अलीगढ़ में गुरु पूर्णिमा पर उमड़ी आस्था, गुरु से लिया आर्शीवाद

गुरु पूर्णिमा का पर्व शनिवार को है मगर तिथि शुक्रवार को पड़ने से शहर के तमाम लोगों ने पूजन शुरू कर दिया। सुबह 10 बजे के बाद से गुरु का पूजन शुरू हो गया। भजन-कीर्तन हुए गुरु का आशीर्वाद लिया। दान-दक्षिणा दिया।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 05:58 PM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 05:58 PM (IST)
अलीगढ़ में गुरु पूर्णिमा पर उमड़ी आस्था, गुरु से लिया आर्शीवाद
भजन-कीर्तन हुए, गुरु का आशीर्वाद लिया। दान-दक्षिणा दिया।

अलीगढ़, जेएनएन। गुरु पूर्णिमा का पर्व शनिवार को है, मगर तिथि शुक्रवार को पड़ने से शहर के तमाम लोगों ने पूजन शुरू कर दिया। सुबह 10 बजे के बाद से गुरु का पूजन शुरू हो गया। भजन-कीर्तन हुए, गुरु का आशीर्वाद लिया। दान-दक्षिणा दिया।

गुरु पूर्णिमा की उदिया तिथि शनिवार को सुबह 8.07 बजे से प्रारंभ हो रही है। इसलिए अधिकांश श्रद्धालु शनिवार को ही गुरु पूर्णिमा का पर्व मना रहे हैं। शुक्रवार को यह तिथि 10.43 बजे से प्रारंभ हुई, इसलिए कुछ लोगों ने शुक्रवार को भी यह पर्व मनाया। नौरंगाबाद स्थित बी.दास कंपाउंड के सनातन भवन में आनंद के साथ उत्सव मनाया गया। अन्नपूर्णा भारती (डा. पूजा शकुन पांडेय) से आशीर्वाद लेने के लिए श्रद्धालुओं की आस्था उमड़ पड़ी। सुबह से ही बड़ी संख्या में महिलाएं पहुंच गईं। अन्नपूर्णा भारती का आदर-भाव के साथ पूजन किया। उन्हें माला पहनाया, पैर छूकर आशीर्वाद लिया। फिर, भजन-कीर्तन किया। गुरु पूजन उत्सव में ऐसा लगा कि मानों आनंद की बारिश हो रही है। तमाम महिलाओं की आंखों से आंसू छलक पड़े। अन्नपूर्णा भारती ने भावपूर्ण उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति में गुरु का स्थान सबसे ऊंचा माना गया है। भगवान का रास्ता बताने वाले गुरु हैं। गुरु मंत्र से ही प्रभु का मार्ग प्रशस्त होता है। गुरु जीवन के उद्देश्यपूर्ण कर देते हैं। इसलिए सनातनी हैं तो गुरु जरूर बनाएं। मगर, जांच-परखकर। ऐसा गुरु जिसका जीवन त्यागमयी हो, जिन्होंने अपने जीवन को धर्म और राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित कर दिया हाे। पल-पल राष्ट्र रक्षा के लिए संकल्पित हो, उसे गुरु बनाना चाहिए। अन्नपूर्णा भारती ने महिलाओं को उनके गौरव को याद दिलाया। कहा, आप मां पार्वती, दुर्गा, लक्ष्मी, देवी सावित्री, मां तारा, देवकी, मइया यशोदा की संताने हैं। आपने भगवान को जन्म दिया है। राम और कृष्ण को जन्म देने वाली मां ही है। स्वयं धरती पर उतरकर उन्होंने मां के गर्भ से जन्म लिया। इसलिए अपने गौरव को याद करिए। आपकी दुनिया में इतनी बड़ी विरासत है, जिसे आप सोच भी नहीं सकती हैं। इसलिए धर्म-अध्यात्म से जुड़ी रहेंगी तो कभी नहीं गिरेंगी। कभी नहीं घबराएंगी। मन में सात्विक विचार लाइए, अपने बच्चों को राम-कृष्ण की कथाएं सुनाइए, उन्हें कन्हैया बनने दीजिए, फिल्मी स्टार नहीं। क्योंकि कन्हैया बनेंगे तो दुनिया में छा जाएंगे, दुनिया उनकी जय-जयकार करेगी। फिर आपका भी गौरव बढ़ेगा। हर कोई कहेगा कि कैसी मां है बहादुर बेटे को जन्म दिया है, हर तरफ आपकी जय-जयकार होगी।

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