परिवार संबल है, शक्ति है, इसलिए एक सूत्र में रहिए Aligarh News
बाधाओं को पार करने में संबल प्रदान करता है। विश्व परिवार दिवस के मौके पर पूरे शहर में कार्यक्रम आयोजित किए गए। रविवार को इसके उपलक्ष्य में कनवरीगंज धनियाबाड़ा स्थित कृष्णा गुप्ता के आवास पर भजन कीर्तन आयोजित किया गया।
अलीगढ़, जेएनएन। परिवार शक्ति है, संबल है और आत्मविश्वास है। परिवार एक ऐसा मजबूत डोर है, जो बड़ी से बड़ी बाधाओं को पार करने में संबल प्रदान करता है। विश्व परिवार दिवस के मौके पर पूरे शहर में कार्यक्रम आयोजित किए गए। रविवार को इसके उपलक्ष्य में कनवरीगंज धनियाबाड़ा स्थित कृष्णा गुप्ता के आवास पर भजन कीर्तन आयोजित किया गया। एक दिन पहले परिवार के सभी सदस्यों ने मिलकर भोजन किया। संकल्प लिया कि एकसूत्र में बंधकर परिवार की तरक्की के लिए काम करेंगे। रविवार को छुट्टी के दिन परिवार सभी सदस्यों ने भजन-कीर्तन का आनंद उठाया।
समाजसेवी व गोभक्त कृष्णा गुप्ता ने बताया कि आज दुनिया भटकाव की ओर है। वहां संस्कार और परिवार कुछ नहीं है। लोग अपने में ही मस्त रहते हैं। उन्हें दीन-दुनिया से कोई मतलब नहीं होता है। मगर, हमारे देश में ऐसा नहीं है। भारत में तो परिवार ही सबसे बड़ी पूंजी है। प्राचीन परंपरा से हम परिवार को महत्व देते आएं हैं। इसलिए परिवार के सदस्यों के साथ उठना-बैठना, साथ में भोजन करना, पूजा-पाठ आदि कार्यक्रम करते हैं। इससे आत्मिक चेतना तो जागृत होती है, आत्मविश्वास भी बढ़ता है, जिस प्रकार से बैंक में पैसा रहने पर आत्मविश्वास बढ़ता है, उसी प्रकार से परिवार की एकजुटता से आत्मशक्ति बढ़ती है। इसलिए हमारे यहां दादा-दादी, नाना-नानी के रिश्ते हैं। वह बुजुर्ग भले ही हो जाते हैं, मगर हम सभी का मार्गदर्शन करते हैं। पहले तो गर्मी के दिनों में बच्चेे नाना-नानी के घर ही समय व्यतीत करते थे। वहां उन्हें कहानियों के माध्मय से बहुत कुछ सीखने को मिलता था। कथाओं के माध्यम से तमाम संस्कार की बातें सीखते थे। इसलिए परिवार को समृद्ध करें, संयुक्त रहे और मिलकर तरक्की का रास्ता खोजे। शाम पांच बजे भजन कीर्तन का सभी ने भरपूर आनंद उठाया। कृष्णा गुप्ता ने बाद में संघ की प्रार्थना भी कराई।
नई ऊर्जा होती है प्रदान
समाजसेवी श्याम सुंदर गुप्ता ने कहा कि परिवार नई ऊर्जा और चेतना प्रदान करता है। इसलिए परिवार की परंपरा को बनाए रखें। आज अपने यहां भी कुछ लोग एकल परिवार की ओर बढ़ रहे हैं, मगर कोरोना संकट में जरा गौर करें कि कैसे परिवार संबल बनता है। तमाम तरह की समस्याएं मिलकर हल कर लेते हैं। श्याम सुंदर गुप्ता ने कहा कि दुनिया के तमाम देशों में परिवार और संस्कार नहीं है। इसलिए वहां तमाम सुविधाएं होने के बाद भी सुख-शांति नहीं है। वह सुख-शांति की खोज के लिए भारत आते हैं और यहीं की परंपराओं से जुड़ जाते हैं। इसलिए परिवार की डोर को हमें और मजबूत करना है। मनीष गुप्ता और अनीश गुप्ता ने कहा कि परिवार के साथ जमीन पर बैठकर भोजन करने का आनंद ही कुछ और है, भोजन इतना स्वादिष्ट लग रहा था कि उसे बयां नहीं किया जा सकता है। तरंग और सुरभि ने कहा कि सच्चा सुख परिवार में है। परिवार आत्मविश्वास पैदा करता है। उदिती, आरुष और आरव ने भी साथ में भोजन किया।