एएमयू में हुआ ऊर्जा का संचार, ऐसे मिली रैंकिंग में सफलता Aligarh News

ष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआइआरएफ) की ताजा रैंकिंग में एएमयू को दसवां स्थान मिलन बड़ी बात है। कोराेना काल में एएमयू के लिए अच्छी खबर भी है। इंतजामिया यूनिवर्सिटी को सालों से नंबर बनाने का सपना पाले हुए है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Sun, 12 Sep 2021 11:20 AM (IST) Updated:Sun, 12 Sep 2021 11:20 AM (IST)
एएमयू में हुआ ऊर्जा का संचार, ऐसे मिली रैंकिंग में सफलता Aligarh News
ताजा रैंकिंग का संदेश साफ है यूनिवर्सिटी सही दिशा में बढ़ रही है।

अलीगढ़, जेएनएन। राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआइआरएफ) की ताजा रैंकिंग में एएमयू को दसवां स्थान मिलन बड़ी बात है। कोराेना काल में एएमयू के लिए अच्छी खबर भी है। इंतजामिया यूनिवर्सिटी को सालों से नंबर बनाने का सपना पाले हुए है। इस रिपोर्ट से ऊर्जा का संचार जरूर हुआ होगा। क्योंकि, पिछले रैंकिंग में यूनिवर्सिटी को 17वां स्थान मिला था। देश भर के इंस्टीटूट व यूनिवर्सिटी में पहले जहां 31 वां स्थान था इस बार 18 वां है। शोध के परसेप्शन के मामले में एएमयू को 42.9 अंक मिले हैं। बीएचयू के इसमें 54.9 अंक हैं। ताजा रैंकिंग का संदेश साफ है यूनिवर्सिटी सही दिशा में बढ़ रही है। बस जरूरत है तो काम और बेहतर करने की। डाटा सलेक्शन पर गहराई से काम करने की भी जरूरत है। एनआइआरएफ में उतना ही कंटेंट भेजा जाए जितने की जरूरत है। इसके लिए रैंगिंग से जुड़ी कमेटी के सदस्यों को और पसीना बहाना होगा।

जिम्मेदारी तो सबकी है

एएमयू में जब कुछ होता है तो उसका संदेश दूर तक आता है। क्योंकि एएमयू के चाहने वाहले देश ही नहीं विदेशों में भी बड़ी संख्या में है। ऐसे में हर किसी की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि यूनिवर्सिटी का माहौल खराब न होने दें। एएमयू की साख पर असर तब पड़ता है जब पर्चा चिपकाने से लेकर अन्य गतिविधयां होती हैं। पिछले दिनों ऐसा हुआ भी। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि देने का भी विरोध हो गया। छात्र नेताओं के बयान तो आए ही किसी ने कैंपस में कुलपति के विरोध में पर्चा भी चस्पा कर दिए। जिसके बाद एएमयू सुर्खियों में आ गई। ये वो घटनाएं हैं जिनसे यूनिवर्सिटी का परसेप्शन ही खराब होता है। रैंगिंग भी में ये सब देखा जाता है। ऐसे में छात्र, शिक्षक, कर्मचारी व इंतजामिया से जुड़े लोगों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वो ऐसी घटना होने से यूनिवर्सिटी को बचाएं।

ऐतिहासिक पल

राजा महेंद्र प्रताप को कौन नहीं जानता? एक ऐसा राजा ने जिस ने देश सेवा के लिए बीवी-बच्चों को भी त्याग कर दिया। राजा का जीवन उनकी संघर्ष गाथाओं से भरा पड़ा है। मगर त्याग की इस मूर्ति को वो सम्मान नहीं मिला जिसका वो हकदार थे। उन्होंने अंग्रेजों को तो ललकारा ही विश्व बिरादरी को भी शांति का संदेश दिया। संसार संघ की सोच भी राजा की थी। राजा के वंशज तो संयुक्त राष्ट को राजा की परिकल्पना का ही हिस्सा मानते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार अब राजा के नाम पर राज्य विश्वविद्यालय बनाने जा रही है। जिसे बड़ा कदम माना जा रहा है। राजनीतिक गलियारों में इसके जो भी निहतार्थ निकाले जाएं लेकिन इतिहास की दृष्टि से अहम फैसला है। प्रधानमंत्री विश्वविद्यालय का शिलान्यास करने आ रहे हैं। यह आयोजन भी ऐतिहासिक होगा। क्योंकि डेढ़ साल से अधिक लोगों के कार्यक्रम में शामिल होने की संभावना है।

ये ठीक नहीं है

इन दिनों बीमारी घर-घर पैस पसार रही है। ऐसे में सबसे अधिक जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग की बनती है कि लोगों को कैसे बेहतर से बेहतर सेवा दी जाए। जिले के स्वास्थ्य मुखिया से लेकर अस्पतालों के मुखिया तक इसकी जिम्मेदारी बन जाती है। इसके लिए दोनों बेहतर तालमेल की भी जरूरत होती है। पिछले दिनों नए साहब और जिला स्तरीय अस्पताल के मुखिया के बीच जो हुआ वो ठीक नहीं है। निरीक्षण के दौरान खुद ही गंदगी व अन्य अव्यवस्थाअों के फोटो खींचने लगे। अस्पताल मुखिया को यह बात नागवार गुजरी। साहब के कैमरे के सामने आ गए। स्पष्ट कहा, पहले हमारी समस्याएं सुनकर समाधान करिए। इस तर्क को नकारा नहीं जा सकता। सवाल ये भी उठ रहा है कि फोटो खींचने की जरूरत क्या पड़ी? अरे, आप तो मुखिया हो, आपके दिशा-निर्देशों को तो अधीनस्थ मानते ही हैं। इससे बचना चाहिए। माहौल ही खराब होता है।

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