on Vijayadashmi: बीमारी हैं दुश्मन, जागरुकता से करें प्रहार Aligarh News
हम विजय दशमीं पर इन बीमारियों के खिलाफ जागरुकता का संकल्प लें।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। बुराई पर अच्छाई का जश्न तो हम शुक्रवार को रावण के पुतले फूंककर मना लेंगे, पर जीवन के लिए संकट बन रहीं रावण रूपी भयंकर बीमारियों से कैसे मुक्ति मिलेगी? ये ऐसी बीमारी हैं, जिनके चलते अलीगढ़ में ही अनेक लोग असमय ही दुनिया से विदा हो चुके हैं। बड़ी संख्या में लोग इन बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। बचाव के प्रयास में सरकार हर साल करोड़ोंं रुपये खर्च कर रही है, लेकिन मात्र सरकारी प्रयास से इसे मात नहीं दे सकते। सेहत की जंग जागरुकता से ही जीती जा सकती है। इसलिए हमें खुद ही राम बनकर बीमारियों को हराना होगा। लक्ष्य तय कर आगे बढऩा होगा। आइए, हम विजय दशमीं पर इन बीमारियों के खिलाफ जागरुकता का संकल्प लें।

सेहत के दशानन

हृदय रोग

देशभर में एक अनुमान के मुताबिक लगभग 10 करोड़ लोग हृदय रोगी हैं। दुनिया भर में हर साल करीब दो करोड़ लोग इस बीमारी के कारण जान गंवा देते हैं। हालात नहीं सुधरे तो यह संख्या काफी अधिक हो सकती है। चिकित्सक इसका कारण खान-पान में बदलाव व तनाव मानते हैं। बुजुर्गों के साथ युवा भी तेजी से इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। जीवनशैली में बदलाव, संतुलित आहार, तंबाकू व शराब पर नियंत्रण को बढ़ावा देकर इस बीमारी से बचा जा सकता है।

डायबिटीज

डायबिटीज फेडरेशन की रिपोर्ट के अनुसार 20 से 79 वर्ष आयु वर्ग के लोगों को होने वाली डायबिटीज के मामले में भारत दूसरे नंबर पर है। चीन में 2019 तक 116.4 मिलियन डायबिटीज के मरीज थे। भारत में 2019 तक करीब 77 मिलियन मरीज थे। यह संख्या 2030 तक 101 मिलियन हो सकती है। बहुत से लोग तो जागरूकता के अभाव में जान गंवा बैठते हैं। यह बीमारी मरीज की आंखों में दिक्कत, किडनी और लिवर की बीमारी और हाथ-पैरों में दिक्कत कर देती है। संतुलित खानपान, परहेज, व्यायाम व तनाव मुक्त रहकर इस बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

हाइपरटेंशन (तनाव)

एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार देश में हाइपरटेंशन के मरीजों की संख्या काफी ज्यादा है। केवल 45 फीसद लोग ही इसके प्रति जागरूक हैं। हर चार में से तीन व्यक्ति ऐसे हैं, जिन्होंने हाइपरटेंशन के शिकार होने के बावजूद कभी अपने बीपी की जांच नहीं करवाई। चिकित्सकों के अनुसार चिंता के कारण ही मानव शरीर में हृदय, किडनी व मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियों पनपती हैं। हर साल लाखों लोगों की तनाव के चलते मौत हो जाती है। योग, व्यायाम, संतुलित आहार व नियमित उपचार से इस पर काबू पा सकता है।

जंक फूड

जंक फूड का चलन तेजी से बढ़ता जा रहा है। बच्चों के साथ युवा भी तेजी से इसके दीवाने हो रहे हैं, लेकिन यह मानव शरीर के लिए काफी नुकसान दायक है। इनमें विटामिन, मिनरल, कैल्सियम, प्रोटीन, फाइबर के नाम पर कुछ नहीं। हानिकारक केमिकल व अखाद्य वस्तुओं की मिलावट से लोग पेट, किडनी, कैंसर व अन्य बीमारियों की चपेट में जरूर आ रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार यह धीमे जहर की तरह होता है। इससे बचाव काफी जरूरी है।

इंटरनेट मीडिया

इंटरनेट मीडिया जहां सकारात्मक भूमिका अदा करता है, वहीं इसके कुछ नुकसान भी हैं। यह युवाओं व बच्चों के लिए तनाव, अशांति और क्रोध का कारण बन रही हैं। एक साथ कई सोशल साइट्स पर एक्टिव रहने के कारण युवाओं में मानसिक विकार उत्पन्न हो रहे हैं। उनकी पढ़ाई पर असर पड़ रहा है। याददाश्त में कमी, तनाव और चिड़चिड़ापन भी पनप रहा है। बच्चे स्वजन को कम, इंटरनेट मीडिया पर अधिक समय देते हैं। रेडिएशन से आंखों पर असर पड़ रहा है। इनका कम से कम प्रयोग कर बचा जा सकता है।

झड़ते बाल

दिनचर्या में बदलाव के चलते बाल झडऩे या समय से पूर्व सफेद होने की समस्या भी गंभीर हो रही है। महिलाओं में उम्र के साथ, प्रेगनेंसी, जेनेटिक्स, बीमारी व अन्य कई कारण है। पुरुषों में हार्मोन परिवर्तन, गंभीर रूप से बीमार पडऩे, कैंसर कीमियोथेरेपी, तनाव व संतुलित आहार न लेने से बाल उडऩे की समस्या बढ़ रही है। संतुलित आहार लेने व व्यायम करने से इससे बचा जा सकता है।

कमजोर याददाश्त

भागदौड़ भरी जिंदगी में बुजुर्ग ही नहीं, युवा भी भूलने की बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं। तनाव, एकाग्रता में कमी, नशा, मोबाइल व टीबी पर ज्यादा समय बिताने वाले लोगों को यह बीमारी तेजी से घेर रही है। परिवार में कोई न कोई सदस्य इस बीमारी से ग्रस्त है। लोग दैनिक उपयोग की वस्तुएं व कार्य भी भूल जाते हैं। नियमित दिनचर्या, योग-व्यायाम व खुश रहकर इससे निजात पाई जा सकती है।

सर्वाइकल स्पान्डिलाइटिस

आधुनिक जीवनशैली की कुछ प्रमुख बीमारियों में सर्वाइकल स्पान्डिलाइटिस भी है। कंप्यूटर पर अधिक देर तक काम करना, गलत तरीके से बैठना, आरामतलब जिंदगी, व्यायाम न करने की आदत तथा मानसिक तनाव से यह बीमारी होती है। महिलाएं व बच्चे भी इसकी गिरफ्त में आते हैं। योग की कुछ क्रियाओं से इसका पूरी तरह इलाज किया जा सकता है।

कोरोना महामारी

कोरोना बीमारी को लोग भुला नहीं पाएंगे। दुनिया भर में लाखों लोगों की मौत हो चुकी है। अभी भी इस बीमारी का पूरी तरह खात्मा नहीं हुआ है। अब से करीब 100 साल पहले भी स्पैनिश एनफ्लुएंजा ने ऐसी ही तबाही मचाई थी। कोरोना के खात्मे के लिए हमें शारीरिक दूरी का पालन करने और सार्वजनिक स्थानों पर मास्क लगाने की आदत को अभी नहीं भूलना चाहिए।

डेंगू

डेंगू मरीजों की आज अस्पतालों में भरमार है। अस्पतालों में हाउसफुल के बोर्ड भी लगने शुरु हो गए हैं। यह बीमारी एडीज मच्छर के काटने से होती है। इसी बीमारी का सबसे बड़ा बचाव मच्छरों से खुद को बचाना है। इसके जरूरी है कि घरों की छत पर बर्तन आदि में पानी जमा न किया जाए। फ्रीज की पानी की ट्रे व कूलर की सफाई भी नियमित हो। ये सब हम आसानी से कर भी सकते हैं।

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सेहत सबसे अहम है। अगर चाहें तो अपने दैनिक जीवन में थोड़ा बदलाव करके शरीर को स्वस्थ्य रख सकते हैं। कई बीमारियां ऐसी हैं, जो तनाव मुक्त व व्यायाम करने से ही ठीक हो जाती हैं। युवा व बच्चे फास्ट फूड के अधिक सेवन से परहेज करें।

डा. आनंद उपाध्याय, सीएमओ

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