Fear of Corona In Crematorium: राख की ढेर पर दशहत पड़ रही है भारी Aligarh News
आग ने श्मशान गृह में तांडव मचा रखा है। नुमाइश स्थित श्मशान गृह में प्रतिदिन 10 से 15 शवों का अंतिम संस्कार हो रहा है। हालात ये है कि एक चिता की राख ठंडी नहीं होती दूसरी चिता आ जाती है। अपनों परंपराओं की डोर कमजोर हो रही है।
अलीगढ़, जेएनएन। कोरोना की धधकती आग ने श्मशान गृह में तांडव मचा रखा है। नुमाइश स्थित श्मशान गृह में प्रतिदिन 10 से 15 शवों का अंतिम संस्कार हो रहा है। हालात ये है कि एक चिता की राख ठंडी नहीं होती दूसरी चिता आ जाती है। इससे इस कदर दशहत व्याप्त है कि अपनों परंपराओं की डोर कमजोर हो रही है। अंतिम संस्कार के बाद लोग फूल चुनने नहीं आ रहे है। 10-15 में से एक-दो परिवार के लोग ही आ रहे हैं, जो फूल चुनकर जा रहे हैं। कोरोना के भय के चलते दोबारा कोई श्मशान गृह में आना नहीं चाहता है।
परंपराओं का निर्वहन भी औपचारिक
आइटीआई रोड पर नुमाइश मैदान के श्मशान गृह में इस समय हर तरफ दशहत व्याप्त है। यहां अबतक 140 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार हो चुका है। मगर, बहुत कम परिवार ही फूल चुनने आ रहे हैं। शनिवार को आठ के करीब शवों का अंतिम संस्कार हुआ। सुबह एक-दो लोग ही फूल चुनकर चले गए। मानव उपकार संस्था के अध्यक्ष विष्णु कुमार बंटी ने बताया कि हर किसी में कोरोना को लेकर दशहत है, एक बार श्मशान गृह आने के बाद उसकी दोबारा आने की हिम्मत नहीं होती है। वैसे भी परिवार, रिश्तेदार ऐसे समय में दूरी बनाए हुए हैं। इसलिए परंपराओं का निर्वहन भी औपचारिक बस रह गया है। अधिकांश लोगों को तो कोरोना की आशंका बनी रहती है, वो इसलिए नहीं आ रहे हैं कि दोबारा आकर कोरोना की चपेट में न आ जाएं।
15 के करीब बाहर का अंतिम संस्कार
नुमाइश स्थित श्मशान गृह में दूसरे जिलों के 15 के करीब शवों का अंतिम संस्कार हुआ। नोएडा, बुलंदशहर, आगरा आदि जिलों से शव यहां लाए गए थे। इसलिए उनके परिवार अंतिम संस्कार के बाद फूल चुनने नहीं लौटे। अंतिम संस्कार कुछ घंटे बाद सिर्फ उन्हाेंने वहीं परंपरा का निर्वहन कर लिया