मिनी औद्योगिक आस्थान जवां में फैक्ट्री की जगह बना दिए घर, जानिए मामला Aligarh news

योगी सरकार उद्योगों को प्रोत्साहन करने के लिए भले ही दमखम दिखा रही हो मगर जमीनी सच्चाई इतर है। ग्रामीण अंचल के हुनर को पर लगाने के लिए 23 साल पहले जिले में दो औद्योगिक आस्थानों को राज्य सरकार की ओर से विकसित करने की योजना थी।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 09:03 AM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 09:20 AM (IST)
मिनी औद्योगिक आस्थान जवां में फैक्ट्री की जगह बना दिए घर, जानिए मामला Aligarh news
ताला नगरी 31 साल बीत जाने के बाद भी विकसित नहीं हो सकी है।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता।  योगी सरकार उद्योगों को प्रोत्साहन करने के लिए भले ही दमखम दिखा रही हो, मगर जमीनी सच्चाई इतर है। ग्रामीण अंचल के हुनर को पर लगाने के लिए 23 साल पहले जिले में दो औद्योगिक आस्थानों को राज्य सरकार की ओर से विकसित करने की योजना थी। अलीगढ़-अनूप शहर रोड स्थित जवां औद्योगिक आस्थान को विकसित करने के बाद सभी 38 प्लाटों को व्यापारियों के लिए आवंटित कर दिया गया। मगर फैक्ट्री किसी ने नहीं डाली। कुछ ने फैक्ट्री की जगह मकान बना डाले।

फैक्‍ट्री के लिए आवंटित भूमि पर बन गए मकान

जवां औद्योगिक आस्थान में आयरन के जंगला, चौखट व अन्य बिल्डिंग निर्माण में प्रयोग किए जाने वाले उत्पादन, थ्रेसर सहित अन्य कृषियंत्र व अन्य उत्पादनों के निर्माण के लिए इस आस्थान को विकसित किया गया था। आवंटियों ने संसाधनों का जब अभाव बताया, तो सरकार की ओर से नए सिरे से पिछले साल एक करोड़ 20 लाख रुपये की सीमेंटेड सड़क, लोहे का मुख्य गेट का निर्माण करा दिया। बिजली के पहले लगे तार व पोल जर्जर पहले ही हो गए। जिला उद्योग विभाग का कार्यालय भी जर्जर हो गया। जिन तीन से चार लोगों को फैक्ट्री के लिए जगह आवंटित की गई उन्होंने घर बनाकर बिजली के घरेलू कनेक्शन भी ले लिए।

40 प्‍लाट आवंटित किए गए 

खैर में मिनी औद्योगिक आस्थान अलीगढ़-पलवल मार्ग पर स्थित है। इसमें 40 प्लाट आवंटित किए गए। इस आस्थान में अलीगढ़ की शक्ति इंटरनेशनल कंपनी की उत्पादन यूनिट कोे छोड़कर किसी भी आवंटी ने उत्पादन यूनिट नहीं लगाई। जिन आवंटियों ने भूखंड को निवेश के परवज से लिया था, ऐसे 13 आवंटियों को चिन्हित कर उनके प्लांट कैंसिल कर दिए गए। दो एससी वर्ग के आवंटियों को समय देकर बख्सा गया। 11 को कोई मौका नहीं दिया गया। उनके भूखंड दूसरों को आवंटित कर दिए। अतरौली में वर्ष 1980 में औद्योगिक आस्थान विकसित की गई। यहां 10 टिन शैड बनाकर उद्यमियों को आवंटित किए गए। यहां सभी 30 प्लाट आंवटित किए गए। यहां कुछ प्लाटों पर ऐसी यूनिट स्थापित कर दी हैं, जिनके लिए प्लाटों का आवंटन ही नहीं हुआ।

छेरत सी एंड एफ भी नहीं हुई विकसित

उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम (यूपीसीडा) ने वर्ष 2008 में अलीगढ़- अनूप शहर रोड छेरत स्थित सी एंड एफ औद्योगिक क्षेत्र को विकसित किया गया। यहां कुल 120 प्लाट हैं। इनमें 200, 600, एक हजार, तीन हजार व पांच हजार वर्ग मीटर के प्लाट हैं। इनमें 200 व छह सौ वर्ग मीटर के अधिकांश प्लाट आवंटित किए जा चुके हैं। हाल ही में सात प्लाट पांच-पांच हजार वर्ग मीटर के आवंटित किए गए हैं। यहां अधिकांश यूनिट ताला-हार्डवेयर व आर्टवेयर की लगना प्रस्तावित हैं। 28 प्लाट के आवंटी व यूपीसीडा अफसरों में मेंटीनेंस शुल्क, जुर्मान व अन्य विवादों के चलते फंसे हुए हैं। उन पर निर्माण कार्य नहीं हो पा रहा है। एफ ब्लाक में नई सड़क बनाई गई थी। मुख्य सड़क जर्जर होने के चलते 70 टन के सीमेंट से लोड ट्रक निकलने के चलते यह भी जर्जर हो चुकी है। पास में ही एक सीमेंट फैक्ट्री है। स्ट्रीट लाइट व सुरक्षा ठीक न होने पर व्यापारी फैक्ट्री का निर्माण करने से कतरा रहे हैं।

31 साल में नहीं विकसित हो सकी ताला नगरी

ताला नगरी 31 साल बीत जाने के बाद भी विकसित नहीं हो सकी है। कुल 1380 प्लाटाें में से अबतक 1200 प्लाट आवंटित किए गए हैं। बार बार समयअविधि बढने के बाद भी जब फैक्ट्रियों का निर्माण नहीं हुआ, तो 50 प्लाट कैंसिल कर दिए गए। 10 फीसद भूखंड ऐसे हैं, जहां बाउंड्री वाल होने के बाद भी फैक्ट्रियों का संचालन नहीं हो रहा। 12 से 15 फीसद ऐसे उद्यमी हैं, जिन्होंने अपने भूखंडों को किराए पर दे दिया है। जर्जर सड़कों का निर्माण हो चुका है। सीसी केमरा लगना शुरू हो गया है। हाइट वैरियर लगाए जा रहे हैं। पथ प्रकाश व्यवस्था ध्वस्त है।

इनका कहना है

जवां औद्योगिक आस्थान के आवंटियों को नोटिस जारी किए गए हैं। कई बार चेतावनियों के बाद भी फैक्ट्रियों का निर्माण नहीं हुआ है। इनके आवंटन निरस्त किए जाएंगे। नए उद्यमियों को मौका दिया जाएगा। ऐसी प्रक्रिया खैर में भी चल रही है।

- श्रीनाथ पासवान, उपायुक्त उद्योग, अलीगढ़

पिछले छह माह से आवंटी उद्यमी अपनी फैक्ट्री लगाने की पूरी कोशिश में हैं। सात बड़े प्लाटों का हाल ही में आवंटन प्रक्रिया की गई है। सड़क जर्जर हैं, बिजली की व्यवस्था ठीक नहीं। मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। कानूनी प्रक्रिया में फंसे प्लाटों का मामले निस्तारित किए जाएं।

आरिफ मीर, महामंत्री, सी एंड एफ इंडस्ट्रियल एरिया विकास एसोसिएशन

फर्नीचर उद्योग के लिए प्लाट लिया था, निकट कालोनी के तीन गेट हैं, एक पर भी गेट नहीं। चारो ओर गंदगी है। गोबर व भूसा बिखरा पड़ा है। बिजली की व्यवस्था नहीं। ऐसे में कैसे उद्योग को कैसे विकसित किया जाए। समझ में नहीं आ रहा।

- किशन पाल सिंह, आवंटी, जवां औद्योगिक आस्थान

मेरा रजिस्ट्रेशन मसाला उद्योग से है लेकिन बिजली न होने के कारण अभी उद्योग स्थापित नहीं किया है। भैंस पालकर अपना गुजारा कर रही हूं। औद्योगिक कॉलोनी में सुरक्षा के कोई भी इंतजाम नहीं है ना गेट हैं ना कोई गार्ड मेरे यहां अब तक पांच बार चोरी हो चुकी है।

- नूर फातिमा, आवंटी जवां औद्योगिक आस्थान

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