World Hepatitis Day : लीवर की बीमारियों का सबसे बड़ा कारण हेपेटाइटिस Aligarh news

हेपेटाइटिस बी या सी संक्रमित खून इंजेक्शन संक्रमित ब्रश आदि के इस्तेमाल से लिवर में प्रवेश करता है। समय पर इलाज न हो लिवर कैसर लीवर डैमेज लीवर फेल्योर समेत कई गंभीर बीमारियों का जन्म देता है। इससे मरीज की मौत तक हो जाती है।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 10:20 AM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 10:21 AM (IST)
World Hepatitis Day : लीवर की बीमारियों का सबसे बड़ा कारण हेपेटाइटिस Aligarh news
बरसात में हेपेटाइटिस ए के सबसे ज्यादा मरीज सामने आते हैं।

विनोद भारती, अलीगढ़ । हेपेटाइटिस एक संक्रामक रोग है। यूं तो इसके कई कारण हैं बरसात में हेपेटाइटिस ए के सबसे ज्यादा मरीज सामने आते हैं। समय पर उपचार न हो तो यह हेपेटाइटिस बी या सी में बदल जाता है। हालांकि, हेपेटाइटिस बी या सी संक्रमित खून, इंजेक्शन, संक्रमित ब्रश आदि के इस्तेमाल से लिवर में प्रवेश करता है। समय पर इलाज न हो लिवर कैसर, लीवर डैमेज, लीवर फेल्योर समेत कई गंभीर बीमारियों का जन्म देता है। इससे मरीज की मौत तक हो जाती है। आज ‘वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे’ पर जानते हैं, क्या है वायरल हेपेटाइटिस, इसके प्रकार, कारण और लक्षण...

लिवर की खतरनाक बीमारी

किशनपुर तिराहा, रामघाट रोड स्थित पेट व लिवर रोग विशेषज्ञ डा. अभिनव वर्मा ने बताया कि लिवर हमारे शरीर का सबसे अहम अंग है। यह पाचन में अहम भूमिका निभाता है। शरीर से विशैले पदार्थों को बाहर निकालना, खून को फिल्टर करना तथा हार्मोन को बनाने के साथ-साथ एनर्जी बढ़ाने का काम भी करता है। बदलती जीवन, खानपान, शराब का सेवन, मोटापा, क्लोरीन युक्त पानी का सेवन समेत तमाम कारणों से लोगों का लिवर कम उम्र में ही खराब होने लगा है। हेपेटाइटिस लिवर की समस्या का प्रमुख कारण है।

तीन तरह की हेपेटाइटिस

किलकारी हास्पिटल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. विकास मेहरोत्रा ने बताया कि हेपेटाइटिस वायरल मुख्यत: तीन प्रकार का है-ए, बी व सी। हेपेटाइटिस ए, सबसे ज्यादा बरसात के मौसम में दूषित पेयजल के सेवन से होता है। जलभराव व सीवर लाइन लीकेज से पेजयल दूषित हो जाता है। यह बीमारी किसी को भी हो सकती ही। समय पर उपचार से यह ठीक हो जाती है। हेपेटाइटिस-बी संक्रमण का मुख्य एचआइवी की तरह होता। संक्रमित ब्लड, इंजेक्शन, लार या हेपेटाइटिस संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध से भी यह बीमारी फैलती है। 30 फीसद मामलों में यह क्रोनिक हो जाती है। लिवर कैंसर, लिवर डैमेज व लीवर फेल्योर का कारण बनती है। पूरी तरह रिकवरी नहीं हो पाती। हेपेटाइटिस सी दूषित पानी या अन्य संक्रमण (हेपेटाइटिस बी वाले) से हो सकता है। स्लम एरिया में सबसे ज्यादा हेपेटाइटिस के मरीज निकलते हैं।

हेपेटाइटिस के लक्षण

डा. मेहरोत्रा के अनुसार शुरुआत में थकान, जी मिचलाना, उल्टी, पेट दर्द, भूख न लगना व हल्का बुखार होता है। सभी उपचार न मिलने तो आंखें व पेशाब में पीलापन दिखने लगता है, जिसे सामान्य भाषा में पीलिया भी कहते हैं। दूसरे चरण में कोई भी दर्द निवारक दवा लेना घातक हो सकता है, जिससे लिवर फेल्योर, लिवर में सूजन, लिवर सिरोसिस, लिवर में पानी, मल में खून जैसे गंभीर लक्षण उभरते हैं।

मात्र 50 रुपये के टीके से बचाव

लिवर फेल्योर या डैमेज होने की दशा में लिवर प्रत्यारोपण ही उपचार है, जिसमें 30 से 40 लाख रुपये खर्च होता है। डोनर की जरूरत भी पड़ती है। यह प्रक्रिया भी जटिल होती है। जबकि, टीकाकरण के जरिए हेपेटाइटिस से बचा जा सकता है। हेपेटाइटिस बी से बचाव का टीका मात्र 50 रुपये में उपलब्ध है, जो नवजात को जन्म के समय, एक माह व छह माह पर लगता है। हेपेटाइटिस ए की रोकथाम वाला टीका भी इतनी ही कीमत में उपलब्ध है।

ऐसे करें बचाव - स्वच्छ पानी पीएं, दूषित जल को उबालकर ठंडा करके पीएं। - ब्लेड, रेजर या टूथब्रश एक-दूसरे से शेयर न करें। - असुरक्षित यौन संबंध से परहेज करें। - गर्भवती महिलाओं को हेपेटाइटिस-बी और सी की जांच करानी चाहिए। - खुले जख्म को दस्तानों के बगैर नहीं छूना चाहिए। - संक्रमित सूईं से बचाव - शराब के सेवन से परहेज - योग-व्यायाम करके वजन को नियंत्रित रखें। - किसी भी प्रकार का संक्रमण होने पर डाक्टर से संपर्क करें। - जंक-फूट का सेवन कम करें।

-चिकनाई व मसालेदार भोजन कम खाएं।

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