50 गांवों के किसान मिलकर सुधारेंगे माटी की सेहत, जानिए कैसे Aligarh news

रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक दवाओं के अंधाधुंध प्रयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है। इससे चिंतित होकर ब्रज किसान एफपीओ ने खेतों की माटी की सेहत सुधारने का संकल्प लिया। गांव-गांव जाकर किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 05:37 AM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 06:45 AM (IST)
50 गांवों के किसान मिलकर सुधारेंगे माटी की सेहत, जानिए कैसे Aligarh news
वातावरण तो तेजी से दूषित हो रहा है, खेतों की माटी की स्थिति भी ठीक नहीं है।

राजनारायण सिंह, अलीगढ़ । वातावरण तो तेजी से दूषित हो रहा है, खेतों की माटी की स्थिति भी ठीक नहीं है। रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक दवाओं के अंधाधुंध प्रयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है। इससे चिंतित होकर ब्रज किसान एफपीओ ने खेतों की माटी की सेहत सुधारने का संकल्प लिया। गांव-गांव जाकर किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। रासायनिक और कीटनाशक दवाओं की जगह खेतों में जीवामृत डालने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जिले में 50 गांवों के किसानों को इस मुहिम से जोड़ा गया है। किसानों को मुहिम से जोड़ने के लिए मिट्टी का पूजन भी कराया गया है।

लोग पर्यावरण को लेकर संवेदनशील नहीं 

ब्रज किसान एफपीओ के डायरेक्टर संतोष सिंह का कहना है कि हम लोग पर्यावरण के प्रति एकदम संवेदनशील नहीं हैं। रास्ते में वाहनों के धुएं आदि से वायु प्रदूषण के प्रति थोड़े चिंतित हो जाते हैं, मगर खेतों की मिट्टी में बढ़ते प्रदूषण से तो एकदम अनभिज्ञ हैं। जबकि यह सबसे गंभीर विषय है। क्योंकि हमारे खेत प्रदूषित हो गए तो माटी की उर्वरा शक्ति जाती रहेगी। खेत अनाज पैदा करना बंद कर देंगे। फिर हर तरफ हाहाकार मच जाएगा। इसलिए गांवों में माटी की सेहत सुधारने का संकल्प लिया गया है। 

50 गांवों में जगाएंगे अलख 

संतोष सिंह का कहना है कि पूरे जिले में एक साथ किसानों को जागरूक नहीं किया जा सकता है। इसलिए जिले के 50 गांवों को चयनित किया गया है। शेखा, गोकुलपुर निजरा, ब्रज भदरोई, टिकरी खुर्द, नगरिया, राजीपुर, एदलपुर, भवनखेड़ा, नगला दिलीप आदि गांवों हैं। इन गांवों के किसानों को ब्रज किसान एफपीओ से जोड़ा गया है। किसानों को संकल्प दिलाया गया है कि वो खेतों में रासायनिक और कीटनाशक दवाओं का प्रयोग नहीं करेंगे। जैविक खेती के लिए उन्हें प्रेरित किया गया है। खेतों में देसी गाय के गोबर का प्रयोग करेंगे। कीटनाशक की जगह गोमूत्र और कंडे की राख आदि का छिड़काव करने के लिए कहा गया है। नीम की पत्ती और निबौरी से भी दवा बनाकर छिड़काव करने के लिए उन्हें प्रेरित किया ज रहा है। किसानों ने इसकी शुरुआत भी कर दी है। 

निश्चित आएगा बदलाव 

किसानों को खेतों में हरी खाद का प्रयोग करने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है। इसके लिए उन्हें खेतों के मेड़ पर पेड़ लगवाए जा रहे हैं। पेड़ों के पत्तों को भी खाद के रुप में परिवर्तित करने के तरीके बताए जा रहे हैं। गोष्ठियों के माध्यम से फसल चक्र के बारे में जानकारी दी जा रही है। क्योंकि लगातार एक ही फसल लेने से खेत की उर्वरा शक्ति समाप्त होती जाती है। संतोष सिंह ने बताया का कहना है कि 50 गांवों में इसकी एक बार अलख जग जाएगी तो धीरे-धीरे अन्य गांवों में भी किसान मिट्टी की सेहत पर ध्यान देने लगेंगे। इससे निश्चित बदलाव आएगा।

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