हाथरस में एक रुपये के पर्चे पर सौ रुपये की दवाई!

जिला अस्पताल में मुफ्त उपचार और दवा की आस लेकर पहुंचने वाले मरीजों को निराशा हाथ लग रही है। सरकार की मंशा के विपरीत डॉक्टर सरकारी पर्चे पर ही मरीजों को बाहर की दवाएं लिख रहे हैं।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Publish:Fri, 22 Feb 2019 08:11 PM (IST) Updated:Sat, 23 Feb 2019 09:18 AM (IST)
हाथरस में एक रुपये के पर्चे पर सौ रुपये की दवाई!
हाथरस में एक रुपये के पर्चे पर सौ रुपये की दवाई!

हाथरस (जेएनएन)।  जिला अस्पताल में मुफ्त उपचार और दवा की आस लेकर पहुंचने वाले मरीजों को निराशा हाथ लग रही है। सरकार की मंशा के विपरीत डॉक्टर सरकारी पर्चे पर ही मरीजों को बाहर की दवाएं लिख रहे हैं। एक रुपये का पर्चा लेकर इलाज को पहुंच रहे गरीब मरीज सैकड़ों रुपये की दवाएं बाहर से खरीदने को मजबूर हैं। हैरत की बात यह है कि अस्पताल प्रशासन को इसमें कोई बुराई नजर नहीं आती। अधिकारियों के मुताबिक मरीज जिला अस्पताल परिसर में मौजूद प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र से दवाएं खरीद सकते हैं, क्योंकि केंद्र पर सस्ती दरों पर दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।

पर्चों के पीछे लिख रहे बाहर की दवा
प्रदेश सरकार के आदेश के मुताबिक सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर ऐसी कोई दवा पर्चे पर नहीं लिखेंगे जो अस्पताल में न हों। सभी अस्पतालों को हर मर्ज की दवाएं रखने का आदेश दिया गया है। बावजूद इसके जिला अस्पतालों के ड्रग स्टोर से ज्यादातर मरीजों को खाली हाथ ही लौटना पड़ता है। आम मर्ज की दवाएं भी यहां नहीं मिलतीं। गंभीर बीमारियों की बात तो दूर अस्पताल में बेहद आम खांसी के सीरप, खुजली के ट््यूब, आई ड्रॉप, पेन किलर और एंटी बायोटिक जैसी मामूली दवाएं भी मरीजों को नहीं दी जातीं। पर्चे पर आगे की ओर उन दवाओं को लिखा जाता है जो अस्पताल से मिल सकती हैं। इनमें वही 10-12 तरह की गोलियां शामिल हैं जो सभी को दी जाती हैं। पर्चे के पीछे उन दवाओं को लिखा जाता है, जिन्हें बाजार से खरीदना हो। इसके अलावा डॉक्टर कागज की पर्चियां भी अपने पास रखते हैं, इन पर भी मरीजों को बाहर की दवाएं लिख दी जाती हैं।

मरीज पर भारी आधी दवा का खेल
जिला अस्पताल में बीते कई महीनों से आधी दवा का खेल चल रहा है। अस्पताल से वैसे ही पूरी दवा नहीं मिल पाती, लेकिन जो दवा दी भी जाती है, उसकी खुराक आधी कर दी जाती है, दवा की बचत करने के लिए अस्पताल की यह तरकीब मरीजों की जान पर भारी पड़ सकती है। योगी सरकार का आदेश है कि किसी भी मरीज को पांच दिन से कम की दवा नहीं दी जाए। सरकार के आदेश को अमली जामा पहनाने के लिए अस्पताल प्रशासन ने पांच दिन की दवा तो देना शुरू कर दिया, लेकिन दिन में दो खुराक की जगह एक खुराक ही मरीजों को दी जा रही है।

औषधि केंद्र पर दवाओं का टोटा 
प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र पर भी बहुत सी दवाएं नहीं हैं। औषधि केंद्र की 'ना' मरीजों को बहुत महंगी पड़ती है। मरीजों को दवाएं बाहर की दुकानों से खरीदनी पड़ती हैं। अस्पताल के पास मौजूद दवा की दुकानों पर हर रोज सैकड़ों मरीज जिला अस्पताल का पर्चा लेकर दवा खरीदने पहुंचते हैं। यहां मरीजों को कहीं ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है।

अस्पताल में हर मर्ज की दवा!
सीएमएस डॉ. आईवी ङ्क्षसह के मुताबिक जिला अस्पताल में हर मर्ज की दवा मौजूद है। गंभीर और असाध्य बीमारियों की दवा भी मरीजों को दी जा रही है। बाहर की दवाएं लिखे जाने पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र से मरीज दवाएं खरीद सकते हैं। यहां सस्ती दवाएं मिलती हैं। हर अस्पताल में सरकार ने औषधि केंद्र की स्थापना ही इसलिए की है ताकि मरीजों को सस्ती दर पर दवा उपलब्ध हो सके।

बोले मरीज

बाजार से खरीदी हैं दवा
सादाबाद के अलीशेर बताते हैं कि मैं अपनी आंख दिखाने आया था। डॉक्टर ने मुझे जो आई ड्रॉप लिखा था, वो अंदर से मिला ही नहीं। अस्पताल में कह दिया कि आई ड्रॉप नहीं है। औषधि केंद्र से मैने दवा और आई ड्रॉप खरीदे हैं। गांव रोहई के अमर का कहना है कि एक्सीडेंट में घायल होने के बाद सुबह अस्पताल में दिखाया था। डॉक्टर ने पर्चे के पीछे दर्द की दवा लिखी थी। अंदर से तीन तरह की कुछ गोली मिली। पर्चे के पीछे लिखी दवाई मैने बाजार से खरीदी हैं। सोनई हरीश बताते हैं कि अंदर से सभी को एक ही तरह की गोलियां दे रहे हैं। 10-12 तरह की दवाएं हैं, सबको वही गोली दे रहे हैं। मुझे तो पर्चे के पीछे दवा लिख दी है। मैने बाजार से दवा खरीद ली है।

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