अलीगढ़ व हाथरस में ब्लैक फंगस का खौफ, इलाज के इंतजाम कुछ भी नहीं Aligarh News
एक तरफ जहां कोरोना के मामले तेजी से बढ़ते ही जा रहे हैं और तीसरी लहर किसी भी वक्त दस्तक दे सकती है। ऐसे में डरा देने वाली कुछ और समस्याएं भी सामने आ रही हैं। इनमें ब्लैक फंगस नामक बीमारी ने हर किसी की चिंता बढ़ा दी है।
अलीगढ़, जेएनएन । एक तरफ जहां कोरोना के मामले तेजी से बढ़ते ही जा रहे हैं, और तीसरी लहर किसी भी वक्त दस्तक दे सकती है। ऐसे में डरा देने वाली कुछ और समस्याएं भी सामने आ रही हैं। इनमें ब्लैक फंगस नामक बीमारी ने हर किसी की चिंता बढ़ा दी है। अलीगढ़ व हाथरस जिले में ब्लैक फंगस का खौफ है। हालांकि अभी ब्लैक फंगस का कोई मरीज दोनों जिलों में नहीं मिला है। स्वास्थ्य विभाग ने ब्लैक फंगस संक्रमण को देखते हुए अपनी कोई तैयारी नहीं की है। न ही कोई बार्ड बनाया गया है और नहीं कोई ईएनटी विशेषज्ञ को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। जनपद में अधिकारियों ने किसी मरीज की पुष्टि तो नहीं की है, लेकिन विशेषज्ञ लोगों को सतर्क कर रहे हैं।
आंख में जाने से पहले ही करें ब्लैक फंगस का इलाज : प्रो. अशरफ
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज के नेत्र रोग विभाग के चेयरमैन प्रो. मोहम्मद अशरफ का कहना है कि यह फंगस मिट्टी या वातावरण में पाया जाता है। मानव शरीर में यह नाक के जरिए ही प्रवेश करता है। अगर किसी के नाक में कालापन दिखाई देता है तो उसे अनदेखी न करें। नाक को टिशू पेपर से साफ करने पर अगर काला धब्बा उस पर बतना है तो ये भी ब्लैक फंगस हो सकता है। एक साइड की नाक बंद होना भी ब्लैक फंगस हो सकता है। नाक से यह बीमारी बाद में आंख तक पहुंचती है। लेकिन तब तक बहुत देर हो जाती है। नाक से ही अगर पता चला जाता है तो उसे साफ किया जा सकता है। आंख में जाने पर मुश्किल हो जाता है। ब्रेन में जाने पर तो मरीज को बचाया भी नहीं जा सकता। दवा का असर ब्रेन में बहुत ज्यादा नहीं हो पाता। डायबिटीज के मरीजों पर यह ज्याादा असर करता है। ऐसे मरीजों को अधिक मात्रा में स्टोरायड भी नहीं दे सकते। इससे शुगर बढ़ जाता है। इसलिए जरा सा भी लक्षण होने पर ईएनटी के स्पेशलिष्ट हो जरूर दिखाएं। ब्लैक फंगस को लेकर अभी तक जितना शोध कार्य हुआ है। उसका लिटरेचर सभी जूनियर डाक्टरों को उपलबध करा दिया है ताकि वो ही इसका अध्ययन कर बीमारी को समझ सकें। बीमारी का एंटी फंगल से इलाज होता है इसके बारे में भी बताया गया है। अच्छी बात ये है मेडिकल कालेज में अभी तक इस बीमारी का कोई रोगी नहीं मिला है।
आंख ही नहीं, ब्लैक फंगस से जान को भी खतरा
रामघाट रोड स्थित मित्तल आई केयर के नेत्र सर्जन डा. नीलेश मित्तल ने बताया कि म्यूकरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) अधिकतर कमजोर प्रतिरोधक क्षमता होने और मधुमेह स्तर बढ़ने पर प्रभाव डालता है। संदिग्ध मरीज की आंखों में खुजली, लालिमा आना, सूजन, पानी आना, जलन आदि लक्षण दिखाई देते हैं। इसके बाद आंखें घूमना बंद कर देती हैं। धुंधलापन होने लगता है। आंखें बाहर निकलने लगती है। अनदेखी करने पर आंखों की रोशनी भी जा सकती है। गंभीर परिस्थिति में संक्रमण से प्रभावित अंग को काटना भी पड़ सकता है। कई बार आंख निकालनी पड़ सकती है। कई बार आंख निकालने के बाद भी जान नहीं बच पाती है। यह बीमारी फिलहाल कोविड के ठीक हुए मरीजों में ही दिखाई दे रही है। रोग का कारण एक फफूंद है। पोस्ट कोविड जिन मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, उन्हें इस बीमारी का खतरा ज्यादा है। आंखों में कोई भी परेशानी होने पर उसकी अनदेखी नहीं करनी है। बार-बार आंखों को पानी से साफ करते रहें। तुरंत डाक्टर को दिखाएं और उचित उपचार लें।
संक्रमण पर नजर
15 मार्च को अलीगढ़ में संक्रमण दर 1.88 थी। कुल संक्रमित 11730 थे। शहरी क्षेत्र में 8211 और ग्रामीण क्षेत्र में 3519 संक्रमित थे। 15 अप्रैल को संक्रमण दर 1.72 थी। कुल संक्रमित 12115 थे। शहरी क्षेत्र में 8480 और ग्रामीण क्षेत्र 3635 थे। जबकि 15 मई को संकमण दर 1.90 थी। कुल संक्रमित 16980 थे। शहरी क्षेत्र में 6776 और ग्रामीण क्षेत्र में 10164 संक्रमित थे। हाथरस में हाथरस 15 मार्च को संक्रमित 1319 थे। शहरी क्षेत्र में 830 और ग्रामीण क्षेत्र में 489 थे। 15 अप्रैल को कुल संक्रमित- 1379 थे। शहरी क्षेत्र में 868 और ग्रामीण क्षेत्र मेें 511 थेेे। 15 मई को कुल संक्रमित 2628 थे। शहरी क्षेत्र में 1726 और ग्रामीण क्षेत्र में 902 थे।