मंदिर में मास्क लगाकर मिलेगा प्रवेश, नहीं लगेगा मेला

मंगलवार से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्र की तैयारियां पूर्ण हो गई हैं। पर्व 21 अप्रैल तक चलेगा। बिना मास्क मंदिर में प्रवेश पर रोक रहेगी।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 01:28 AM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 01:28 AM (IST)
मंदिर में मास्क लगाकर मिलेगा  प्रवेश, नहीं लगेगा मेला
मंदिर में मास्क लगाकर मिलेगा प्रवेश, नहीं लगेगा मेला

अलीगढ़ : मंगलवार से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्र की तैयारियां पूर्ण हो गई हैं। पर्व 21 अप्रैल तक चलेगा। घर व मंदिरों में शक्ति की आराधना के लिए श्रद्धालु तैयारियों में जुटे रहे। पूजा व व्रत के लिए सामान की खरीदारी की। मंदिरों में भीड़ को नियंत्रित करने और कोरोना प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित कराने के लिए व्यवस्थाएं की गई हैं। पथवारी मंदिर पर मेला नहीं लगेगा।

मान्यता है कि नवरात्र में देवी स्वरूपों की पूजा करने से भक्तों के मनोरथ पूर्ण होते है। घरों में धनधान्य और खुशहाली आती है। इसी मान्यता के चलते चैत्र नवरात्र में श्रद्धालु व्रत भी रखते है। पहले दिन शुभ मुहूर्त में विधि विधान से कलश स्थापित कर माता की पूजा की जाती है। नगर में नवरात्रि को देखते हुए मइया की मूर्तियां, चुनरी, पूजा के सामान की दुकानें सजी हुई हैं। भक्तों द्वारा खरीदारी भी की जा रही है। दुकानदार संदीप बंसल ने बताया कि बाजार में पांच से लेकर 500 रुपये तक की चुनरी उपलब्ध है। मैया के श्रंगार के साथ खटोला की खूब मांग हो रही है।

पथवारी मंदिर पर नहीं लगेगा मेला

नवरात्रि को लेकर कस्बा के गौंडा मार्ग स्थित प्राचीन पथवारी मंदिर पर तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। कोविड-19 को लेकर मंदिरों के लिए सरकार द्वारा कोई गाइडलाइन जारी न करने पर मंदिर कमेटी असमंजस में है। यहां प्रत्येक नवरात्र पर भक्तों का सैलाब उमड़ता है। सुबह दर्शन से लेकर रात्रि शयन आरती तक बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। मेला का आयोजन भी किया जाता है। हालांकि मंदिर कमेटी ने कोरोना के बढ़ते ग्राफ को देखते हुए स्वयं ही पारंपरिक मेले को इस बार स्थगित कर दिया है। व्यवस्थापक सुमित अग्रवाल ने बताया कि मंदिर में जलाभिषेक व दर्शन करने के लिए मास्क की अनिवार्यता की गई है। सैनिटाइजेशन की व्यवस्था की गई है। शारीरिक दूरी का पालन कराने के लिए मंदिर में गोले बनवाए गए हैं।

नौ स्वरूपों की पूजा

नवरात्र के नौ दिन देवी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा का विधान है। पहले दिन मां शैलपुत्री, दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा, चौथे दिन मां कुष्मांडा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन मां कात्यायनी, सातवें दिन मां कालरात्रि, आठवें दिन मां महागौरी और नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।

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