दोस्त के जाने के बाद भी जिंदा रखी दोस्ती, बच्‍चों में देखा मित्र का अक्‍स Aligarh news

दोस्ती एक उपहार है जो कई बार रिश्तों से भी आगे निकल जाती है। कुछ लोग तो दोस्त के लिए सबकुछ न्यौछावर करने के लिए तैयार रहते हैं। खून के रिश्तों से भी बढ़कर दोस्ती होती है। ऐसी ही दोस्ती की मिसाल हैं देव अविनाश (राजेंद्र यादव)।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 03:47 PM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 03:47 PM (IST)
दोस्त के जाने के बाद भी जिंदा रखी दोस्ती, बच्‍चों में देखा मित्र का अक्‍स Aligarh news
अपनी मां के साथ बेटी शिवानी नीरज व बेटा ओशो नीरज।

राज नारायण सिंह, अलीगढ़ । दोस्ती एक उपहार है, जो कई बार रिश्तों से भी आगे निकल जाती है। कुछ लोग तो दोस्त के लिए सबकुछ न्यौछावर करने के लिए तैयार रहते हैं। खून के रिश्तों से भी बढ़कर दोस्ती होती है। ऐसी ही दोस्ती की मिसाल हैं देव अविनाश (राजेंद्र यादव)। अपने दोस्त की मौत के 15 साल बाद भी दोस्ती को जिंदा रखे हुए हैं। दोस्त के परिवार की देखरेख के साथ ही उनके बच्चों को काबिल बनाने में पूरा सहयोग किया। हर उस मौके पर देव अविनाश खड़े नजर आए जहां उनके दोस्त के परिवार को जरूरत थी। आज उनके दोस्त के बच्चे पढ़ लिखकर अपने पैरों पर खड़े हो गए हैं। देव अविनाश कहते हैं कि नीरज के बच्चों में मैं अपने दोस्त का अक्‍स देखता हूं, उससे मुझे संतुष्टि मिलती है।

देव अविनाश का है ट्रेडिंग का कारोबार

देव अविनाश जयगंज के रहने वाले हैं। उनका ट्रेडिंग का काराेबार है। वो साहित्य प्रेमी भी हैं। महाकवि गोपालदास नीरज के पास जाया करते थे। 1997 में गोपालदास नीरज के आवास पर देव अविनाश की रामबाग कालोनी निवासी नीरज शर्मा शुभम से मुलाकात हो गई। दोनों साहित्य प्रेमी थे और ओशो के अनन्य भक्त। इसलिए देव अविनाश और नीरज शर्मा शुभम दोनों में गहरी दोस्ती हो गई। इसके बाद परिवार में आना-जाना भी हो गया। समय आगे बढ़ता गया और दोस्ती में प्रगाढ़ता बढ़ती चली गई। इसी बीच नीरज शर्मा शुभम कैेंसर की बीमारी से पीड़ित हो गए। उनके इलाज में काफी पैसा खर्च हुआ। देव अविनाश ने नीरज का अलीगढ़ से लेकर दिल्ली तक इलाज कराया। मगर, 2006 में नीरज साथ छोड़ गए। वो प्राइवेट जाब करते थे, इसलिए उनकी मौत के बाद परिवार पूरी तरह से टूट गया था। पूरी जिम्मेदारी नीरज की पत्नी सविता शर्मा पर आ गई। सविता की पुत्री शिवानी नीरज और पुत्र ओशो नीरज काफी छोटे थे। ऐसे समय में राजेंद्र यादव अपने दोस्त के परिवार का संबल बनें। नीरज के दोनों बच्चों की शिक्षा में मदद की। स्कूल में एडमिशन कराया। बाहर एक्जाम आदि के लिए बच्चों को लेकर जाने की जिम्मेदारियों संभाली। धीरे-धीरे बच्चे बड़े होते गए। मगर, हर समय अपने दोस्त नीरज की याद आती रही।

बेटी एमटेक कर रही तो बेटा इंजीनियरिंग

देव अविनाश बताते हैं कि नीरज की पुत्री शिवानी नीरज एमटेक कर चुकी हैं और उनके पुत्र ओशो नीरज इजीनियरिंग और पत्रकारिता की पढ़ाई कर ली है। ओशो नीरज ने अपना कारोबार शुरू किया है। ओशो नीरज कहते हैं कि अंकल हर समय मदद को खड़े रहते हैं, उन्होंने बचपन से हम लोगों की मदद की है। पापा के जाने के बाद पूरे परिवार को संभाला, हम लोगों की पढ़ाई में काफी सहयोग किया। आगे बढ़ने के लिए हमेशा प्रोत्साहित करते हैं, जिसकी बदौलत हम लोग अपने पैरों पर खड़े हो सके।

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