अलीगढ़ में किसानों काे मिल रहीं आनलाइन नसीहतें, जानिए क्या है मामला

सरकारी महकमों में अब भी इसी माध्यम से सूचनाएं जानकारियां व सुझाव साझा किए जा रहे हैं। कृषि विभाग भी किसानों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए यही जरिया अपनाए हुए हैं। वाट्सएप अधिक प्रचलित है इसीलिए अधिकतर ग्रुप इसी पर बने हुए हैं।

By Sandeep kumar SaxenaEdited By: Publish:Wed, 24 Feb 2021 02:51 PM (IST) Updated:Wed, 24 Feb 2021 02:51 PM (IST)
अलीगढ़ में किसानों काे मिल रहीं आनलाइन नसीहतें, जानिए क्या है मामला
सरकारी महकमों में अब भी इसी माध्यम से सूचनाएं, जानकारियां व सुझाव साझा किए जा रहे हैं।

अलीगढ़, जेएनएन। कोरोना काल में अपनी बातें दूसरों तक पहुंचाने का साधन बना इंटरनेट मीडिया कारगर साबित हो रहा है। सरकारी महकमों में अब भी इसी माध्यम से सूचनाएं, जानकारियां व सुझाव साझा किए जा रहे हैं। कृषि विभाग भी किसानों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए यही जरिया अपनाए हुए हैं। वाट्सएप अधिक प्रचलित है, इसीलिए अधिकतर ग्रुप इसी पर बने हुए हैं। इन दिनों कृषि अधिकारियों को फसलों में रसायनिक खाद व कीटनाशक दवाओं का प्रयोग कम कराने के लिए मुहिम चला रखी है। वाट्सएप ग्रुप पर प्रतिदिन किसानों को इसके नफा-नुकसान बताए जा रहे हैं। मानव स्वास्थ्य पर इसके प्रतिकूल प्रभाव की जानकारी दी जा रही है। 

फसलों में बीमारियों के बताए जा रहे कारण 

कृषि अधिकारी रागिब अली बताते हैं कि हम दिन में दो बार भोजन करते हैं। भोजन के साथ ही हमारे शरीर में बड़ी मात्रा में हानिकारक कीटनाशक भी पहुंच रहे हैं। जो धीरे-धीरे शरीर में जमा होकर घातक बीमारियों का कारण बनते हैं। इन कीटनाशकाें का छिड़काव फल और सब्जियों को कीट व रोग से बचाने के लिए किया जाता है। यह जहरीले रसायन चारे के जरिए पशुओं और फल, सब्जी व अनाज के जरिए मानव शरीर में पहुंचते हैं। कृषि अधिकारी बताते हैं कि रसायनिक खाद व कीटनाशकों से नुकसान तब पहुंचता है, जब ये निर्धारित से अधिक मात्रा में डाले जाते हैं। कीटनाशक के छिड़काव का समय निर्धारित होता है। किसानों को कीटनाशक डालने के बाद कुछ दिन प्रतिक्षा करनी चाहिए, तब फसल काटी जाए। कीटनाशक जहरीला होता है। उसके अवशेष फसलों में रह जाते हैं, जो आसानी से नहीं जाते। इससे बेहतर है कि जैविक विधि से फसल उपचार किया जाए।

वाट्सएप ग्रुप  के जरिए दी जानकारियां

 उन्होंने बताया कि किसानों को इसके प्रति जागरुक करने के लिए वाट्सएप ग्रुप के जरिए जानकारियां प्रेषित की जा रही हैं। गोष्ठियाें में भी सलाह दी जाती है। लेकिन, वाट्सएप के जरिए महत्वपूर्ण सूचनाएं, जैविक खाद बनाने की विधि, इसका प्रयोग, कीटनाशक की मात्रा आदि जानकारी संरक्षित कर ली जाती हैं। जबकि, गोष्ठियाें में किसान एक बार सुनकर भूल जाते हैं। उप कृषि निदेशक शोध डा. वीके सचान कहते हैं कि इंटरनेट मीडिया सूचना, जानकारियां देने को बेहतर जरिया है।

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