अलीगढ़ में अयोध्या की तर्ज पर होता है यहां विवाह, भव्य सजेगा टीकाराम मंदिर

आठ दिसंबर को विवाह पंचमी है। पूरे देश में धूमधाम तरीके से मनाई जाएगी मगर अलीगढ़ के टीकाराम मंदिर में खास आयोजन होगा। यह मंदिर अयोध्या के कनक भवन की तरह बनाया गया है। इसलिए राम-सीता विवाह का यहां भव्य आयोजन होता है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 11:59 AM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 11:59 AM (IST)
अलीगढ़ में अयोध्या की तर्ज पर होता है यहां विवाह,  भव्य सजेगा टीकाराम मंदिर
आठ दिसंबर को विवाह पंचमी है। पूरे देश में धूमधाम तरीके से मनाई जाएगी।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। आठ दिसंबर को विवाह पंचमी है। पूरे देश में धूमधाम तरीके से मनाई जाएगी, मगर अलीगढ़ के टीकाराम मंदिर में खास आयोजन होगा। यह मंदिर अयोध्या के कनक भवन की तरह बनाया गया है। इसलिए राम-सीता विवाह का यहां भव्य आयोजन होता है। मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया जाएगा।

ऐसे होता है धार्मिक आयोजन

पंचाग के अनुसार हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी मनाई जाती है। इस बार यह तिथि आठ दिसंबर को पड़ रही है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन सीता स्वयंवर हुआ था। प्रभु श्रीराम और माता सीता का विवाह हुआ था। इसलिए हर साल विवाह पंचमी के दिन श्रीराम और माता सीता के विवाह के दिन उत्सव मनाया जाता है। अलीगढ़ में टीकाराम मंदिर में भव्य आयोजन की तैयारी चल रही है। दरअसल, सेंटर प्वाइंट स्थित यह मंदिर प्रभु श्रीराम और माता सीता से जुड़ा हुआ है। मंदिर के प्रबंधक की माताजी अयोध्या में रहती थीं। यह आजादी से पहले की बात है। माताजी का अनुराग प्रभु श्रीराम और माता सीता के प्रति था। ऐसी अगाध आस्था थी कि वो अलीगढ़ आना नहीं चाहती थीं। कई बार उन्हें अलीगढ़ बुलाया गया मगर वो नहीं आई। अंत में विद्यावती के सामने यह प्रस्ताव रखा गया कि अलीगढ़ में भी कनक भवन की तरह भव्य मंदिर का निर्माण कराया जाएगा। माता सीता, प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण का विग्रह स्थापित किया जाएगा, उसके बाद वो यहां आने को तैयार हुईं। मंदिर को उसी भव्यता के साथ मनाया गया। टीकाराम मंदिर के पुजारी राजू पंडित बताते हैं कि मंदिर के निर्माण में तमाम सामग्री अयोध्या से मंगाई गई थी। मंदिर में नक्काशी भी अयोध्या की तर्ज पर ही की गई थी। कनक भवन की तर्ज पर अयोध्या के बाद प्रदेश में यह दूसरा मंदिर है, इसलिए यहां पर परंपरा का पूरा निवर्हन किया जाता है। आठ दिसंबर को भव्य तैयारी की जा रही है। पूरा मंदिर दुल्हन की तरह सजाया जाएगा। रोशनी से जगमग हो उठेगा। विवाह समारोह में महिला श्रद्धालु भजन कीर्तन करतीं हैं। कलेवा दिन का उत्सव देखते ही बनता है। प्रभु श्रीराम पर गीत गाए जाते हैं। बरात का भव्य स्वागत किया जाता है। प्रसाद बांटा जाता है। शहरभर से श्रद्धालु इस भव्य उत्सव को देखने के लिए जुटते हैं।

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