Aligarh Municipal Corporation: वर्षों के अनुभव के बाद भी रिकार्ड में अकुशल हैं कर्मचारी, जानिए क्या है मामला

नगर निगम में कार्यरत आउटसोर्सिंग कर्मचारी वर्षों के अनुभव के बाद भी रिकार्ड में अकुशल ही हैं। इसी आधार पर इन्हें वेतन भत्ता भी मिल रहा है। जबकि अनुभव और कार्य अवधि को देखते हुए इन कर्मचारियों को कुशल श्रेणी में रख लेना चाहिए था।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 11:27 AM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 11:27 AM (IST)
Aligarh Municipal Corporation: वर्षों के अनुभव के बाद भी रिकार्ड में अकुशल हैं कर्मचारी, जानिए क्या है मामला
कार्य अवधि को देखते हुए इन कर्मचारियों को कुशल श्रेणी में रख लेना चाहिए था।

अलीगढ़, जेएनएन। नगर निगम में कार्यरत आउटसोर्सिंग कर्मचारी वर्षों के अनुभव के बाद भी रिकार्ड में अकुशल ही हैं। इसी आधार पर इन्हें वेतन, भत्ता भी मिल रहा है। जबकि, अनुभव और कार्य अवधि को देखते हुए इन कर्मचारियों को कुशल श्रेणी में रख लेना चाहिए था। कर्मचारी नेता नगर निगम की इस नीति पर आपत्ति जता चुके हैं। मुख्यमंत्री को भी पत्र भेजा गया था। इनका कहना है कि कर्मचारियों की योग्यता और अनुभव के आधार पर उन्हें कुशल मानते हुए वेतन वृद्धि की जाए।

यह है मामला

नगर निगम में स्थायी और आउटसोर्सिंग मिलाकर कुल 2316 कर्मचारी सफाई कार्य में जुटे हैं। ठेका प्रथा खत्म होने के बाद कर्मचारियों को आउटसोर्सिंग के जरिए नियुक्ति मिली थी। 200 रुपये की दर से इनका दैनिक वेतन तय था, जो बढ़कर 308 रुपये हो चुका है। लेकिन, कर्मचारी संगठन इससे संतुष्ट नहीं हुए। स्थानीय निकाय सफाई मजदूर संघ के प्रांतीय अध्यक्ष मानिकलाल नागर ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी। कहा था कि 25 सितंबर, 2019 को हुए शासनादेश में अकुशल मजदूर को 308.18 रुपये की दर से दैनिक वेतन तय किया गया था। वहीं, श्रम विभाग से आठ अक्टूबर, 20 को जारी पत्र में कहा गया कि अकुशल मजदूर को 336.65 रुपये, अर्द्धकुशल मजदूर को 370.53 रुपये और कुशल मजदूर को 415.04 रुपये प्रतिदिन की दर से दैनिक वेतन मिले। नगर सफाई मजदूर संघ के अध्यक्ष प्रदीप भंडारी का कहना है नगर निगम में कार्यरत कई कर्मचारी 18 साल से ठेके पर कार्य कर रहे हैं। इन्हें कुशल कर्मचारियों की श्रेणी में नहीं रखा गया। जबकि, 20 मई, 2016 को जारी शासनादेश में प्रावधान था कि निकायों में कार्यरत कर्मचारियों को कुशल व अर्द्धकुशल मानकर सीएलसी में पंजीकृत किया जाए। पंजीकरण कराए हुए दो साल से अधिक समय हो चुका है। कर्मचारियों ने एक हफ्ते का प्रशिक्षण भी लिया था, जिससे प्रमाण पत्र दिए गए। बावूजद इसके नगर निगम अधिकारी कर्मचारियों की श्रेणी तय नहीं कर पा रहे हैं।

chat bot
आपका साथी