Negligence of Municipal Corporation : शेल्‍टर होम जाना है तो कचरे को लांघकर जाएं Aligarh news

ये वाकई अफसोसजनक है। भुजपुरा में जो शेल्टर होम निराश्रितों काे आश्रय देने के लिए स्थापित कराया गया था वहां पहुंचने के लिए कचरे के ढेर से होकर जाना पड़ रहा है। ये स्थिति तब है जब शेल्टर होम के सामने ही मिनी एमआरएफ सेंटर (डलावघर) बना हुआ है।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 09:23 AM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 09:23 AM (IST)
Negligence of Municipal Corporation : शेल्‍टर होम जाना है तो कचरे को लांघकर जाएं Aligarh news
भुजपुरा शेल्‍टर होम के सामने सड़क पर फैला कचरा।

अलीगढ़, जेएनएन।  ये वाकई अफसोसजनक है। भुजपुरा में जो शेल्टर होम निराश्रितों काे आश्रय देने के लिए स्थापित कराया गया था, वहां पहुंचने के लिए कचरे के ढेर से होकर जाना पड़ रहा है। ये स्थिति तब है, जब शेल्टर होम के सामने ही मिनी एमआरएफ सेंटर (डलावघर) बना हुआ है। योजना थी कि कचरा डलावघर में डाला जाएगा। यहीं से नगर निगम के वाहन कचरा उठाएंगे। लेकिन, लापरवाह व्यवस्था में इस योजना का क्रियांवयन न हो सका। डलावघर पर छह माह से ताला है और कचरा शेल्टर होम के बाद बिखरा पड़ा है। गंदगी-दुर्गंध से लोगों का बुरा हाल है। मौजूदा हालात बताते हैं कि यहां किसी अधिकारी का दौरा नहीं हुआ। जबकि, हर माह इसकी देखरेख में एक लाख रुपये कार्यदायी संस्था को दिया जा रहा है।

शहर में तीन स्‍थायी शेल्‍टर होम

शहर में नगर निगम के तीन स्थायी शेल्टर होम हैं। इनमें गांधीपार्क, गूलर रोड और तीसरा भुजपुरा में है। 2016 में सपा सरकार में इसका निर्माण कराया था। 100 लोगों की क्षमता वाले दो मंजिला इस शेल्टर होम में कमरे, हाल, रसोई, बिजली, पानी की सुविधाएं हैं। नगर निगम हर माह इसकी देखरेख के लिए कार्यदायी संस्था को एक लाख रुपये देता है। कोराेना संकट में पीड़ित लोगों को यहां भी ठहराया गया था। जलभराव व अन्य आपदायों के विस्तापित लोग भी यहां शरण पाते हैं। शेल्टर होम के अंदर जितनी दुरुस्त व्यवस्थाएं हैं, उससे अधिक बदहाली इसके बाहर है। मुख्य मार्ग से शेल्टर होम की ओर मुड़ते ही कचरे का ढेर लगा मिलता है। इसी से होकर लोग शेल्टर होम तक पहुंचते हैं। आसपास के इलाके से कूड़ा एकत्र कर सफाई कर्मचारी यहीं डाल जाते हैं। स्थानीय लोग भी यहां कूड़ा फेेंकते हैं। लंबे समय से यही हो रहा है। इसे देखते हुए शेल्टर के सामने डलावघर बनवाया गया था। छह माह पूर्व निर्माण कार्य पूरा करने के बाद ताला डाल दिया गया, जो अब तक न खुल सका। फिर डलावघर बनाने का क्या औचित्य रहा। जो इंटरलाकिंग सड़क बनाई गईं थीं, वे भी कूड़े में दब गईं। ऐसी ही स्थिति रही तो शेल्टर होम में आश्रय पाए लोग बीमार पड़ जाएंगे। आसपास रह रहे लोग तो प्रभावित हो रही रहे हैं।

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