गब्‍बर को हुआ मुंह का कैंसर, माननीयों ने भी मदद के बजाय थमाई चिट्ठी Aligarh news

इगलास क्षेत्र के गांव कजरौठ निवासी कैंसर पीड़ित एक युवक इलाज के लिए भटक रहा है। पैसों के अभाव में उसे इलाज नहीं मिल पा रहा। घर में उसके खाने के भी लाले हैं। जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई तो उन्होंने चिट्ठी दे दी लेकिन कोई लाभ नहीं मिल रहा है।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 05:09 PM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 05:09 PM (IST)
गब्‍बर को हुआ मुंह का कैंसर, माननीयों ने भी मदद के बजाय थमाई चिट्ठी Aligarh news
गांव कजरौठ निवासी श्याम सुंदर उर्फ गब्बर (38) मजदूरी कर परिवार का पालन करता है।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता।  इगलास क्षेत्र के गांव कजरौठ निवासी कैंसर पीड़ित एक युवक इलाज के लिए भटक रहा है। पैसों के अभाव में उसे इलाज नहीं मिल पा रहा। घर में उसके खाने के भी लाले हैं। जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई तो उन्होंने चिट्ठी देदी लेकिन उसका भी उसे कोई लाभ नहीं मिल रहा है।

पांच माह पहले मुंह में गांठ बनी जो कैंसर बन गयी

गांव कजरौठ निवासी श्याम सुंदर उर्फ गब्बर (38) मजदूरी कर परिवार का पालन करता है। उसपर एक बेटी व दो बेटे हैं। पत्नी गांव के विद्यालय में रसोईया है। पांच माह पहले उसके मुंह पर एक गांठ बनी और वह फूट गई। इलाज कराया तो पता चला कि उसे कैंसर है। उसने स्वयं के मजदूरी कर एकत्रित किए 50-60 हजार रुपये व ग्रामीणों से चंदा एकत्रित कर 1.5 लाख की व्यवस्था की। इसके बाद जयपुर में ऑपरेशन करा लिया। अब ऑपरेशन के बाद उसे सिकाई, सीटी स्कैन, दवा व अन्य जांच कराने के लिए पैसों के अभाव में भटकना पड़ रहा है।

बीमारी में छूटी मजदूरी

गब्बर ने बताया कि इलाज कराने के लिए अब अलीगढ़ मेडिकल कालेज जाना पड़ता है। क्योंकि उसके पास इतना  पैसा नहीं है कि वह जयपुर जाकर इलाज करा सके। अलीगढ़ जाने के लिए भी लोगों से पैसे मांगकर ले जाता है। इलाज कराने के चक्कर में मजदूरी करने भी नहीं जा पाता। घर की आर्थिक स्थित बहुत खराब है। पत्नी को मिलने वाले रुपयों से किसी प्रकार घर का खर्चा चल रहा है।

जनप्रतिनिधियों की चिट्ठी पर भी नहीं मिला इलाज

पीडि़त गब्बर ने अलीगढ़ व हाथरस सांसद से मेडिकल में नि:शुल्क इलाज के लिए गुहार लगाई थी। जनप्रतिनिधियों ने चिट्ठी लिखकर दे दी, उसे लेकर मेडिकल जाता है तो कोई उसे मानता नहीं है। उससे सिकाई के लिए 11 हजार, सीटी स्कैन के लिए 2500 रुपये मांगे जाते हैं। सरकार की ओर से गरीबों को इलाज के लिए मिलने वाला गोल्डन कार्ड भी उसे नहीं मिला है। सरकारी सहायता न मिलने पर उसने समाज सेवियों से भी गुहार लगाई है।

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