जिला पंचायत चुनाव के लिए सियासी गोटियां बिछीं, विपक्षियोंं के बागियोंं पर बसपा की रहेगी नजर Aligarh news

बसपा का जिला पंचायत अध्यक्ष अध्यक्ष पद पर कब्जा करने की हैट्रिक बन चुकी है। इस बार भी इस पद पर काविज करने के लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने सियासी गोटियां बिछा रखी हैं। पहली बार भाजपा पंचायत चुनाव में उतर रही है।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 02:46 PM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 02:54 PM (IST)
जिला पंचायत चुनाव के लिए सियासी गोटियां बिछीं, विपक्षियोंं के बागियोंं पर बसपा की रहेगी नजर Aligarh news
बसपा का जिला पंचायत अध्यक्ष अध्यक्ष पद पर कब्जा करने की हैट्रिक बन चुकी है।

अलीगढ़, जेएनएन : बसपा का जिला पंचायत अध्यक्ष अध्यक्ष पद पर कब्जा करने की हैट्रिक बन चुकी है। इस बार भी इस पद पर काबिज करने के लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने सियासी गोटियां बिछा रखी हैं। पहली बार भाजपा पंचायत चुनाव में उतर रही है। इसके रणनीति कार भी तैयारियों में जुटे हुए है। सपा-रालोद भी इन दोनों दलों का गणित गड़बड़ाने के लिए जुटी हुई है। बागियों पर भी बसपा की नजर है। जिला पंचायत में शह और मात की बिसात बिछनी शुरू हो गई हैं। सोमवार को वार्ड आरक्षण को लेकर दिनभर चर्चाएं रहीं। जिले की यह सीट सामान्य वर्ग की है। नई नगर पंचायतों के उदय के चलते वार्ड की संख्याएं भी घटी हैं। पहले 52 वार्ड थे, अब 47 वार्ड होंगे। 

आज हो सकती है घोषणा

जिला पंचायत चुनाव के वार्ड आरक्षण की मंगलवार को घोषणा होने की उम्मीद है। यह चुनाव बसपा की प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है। पिछले तीन बार से बसपा के सहयोग से ही जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं। 

तेजवीर सिंह गुड्डू जब जिला पंचायत अध्यक्ष थे, उसके बाद मुलायम सरकार में जब वर्ष 2005 में चुनाव हुए, तब यह सीट एससी समाज के लिए सुरक्षित की गई थी। सीट आरक्षण में चले जाने के बाद गुड्डू के घरेलू संबंध रखने वाली महिला को इन्होंने चुनाव में उतारा था। तब यह चुनाव तेजवीर गुड्डू बनाम अदर्स सियासीदल हुआ था। सपा, रालोद व बसपा ने पूर्व विधायक रामसखी कठेरिया को चुनावी समर में उतार दिया। यह चुनाव जीतीं। इसके बाद हुए चुनाव मायावती शासन में हुए। तब जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट सामान्य पिछड़ा वर्ग में शामिल हुई। बसपा के समर्थन से चौ. सुधीर सिंह ने चुनाव जीता। तब तत्कालीन कैबिनेट मंत्री ठा. जयवीर सिंह मुख्य रणनीत कार थे। यह चुनाव एक तरफा हुआ था। विपक्षी कल्याण सिंह को सिर्फ घर के ही दो वोट मिले थे। 

इसके बाद अखिलेश शासन में यह सीट सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित की गई। तब भी ठा. जयवीर सिंह ने अपने भतीजे उपेंद्र सिंह नीटू को चुनावी समर में उतारा। सत्ताधारी पार्टी के तत्कालीन विधायक ठा. राकेश सिंह की पत्नी डा. नीतू सिंह इस चुनाव को नहीं जीत सकी। 

2017 में खिला कमल

वर्ष 2017 में जब प्रदेश में कमल खिला। इसके बाद बसपा सम्मान जनक विधायकों की संख्या नहीं जुटा सकी तब ठा. जयवीर सिंह ने पाला बदलते हुए भाजपा में शामिल हो गए।  इस बार भी जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट सामान्य वर्ग के लिए है। इस बार सियासी समीकरण बदले हुए हैं। अध्यक्ष के दावेदारी के लिए सामान्य वर्ग में मारामारी हो रही है। बसपा किसी पिछड़े समाज पर दांव लगा सकती है। इससे पहले पार्टी समर्थित वार्ड के प्रत्याशियों के लिए बागियों पर नजर गढ़ाए हुए है। कानपुर, आगरा व अलीगढ़ मंडल के मुख्य सेक्टर प्रभारी व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बाबू मुनकाद अली हर रविवार को मंडल की समीक्षा बैठक करते हैं। आरक्षण घोषित होने के साथ ही प्रत्याशियों के चयन के लिए पैनल तैयार हो जाएगा।

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