Preventing Dengue Malaria : केरोसिन नहीं मिला तो धुएं से मारने पड़ेंगे मच्छर, ये है मामला Aligarh News

जिले में डेंगू और मलेरिया के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए फोगिंग व पायरेथ्रम दवा का छिड़काव केवल प्रभावित क्षेत्रों तक सिमट गया है। दरअसल पायरेथ्रम दवा में मिलाने के लिए केरोसिन ही मलेरिया विभाग या सीएमओ कार्यालय में खत्म हो चला है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Thu, 09 Sep 2021 11:27 AM (IST) Updated:Thu, 09 Sep 2021 11:27 AM (IST)
Preventing Dengue Malaria :  केरोसिन नहीं मिला तो धुएं से मारने पड़ेंगे मच्छर, ये है मामला Aligarh News
विभाग के पास इस समय करीब 100 लीटर केरोसिन ही बचा है।

अलीगढ़, जेएनएन। जिले में डेंगू और मलेरिया के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए फोगिंग व पायरेथ्रम दवा का छिड़काव केवल प्रभावित क्षेत्रों तक सिमट गया है। दरअसल, पायरेथ्रम दवा में मिलाने के लिए केरोसिन ही मलेरिया विभाग या सीएमओ कार्यालय में खत्म हो चला है। लिहाजा, विकल्प के तौर पर अब काफी घरों व प्रतिष्ठानों में फागिंग (धुआं) की जा रही है। विभाग ने जिला प्रशासन और जिला पूर्ति विभाग से भी मदद मांगी, मगर समाधान नहीं हो सका।

पायरेथ्रम का छिड़काव जरूरी

नेशनल बेक्टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम (एनबीडीसीपी) की गाइडलाइन के अनुसार घर के भीतर मच्छर मारने के लिए पायरेथ्रम दवा का छिड़काव होने चाहिए। दूसरा विकल्प फागिंग का है। लेकिन, इन दिनों मलेरिया विभाग की टीमें पायरेथ्रम दवा के छिड़काव से अधिक फागिंग करते हुए अधिक देखा जा रहा है। एक लीटर पायरेथ्रम दवा में 19 लीटर तक केरोसिन मिलाना होता है। इन दिनों चार से पांच सौ घरों में लार्वारोधी कार्यवाही की रिपोर्ट खुद विभाग की है। जबकि, विभाग के पास इस समय करीब 100 लीटर केरोसिन ही बचा है।

डीएम को दी सूचना

मलेरिया विभाग सप्ताहभर से केरोसिन के लिए परेशान है। बाजार में केरोसिन सहज उपलब्ध नहीं है। सीएमओ ने डीएम को समस्या से अवगत कराते हुए मदद मांगी। डीएम ने जिला पूर्ति अधिकारी को निर्देशित किए, लेकिन आपूर्ति बंद होने से कारण उन्होंने असमर्थता प्रकट कर दी। ऐसे में विभाग को अपना अभियान जारी रखने के लिए जल्द से जल्द केरोसिन की जरूरत होगी।

जरूरी है पायरेथ्रम

- फागिंग का असर कुछ समय तक ही रहता है, धुआं खत्म होते ही मच्छर फिर पनप जाते हैं।

पायरेथ्रम दवा युक्त केरोसिन के छिड़काव से घरों के कोने, रुके हुए पानी व अन्य स्थानों पर छिपे मच्छर व लार्वा नष्ट हो जाते हैं।

- कई लोगों को धुएं से एलर्जी होती है, इसलिए वे फागिंग कराने से बचते हैं, हालांकि कुछ लोगों को पायरेथ्रम से भी परेशानी होती है।

मलेरिया विभाग की टीमें केवल उन्हीं क्षेत्रों में जाकर लार्वारोधी कार्यवाही करती हैं, जिनमें डेंगू का कोई मरीज मिलता है। अभी डेंगू के ज्यादा मरीज नहीं मिले है, इसलिए केरोसिन की ज्यादा जरूरत भी नहीं है। वहीं, इसी गंध के चलते काफी लोग घर में पायरेथ्रम का छिड़काव भी नहीं करवा रहे। बाजार से केरोसिन खरीदने के प्रयास किए जा रहे हैं।

- डा. राहुुल कुलश्रेष्ठ, डीएमओ।

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