बरसात भी नहीं रोक सकी जोश, खाद के लिए छाता लेकर कतार में खड़ी महिलाएं व किसान Aligarh news
इगलास में खाद लेने के लिए इफको सेंटर पर सोमवार को लगी लंबी कतार देखी गयी। किसान व महिलाएं बारिश में भी छाता लेकर लाइन में लगे हुए हैं। किसानों का कहना है कि सुबह 800 बजे के सेंटर पर आए हुए हैं।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। इगलास में खाद लेने के लिए इफको सेंटर पर सोमवार को लगी लंबी कतार देखी गयी। किसान व महिलाएं बारिश में भी छाता लेकर लाइन में लगे हुए हैं। किसानों का कहना है कि सुबह 8:00 बजे के सेंटर पर आए हुए हैं अभी तक खाद के लिए नम्बर नहीं आया है। भीड़ की देखते हुए पुलिस को व्यवस्था बनानी पड़ रही है।
आलू का बेल्ट माना जाता है इगलास को
विदित रहे के इगलास क्षेत्र आलू की बेल्ट माना जाता है। यहां किसानों को आलू की बुवाई से पहले ही डीएपी खाद की आवश्यकता होती है। हुक्मरान भले ही खाद की किल्लत की बात से इनकार करते हो, लेकिन सच्चाई यह है कि किसानों को पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
खाद की कोई कमी नहीं है
इफको सेंटर प्रभारी चौधरी त्रिलोक सिंह का कहना है कि खाद की कोई कमी नहीं है। आज पांच गाड़ियां खाद की आई हैं। अब तक लगभग एक हजार बोरे बांटे जा चुके हैं। अभी आगे भी और खाद आएगा इस तरह की जानकारी मिल रही है।
खैर में उज्जवला योजना पर महंगाई की मार घर के कोने में धूल फांक रहे गैस सिलेंडर
खैर। तहसील क्षेत्र के गांवों में महिलाओं को धुएं से निजात दिलाने को उज्ज्वला योजना से दिए गए रसोई गैस सिलेंडर और चूल्हे की आग महंगाई में ठंडी पड़ गई है। त्योहारों का सीजन चल रहा है और गरीब का गैस से नाता फिर टूटता जा रहा है। गैस का सिलेंडर गरीबों की पहुंच से बाहर 926 रुपये के पहुंच गया है। इससे उज्जवला योजना के लाभार्थियों में निराशा है। केन्द्र सरकार उज्जवला योजना लेकर आयी जिससे गरीबों को लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाने से निजात मिल सके गरीब महिलाओं की आंखों से बहता हुआ आंसू रोका जा सके। पात्र लाभार्थियों को मुफ्त में गैस सिलेंडर दिए गए। लेकिन बेतहासा बड़ती हुई महंगाई के चलते गैस सिलेंडर के दामों में वृद्धि के कारण गरीबों को इस सिलेंडर को भरवाने में बड़ी ही मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। अलीगढ़ सांसद सतीश गौतम के क्षेत्र में ऐसे कई गांव में लाभार्थी आज भी हैं जो सिलेंडर को घर में रखे हुए हैं। और चूल्हो पर खाना बना रहे हैं। उनका कहना है कि इस समय सिलेंडर के दाम एक हजार रूपये के करीब हो चुके हैं ऐसे में हम 300 रूपये की दिहाड़ी मजदूरी करने वाले अपने बच्चों का पेट पालें या गैस सिलेंडर भराए। 70 फीसदी लाभार्थी इस गैस चूल्हे का उपयोग नही कर रहे हैं। वह उनके घर में एक कोने में पड़े धूल मिट्टी फांक रहा है। केंद्र सरकार ने जैसे ही सब्सिडी बंद की लोगों ने रिफिल लेनी ही बंद कर दी। सिलेंडर महंगा होने की वजह से ज्यादातर लाभार्थियों ने लकड़ी जलाने में ही भलाई समझी। 400 रूपये का सिलेंडर था तब लगभग 80 फीसदी लोग गैस चूल्हे का प्रयोग करते थे। पर जैसे जैसे महंगाई बढ़ती गई लोगों की क्षमता घटती चली गई। केवल 30 फीसदी लाभार्थी ऐसे हैं जो अपने सिलेंडर को रीफिलिंग करा रहे हैं।