पंचायत चुनाव की अग्नि परीक्षा में दांव पर माननीयों की प्रतिष्ठा Aligarh news
सभी माननीय अपने क्षेत्रों के प्रत्याशियों के लिए पूरा दमखम लगाने की तैयारी में हैं। हर किसी का मकसद अपने क्षेत्र से ज्यादा से ज्यादा प्रत्याशियों को जिताकर पंचायत भवन में भेजने का है। यही माननीयों का रिपोर्ट कार्ड होगा।
सुरजीत पुंढीर, अलीगढ़ । 2022 के विधानसभा चुनावों का सेमीफाइनल कहे जा रहे पंचायत चुनाव में सत्ताधारी पार्टी के माननीयों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लग गई है। इन चुनावों के परिणाम के आधार पर ही भविष्य की नींव रखी जाएगी। इसी के चलते सभी माननीय अपने क्षेत्रों के प्रत्याशियों के लिए पूरा दमखम लगाने की तैयारी में हैं। हर किसी का मकसद अपने क्षेत्र से ज्यादा से ज्यादा प्रत्याशियों को जिताकर पंचायत भवन में भेजने का है। यही माननीयों का रिपोर्ट कार्ड होगा। वहीं, इन चुनावों में योगी सरकार की लाभार्थी परक योजनाओं के नाम से भी प्रत्याशी मतदाताओं को रिझाने का प्रयास करेंगे। हालांकि, इसका कितना असर रहता है तो यह तो दो मई के परिणाम ही तय करेंगे।
29 अप्रैल को मतदान
जिले में चाैथे चरण के तहत 29 अप्रैल को मतदान होना हैं। गुरुवार से नामांकन की शुरुआत हो चुकी है। ऐसे में गांव देहात की राजनीति इन दिनों पूरे चरम पर पहुंच गई है। राजनीतिक पार्टियों भी पूरी गठजोड़ में लगी हैं। सबसे अधिक फोकस जिला पंचायत सदस्य पद पर रहता है। हालांकि, इन चुनावों में पार्टियों का सिंबल नहीं रहता है, लेकिन भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस और आप ने जिला पंचायत सदस्य के पद पर अधिकृत उम्मीदवार उतारने का एलान किया है। अधिकृत उम्मीदवारों की जिताने की जिम्मेदारी संगठन के साथ ही क्षेत्रीय विधायकों, सांसद व स्थानीय प्रभावशाली नेताओं को सौंपी गई है। ऐसे में भाजपा के तीन सांसद, सात विधायक व दो एमएलसी हैं। 2022 में विधानसभा के चुनाव भी होने हैं। इसी के चलते इन माननीयों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी गई है। आने वाले समय में मौजूदा विधायकों व विधानसभा चुनाव में टिकट के दावेदारों को अपने क्षेत्रों से अच्छे परिणाम दिखाने होंगे। इसी के आधार पर तय होगा कि मौजूदा समय में इन माननीयों का जनाधार किस स्तर पर है। विधायकों व सांसदों के क्षेत्र में अधिकृत प्रत्याशियों की जीत-हार से तय होगा कि मतदाताओं में किसकी कितनी पकड़ है। सूत्रों के मुताबिक तो पंचायत चुनाव कई बड़े माननीयों के समीकरण बिगाड़ बना सकते हैं।
सपा, बसपा व कांग्रेस में संगठन की जिम्मेदारी
जिले में सपा, बसपा व कांग्रेस का कोई भी विधायक या सांसद नहीं हैं, लेकिन पार्टी ने सभी वार्डों के लिए अपने-अपने प्रत्याशी घोषित किए है। ऐसे में इन पार्टियों में संगठन के ऊपर पंचायत चुनाव की सफलता की जिम्मेदारी होगी। जिला संगठन की टीम को पार्टी के अधिक से अधिक प्रत्याशियों को जीत दिलाने के लिए मेहनत करनी होगी।
24 सदस्यों पर बनेगा अध्यक्ष
जिले में कुल 47 जिला पंचायत सदस्य हैं। ऐसे में कुल 24 सदस्य पाने वाली पार्टी का जिला पंचायत अध्यक्ष बनेगा। ऐसे में सभी पार्टियों इसी हिसाब से तैयारियां कर रही हैं। हालांकि, इन चुनावों में निर्दलीय प्रत्याशियों की भी अहम भूमिका होती है। हर बार 10-12 से ज्यादा निर्दलीय प्रत्याशी जीतते हैं।