Aligarh Weather Forecast : अलीगढ़ में बारिश न होने से किसानों की मुश्किलें बढ़ीं
अलीगढ़ में निरंतर मौसम में बदलाव हो रहा है। गुरुवार को सुबह से ही तेज धूप निकली हुई है। हालांकि हल्की हवा चल रही है। उमस है के साथ साथ आसमन में बादल छाए हुए हैं। बारिश के कोई आसार नजर नहीं आ रहे।
अलीगढ़, जेएनएन। अलीगढ़ में निरंतर मौसम में बदलाव हो रहा है। गुरुवार को सुबह से ही तेज धूप निकली हुई है। हालांकि हल्की हवा चल रही है। उमस है के साथ साथ आसमन में बादल छाए हुए हैं। बारिश के कोई आसार नजर नहीं आ रहे। इससे किसानों की मुश्किल बढ़ती जा रही है। धान की पौध नहीं लग पा रही।
ठंडी सड़क...जहां हरियाली ने ली पनाह
अलीगढ़ : जब सफ़र की धूप में मुरझा के हम दो पल रुके, एक तन्हा पेड़ था मेरी तरह जलता हुआ। यह शेर पर्यावरण व पेड़-पौधोंं से लोगोंं की बेरूखी को बयां करता है, लेकिन शहर में कुछ ऐसी भी जगह हैं, जहां हरियाली पनाह लिए हुए है। पेड़ोंं के पत्तों की सरसराहट आपस में गुफ्तगूं सी करती महसूस होती है। यहां बात कर रहे हैं सिविल लाइंस क्षेत्र में नकवी पार्क से सटी ठंडी सड़क की। जो गर्मी से त्रस्त राहगीरों के लिए जन्नत (स्वर्ग) से कम नहीं। जेठ की दुपहरी में पसीने से तरबदर होकर जो भी यहां से गुजरता है, दो पल पेड़ों की ठंडी छांव व हवा का लुत्फ लिए नहीं रह पाता। राहगीर भी उन लोगों के लिए दुआ करना भी नहीं भूलते, जिन्होंने बिना स्वार्थ के आने वाली पीढ़ी के लिए यहां पेड़ लगाए।
हर किसी को लुभाती है ठंडी सड़क
यूं तो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के आसपास के पूरे क्षेत्र में हरियाली है, लेकिन कलक्ट्रेट के ठीक सामने एएमयू सर्किल तक जाने वाले मार्ग, जिसे ठंडी सड़क कहा जाता है, उसकी बात ही अलग है। नाम के अनुरूप ही यह सड़क वाकई ठंडक का एहसास दिलाती है। जून की तपती दुपहरी में यदि कोई ठंडी सड़क पर पहुंच जाए तो मुंह से वाह स्वत: निकल आती है। मात्र 600 मीटर की इस सड़क के दोनों ओर करीब 150 विशाल छायादार पेड़ लगे हुए हैं। ये पेड़ इतने घने हो गए हैं कि इनकी शाखाएं सड़क के दोनों ओर से एक-दूसरे के गले मिलती हुई प्रतीत होती हैं। एक तरफ नकवी पार्क तो दूसरी तरफ एएमयू के हरे-भरे क्षेत्र के मध्य स्थित इस ठंडी सड़क को वाकई जन्नत बना दिया है। हर किसी को यहां की रमणीयता व हरा-भरा वातावरण भाता है। भीषण गर्मी में लोगों को यहां शर्बत की रेहड़ियों पर बड़े शौक से गला तर करते हुए देखा जा सकता है। अन्य रेहड़ियों पर मौसमी फलों को जूस व चाट का लुत्फ उठाते लोग हरियाली को निहारे बिना रह पाते। हां, ठंडी सड़क को पार करने पर गर्मी का एहसास होते? ही राहगीरों के मुंह से आह निकल पड़ती है। लौटना चाहते हैं पुन: हरे-भरे वातावरण में, मगर कोई न कोई जरूर काम होने के कारण आगे बढ़ना पड़ता है। हर कोई यही सोचता है कि काश हर जगह ऐसी हरियाली हो। उप प्रभागीय निदेशक (वन एवं पर्यावरण) ने कहा कि काफी लोग यह सोचकर पौधे नहीं लगाते कि हमें क्या मिलेगा? पता नहीं पौधा कब फल-फूल व छाया देगा। यदि पूर्व में पेड़-पौधे लगाने वालों ने भी ऐसा ही सोचा होता तो इतने पेड़ न होते? हमें शुद्ध आक्सीजन तक नहीं मिल पाती। इसलिए सभी लोगों को अधिक से अधिक पौधेे लगाकर उनकी संरक्षण करना चाहिए। ये सोचकर कि अपने बच्चों और भावी पीढ़ियों के लिए ये उपहार देकर जा रहे हैं।