खूब समझाया, फिर भी नसबंदी को नहीं माने अलीगढ़ के पुरुष, ये है मामला
परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने को लेकर परिवार कल्याण एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिले में 22 नवंबर से दो चरणों में पुरुष नसबंदी पखवाड़ा शुरू किया गया था। पहले में दंपती संपर्क अभियान चलाकर परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
अलीागढ़, जागरण संवाददाता। परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने को लेकर परिवार कल्याण एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिले में 22 नवंबर से दो चरणों में पुरुष नसबंदी पखवाड़ा शुरू किया गया था। पहले में दंपती संपर्क अभियान चलाकर परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। वहीं, अब इच्छुक पुरुषों को नसबंदी की सेवा प्रदान करने के केंद्रों पर आमंत्रित किया जा रहा है। हैरानी की बात ये है कि नसबंदी की बात पुरुषों की समझ में बिल्कुल नहीं आई। नतीजतन, सप्ताभर के अभियान में 70 पुरुषों को नसबंदी के लिए तैयार नहीं कर पाया है। ऐसे में परिवार नियोजन कार्यक्रम की पूर्ण सफलता को लेकर अफसर भी चिंतित हैं।
जीवन में खुशहाली थीम के साथ चलाया गया अभियान
प्रत्येक शहरी क्षेत्र की अर्बन पीएससी व ग्रामीण क्षेत्र के सीएचसी व पीएचसी के सभी बीपीएम और बीसीपीएम को दो पुरुष नसबंदी व प्रत्येक एएनएम और आशा संगिनी को एक पुरुष नसबंदी का लक्ष्य दिया है। यह अभियान परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी, जीवन में लाए स्वास्थ्य और खुशहाली थीम के साथ चलाया गया। अफसोस, नतीजा कुछ नहीं निकला।
महिलाओं को आगे कर रहे पुरुष
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. आनंद उपाध्याय ने बताया कि परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी बहुत कम है। पुरुषों की नसबंदी में भागीदारी बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा है। खुशहाल परिवार के लिए महिला व पुरुष दोनों की सहभागिता आवश्यक है। वर्तमान समय में महिला नसबंदी की अपेक्षा पुरुष नसबंदी अपेक्षाकृत अधिक सुरक्षित और सरल है। महिला नसबंदी की तुलना में पिछले साल जिले में 35 पुरुषों ने नसबंदी कराई थी। वहीं, इस वर्ष अक्टूबर माह तक 24 पुरुष नसबंदी अपना चुके हैं। पुरुषों में जागरूकता का अभाव तो है ही, वे नसबंदी के नाम पर महिलाअों को आगे कर देते हैं।