मनरेगा में फर्जीवाड़ा, काम होने से पहले ही चढ़ा दिया मस्टर रोल Aligarh news
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) में बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ है। बिजौली ब्लाक के कासिमपुर खुशीपुरा पंचायत में काम होने से पहले ही दर्जन भर मजदूरों के मस्टर रोल तैयार कर दिए गए। कई दिनों की हाजिरी भी पहले ही मास्टर रोल पर चढ़ा दी गई।
सुरजीत पुंढीर, अलीगढ़ । महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) में बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ है। बिजौली ब्लाक के कासिमपुर खुशीपुरा पंचायत में काम होने से पहले ही दर्जन भर मजदूरों के मस्टर रोल तैयार कर दिए गए। कई दिनों की हाजिरी भी पहले ही मस्टर रोल पर चढ़ा दी गई। नियमों के खिलाफ तकनीकी सहायक ने सचिव, प्रधान व रोजगार सेवक के हस्ताक्षर से पहले ही खुद के हस्ताक्षर कर दिए। जब मस्टर रोल पंचायत सचिव तक पहुंचा तो उन्होंने हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया। अब इस प्रकरण में उपायुक्त ने बीडीओ व एपीओ की टीम बनाकर जांच बैठा दी है।
बुलाए गए थे दो दर्जन मजदूर पहुंचे केवल एक दर्जन
मनरेगा में जिले भर में काम कराए जा रहे हैं। इसमें बिजौली ब्लाक की पंचायत कासिमपुर खुशीपुरा में भी काम चल रहा है। छह अक्टूबर को यहां पर बंबा से गुलाब सिंह की समर तक सिंचाई नाली खुदाई व सफाई का कार्य शुरू हुआ था। करीब दो दर्जन से अधिक मजदूर यहां लगाए गए थे, लेकिन काम करने महज एक दर्जन मजदूर ही पहुंचे। कुछ दिनों बाद ही यहां पर काम पूरा हो गया। ऐसे में मजदूरों का मस्टर रोल तैयार किया गया, लेकिन तकनीकी सहायक ने खेल करते हुए आने वाले 21 अक्टूबर तक का मस्टर राेल बना दिया। जब यह मस्टर रोल ग्राम पंचायत सचिव तक पहुंचा तो वह भी बिना काम के आने वाले दिनों की हाजिरी देख हैरान रह गए। उन्होंने हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया। इसके साथ ही जिला स्तरीय अफसरों से शिकायत की।
हस्ताक्षर भी नियमों के खिलाफ
मनरेगा के नियमों के तहत मस्टर रोल पर सबसे पहले रोजगार सेवक व पंचायत सचिव हस्ताक्षर करते हैं। इसके बाद तकनीकी सहायक के हस्ताक्षर होते हैं, लेकिन इस पंचायत में तकनीकी सहायक ने ही सबसे पहले हस्ताक्षर किए हैं।
यह है जिले की स्थिति
जिले में कुल 867 ग्र्राम पंचायत हैं। इनमें 2.50 लाख मजदूर मनरेगा में पंजीकृत है। इनमें से 1.55 लाख सक्रिय हैं। 204 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से इन्हेंं मजदूरी मिलती है। इनसर्ट ही
ऐसे होता है फर्जीवाड़ा
सूत्रों के अनुसार मनरेगा में इन दिनों जिले भर में बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा हो रहा है। बिना काम के ही सरकारी धनराशि का बंदरबांट होता है। जिम्मेदारों की मिलीभगत से फर्जी मस्टर रोल तैयार होता है। बिना काम के मजदूरों के खाते में धनराशि पहुंच जाती है। काम के हिसाब से दो तीन गुने मानव दिवस सृजित दिखाए जाते हैं। इसके बाद जैसी ही मजदूरों के खाते में धनराशि पहुंचती है तो उसका आपस में बंटवारा हो जाता है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी काम के नाम से सौ रुपये का फर्जीवाड़ा हाेता है तो उसमें 30 रुपये मजदूर को मिलते हैं। वहीं, बाकी के 70 रुपये जिम्मेदार आपस में बांट लेते हैं।
इनका कहना है
मामला मेरे संज्ञान में है। पंचायत सचिव ने ही इस प्रकरण की पूरी शिकायत की है। बीडीओ व एडीओ की टीम बनाकर जांच बैठा दी है। रिपोर्ट आने पर आगे की कार्रवाई होगी।
-भाल चंद्र त्रिपाठी, उपायुक्त मनरेगा