अलीगढ़ के इस अस्‍पताल में नहीं है स्टाफ, मरीज कैसे होंगे रोग मुक्‍त, खुद लगाइए अंदाजा

जट्टारी में देहात में स्वास्थ्य सुविधाओं की रीढ़़ की हड्डी समझेे जाने वालेे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को संजीवनी की आवश्यकता है। मानव संसाधन चिकित्सीय उपकरण से लेकर अच्छी इमारतों की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही है। ऐसा हाल है टप्पल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Fri, 28 May 2021 06:50 AM (IST) Updated:Fri, 28 May 2021 06:50 AM (IST)
अलीगढ़ के इस अस्‍पताल में नहीं है स्टाफ, मरीज कैसे होंगे रोग मुक्‍त, खुद लगाइए अंदाजा
रीढ़़ की हड्डी समझेे जाने वालेे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को संजीवनी की आवश्यकता है।

अलीगढ़, धर्मपाल शर्मा। जट्टारी में देहात में स्वास्थ्य सुविधाओं की रीढ़़ की हड्डी समझेे जाने वालेे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को संजीवनी की आवश्यकता है। मानव संसाधन, चिकित्सीय उपकरण से लेकर अच्छी इमारतों की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही है। ऐसा ही कुछ हाल है इन दिनों टप्पल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है। इस स्वास्थ्य केंद्र पर कुल 30 बेड हैं। इनमें 15 बेड कोरोनावायरस के चलते छेरत के लिए शिफ्ट कर दिए गए हैं। महज 15 बेड से ही काम चलाया जा रहा है। स्वास्थ्य केंद्र पर पर्याप्त स्टाफ भी उपलब्ध नहीं हैं। हाल यह है कि स्टाफ न होने के चलते संशाधनों का प्रयोग तक नहीं हो पा रहा है। अस्पताल में 33 लोगों का स्टाफ है। इनमें से 15 लोगों को अलीगढ़ मुख्यालय पर संबंद्ध कर रखा है। बाकी के 17 लोग अस्पताल ड्यूटी शिफ्ट व गांव में जाकर चेकिंग करते हैं। तीन साल से अस्पताल में कोई भी महिला डाक्टर नहीं हैं। चिकित्सा अधीक्षक के भरोसे ही पूरा अस्पताल चल रहा है। अगर अधीक्षक निगरानी समिति की सर्वे या अन्य किसी प्रशासनिक कार्य के लिए चले गए तो ग्रामीण मरीज इलाज के लिए इंतजार ही करते रहते हैं।

 

अस्पताल के स्टाफ पर नजर

अस्पताल में डाक्टरों के चार पद हैं। इनमें एक डाक्टर उपलब्ध है। एक डाक्टर चिकित्सा अधीक्षक है, जो प्रशासनिक कार्य में व्यस्त रहते हैं। यही डाक्टर इलाज की जिम्मेदारी संभालते हैं। एक लेडीज डाक्टर को सप्ताह में 3 दिन के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र टप्पल पर अटैच कर रखा है। वार्ड ब्वाय के 2 पद हैं। इनमें एक महीने में एक बार ही आता है। सफाई कर्मचारी के पद पर 2 स्थाई कर्मचारी व दो ठेकेदारी कर्मचारी हैं। इनमें से एक ठेकेदार सफाई कर्मचारी आता है। प्रत्येक दिन तीन सौ से चार सौ कोरोना एंटीजन आरटी पीसीआर जांच की जाती है। इसके अलावा मरीजों को खांसी, जुखाम व बुखार की दवा भी दी जाती हैं।

टीकाकरण की सुविधा

18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए वैक्सीनेशन की सुविधा है। 45 से अधिक उम्र व 18 से अधिक उम्र वालों के लिए टीकाकरण के अलग-अलग बूथ बनाए गए हैं। टीकाकरण कराने वालों की संख्या बढ़ने पर तीसरा काउंटर भी लगा दिया जाता है। प्रतिदिन लगभग 500 लोगों का टीकाकरण किया जा रहा है।

ग्रामीण क्षेत्र में सर्वे

ग्रामीण क्षेत्र में सर्वे आशाओं द्वारा किया जा रहा है। सीएचसी से जुड़े 2 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 27 उप केंद्र जिनमें से एक सारौल गांव में उप केंद्र डंप है। दूसरा उप केंद्र कनसेरा आनलाइन नहीं है। 25 केंद्रों पर 17 एएनएम की तैनाती है 10 एएनएम कम है। इसके बारे में अस्पताल प्रबंधन द्वारा कई बार उच्च अफसरों को अवगत कराया गया है, लेकिन फिर भी तैनाती नहीं हुई है। एंटीजन किट आरटी पीसीआर किट द्वारा जांच कर रही हैं। निगरानी समितियों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य केंद्र अधीक्षक के नेतृत्व में सर्वे किया जा रहा है। इसमें प्रतिदिन 7से 8 बैठक करते हैं। कोरोना के लक्षण वाले मरीजों को अब तक 2200 किट बांटी जा चुकी है।समस्याओं का अंबार

टप्पल सीएससी के दो भवन बने हुए हैं। इनमें एक में डाक्टर व स्टाफ के लिए बने आवास हैं। 30 बेड की सुविधा का एक स्वास्थ्य केंद्र अस्पताल है, लेकिन 15 बेड के अस्पताल को छेरत के लिए शिफ्ट कर दिया है। प्रसूताओं के लिए आठ बेड का अस्पताल है। ऐसे में आधे बेड में ही अन्य मरीजों का काम किया जा रहा है।

अस्पताल का हाल

कोरोना काल के चलते ओपीडी काउंटर को बाहर लगा रखा है, वहीं पर कुत्ता काटने के इंजेक्शन व दवाएं वितरित की जा रही हैं। कोरोना काल में गर्भवती महिलाएं जांच के लिए बहुत कम आती है। कोरोना के चलते सीएचसी पर ओपीडी बाहर खोल रखी है। इमरजेंसी में भी हर दिन मरीज पहुंचते हैं। स्वास्थ्य केंद्र पर 24 घंटे इलाज किया जा रहा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर सभी दवा उपलब्ध है।

चारदीवारी तक नहीं हैं

अस्पताल की चारदीवारी ना होने की वजह से अस्पताल का अस्तित्व ही नहीं है। अस्पताल मैं प्रवेश करते समय यह आभास नहीं होता है कि हम अस्पताल में प्रवेश कर रहे हैं। आवारा पशु तक यहां घूमते रहते हैं।

मेरे पिता को टीबी की शिकायत है। मै लगातार दो दिन से अस्पताल आ रहा हूं, लेकिन यहां पर इलाज नहीं मिल रहा है। चिकित्सक कोरोना की जांच के नाम पर टरका रहे हैं। काेरोना की जांच रिपोर्ट छह-छह दिन में आती है। तब तक मेरे पिता को काफी दिक्कत होगी।

सुखवीर, किशनपुर

मेरी छह दिन पहले कोरोना आरटीपीसीआर की जांच हुई थी, लेकिन अब तक जांच रिपोर्ट नहीं आई है। इसके चलते चिकित्सक इलाज नहीं कर रहे हैं। मुझे टीबी की शिकायत है। इलाज न मिलने के कारण परेशानी होती है।

-पवन, फोजुआका

अलीगढ़ पलवल मार्ग का चौड़ीकरण होने के समय अस्पताल की चारदीवारी को तोड़ दिया गया था। इसकी वजह से बाहर से अस्पताल का अस्तित्व खत्म दिखाई देता है। क्षेत्र के किसी भी जनप्रतिनिधि या संबंधित अधिकारी से कोई सहयोग नहीं मिल रहा। अगर जनप्रतिनिध चाहें तो अस्पताल का अस्तित्व बना रहे । मरीजों को बेहतर इलाज दिलाने के पूरे प्रयास किए जाते हैं।

-डा. ब्रजेश, अधीक्षक, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र टप्पल

chat bot
आपका साथी