कोरोना से बचना है तो करिए यज्ञ बढ़ेगी इम्युनिटी, जानिए क्या है लाभ Aligarh news

सनातन संस्कृति को मानने वाले लोगों का कहना है कि यज्ञ से इम्युनिटी बढ़ती है। इसलिए प्राचीन समय में हमारे ऋषि-मुनि यज्ञ किया करते थे। त्रेतायुग में तो विश्वामित्र प्रभु श्रीराम को वन में सिर्फ यज्ञ की रक्षा के लिए ले गए थे।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 11:52 AM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 11:52 AM (IST)
कोरोना से बचना है तो करिए यज्ञ बढ़ेगी इम्युनिटी, जानिए क्या है लाभ Aligarh news
सनातन संस्कृति को मानने वाले लोगों का कहना है कि यज्ञ से इम्युनिटी बढ़ती है।

अलीगढ़, जेएनएन।  सनातन संस्कृति को मानने वाले लोगों का कहना है कि यज्ञ से इम्युनिटी बढ़ती है। इसलिए प्राचीन समय में हमारे ऋषि-मुनि यज्ञ किया करते थे। त्रेतायुग में तो विश्वामित्र प्रभु श्रीराम को वन में सिर्फ यज्ञ की रक्षा के लिए ले गए थे। इससे पता चलता है कि हमारे यहां यज्ञ की परंपरा अति प्राचीन है। वर्षों पहले लोग घर-घर हवन किया करते थे। वैश्विक महामारी के समय हमें एक बार फिर से यज्ञ के महत्व को समझना होगा। 

राधा मोहन मंदिर में महामृत्युंजय जाप का आयोजन 

वैश्विक महामारी से बचाव के लोग तमाम उपाय निकाल रहे हैं। पूजा-पाठ से लेकर अन्य तमाम चीजें कर रहे हैं, जिससे सुरक्षित रह सकें। हिंदू रक्षा सेना दल के कार्यकर्ताओं ने मामू भांजा स्थित राधा मोहन मंदिर में महायज्ञ और महामृत्युंजय जाप का आयोजन किया। सुबह नौ बजे महायज्ञ प्रारंभ हो गया। आचार्य काष्णिं कल्याणं शक्तिपीठ के आचार्य यश भारद्वाज ने कहा कि कोरोना से पूरा देश सहमा हुआ है। डाक्टर, वैज्ञानिक प्रयास कर रहे हैं, मगर इससे निजात पाने का कोई उपाय नहीं निकल रहा है। तेजी से संक्रमण फैलने के चलते सरकार भी पस्त हो गई है, उसे भी कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है। पूरे देश में त्राहि-त्राहि मची हुई है। ऐसा लग रहा है कि मानों सभ्यता बचेगी ही नहीं?

सभी को मिलकर करना चाहिए यज्ञ 

आचार्य ने कहा कि ऐसे समय में सभी को मिलकर यज्ञ करना चाहिए। यज्ञ में इतनी शक्ति है कि वह पूरे वातावरण को शुद्ध कर देता है। साथ ही जो व्यक्ति अग्नि के सामने बैठकर यज्ञ करता है, उसके शरीर के तत्व सक्रिय हो जाते हैं। मंत्रोच्चार से श्वांस क्रिया ठीक होती है। गायत्री मंत्र जाप से भी गले की कोई समस्या होती है वो ठीक हो जाती है। यदि कोई व्यक्ति दो घंटे तक लगातार यज्ञ के सामने बैठ लेता है तो उसकी इम्युनिटी पावर बढ़ जाती है। इसलिए इस समय पूरे देश में घर-घर यज्ञ होना चाहिए। पूरे परिवार के साथ बैठक यज्ञ में आहुति छोड़नी चाहिए। विश्व कल्याण की कामना करनी चाहिए, जिससे हम कोराेना की लड़ाई से जीत सकें। आचार्य ने कहा कि त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा की थी। इससे पता चलता है कि हमारे यहां प्राचीन समय से यज्ञ का महत्व है। मीडिया प्रभारी ललित वाष्र्णेय ने कहा कि यज्ञ की सामग्री से जो धुआं उठता है वो वातावरण को शुद्ध करता है। वातावरण में जितने कीटाणु होते हैं, उन्हें समाप्त कर देता है। सकारात्मक स्वरुप प्रदान करता है। यज्ञ करने वाले व्यक्ति के चेहरे पर तेज होता है। इसलिए हमारे ऋषि-मुनियों के चेहरे पर तेज हुआ करता था। 

यज्ञ में बैठने से शारीरिक क्रियाएं सक्रिय होती हैं

गौरंग देव चौहान ने कहा कि यज्ञ में बैठने से शारीरिक क्रियाएं सक्रिय हो जाती हैं। बार-बार हाथ को आगे करके आहुति यज्ञ में छोड़नी होती है, जिससे पूरे शरीर में हलचल होता है। इसलिए इस समय घर-घर यज्ञ होना चाहिए। विशाल आनंद ने कहा कि हमारे देश में जो भी परंपराएं हैं, वो वैज्ञानिक पर आधारित हैं, वो प्रमाणित भी करती हैं कि कैसे मनुष्य को उसका लाभ मिलता है। यज्ञ के बारे में भी तमाम देशों में शोध हो रहा है, सब मान रहे हैं कि इसके नियमित करने से व्यक्ति सकारात्मक रहता है और उसके अंदर ऊर्जा बनी रहती है। कार्यक्रम मे ंयतींद्र, किशन, माधव, पवन भारद्वाज आदि मौजूद रहे।

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