नौकरी से ज्‍यादा खुद के व्‍यवसाय पर जोर, आधी आबादी में बढ़ी रुचि Aligarh news

कोरोना संकट ने लोगों की सोच काे भी बदल दिया है। नौकरी से ज्यादा खुद के व्यावसाय को लोग महत्व दे रहे हैं। राजकीय फल संरक्षण केंद्र द्वारा चलाए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम में निर्धारित से अधिक संख्या में आवेदक आ रहे हैं।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Fri, 27 Nov 2020 02:55 PM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 02:55 PM (IST)
नौकरी से ज्‍यादा खुद के व्‍यवसाय पर जोर, आधी आबादी में बढ़ी रुचि Aligarh news
प्रशिक्षण प्राप्त युवा फूड प्रोसेसिंग में अपना भविष्य बना सकते हैं।

अलीगढ़, जेएनएन : कोरोना संकट ने लोगों की सोच काे भी बदल दिया है। नौकरी से ज्यादा खुद के व्यावसाय को लोग महत्व दे रहे हैं। राजकीय फल संरक्षण केंद्र द्वारा चलाए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम में निर्धारित से अधिक संख्या में आवेदक आ रहे हैं। इनमें भी महिलाओं की संख्या अधिक है। प्रशिक्षण प्राप्त युवा फूड प्रोसेसिंग में अपना भविष्य बना सकते हैं। महिलाएं इन प्रशिक्षण शिविरों में अचार, मुरब्बा, शर्बत, स्क्वैस, जैम आदि बनाना सीख रही हैं। इसके उद्योग पर 50 फीसद तक अनुदान मिलता है।

बेरोजगारों को किया जा रहा प्रशिक्षित

महात्मा गांधी खाद्य प्रसंस्करण ग्राम स्वरोजगार योजना के तहत गांव के बेरोजगार युवाओं काे प्रशिक्षित किया जा रहा है, जिससे वह स्वरोजगार कर सकें। इसके लिए गांव-गांव में प्रशिक्षण शिविर लगाए जा रहे हैं। धनीपुर विकास खंड की ग्राम पंचायत कोछोड़ में भी शिविर चल रहा है। राजकीय फल संरक्षण केंद्र बलवीर सिंह ने बताया कि ग्रामीण महिलाएं प्रशिक्षण कार्यक्रमों ने अधिक भाग ले रही हैं। उद्योग लगाने के आवेदन भी आ रहे हैं। इसमें 40 फीसद महिलाओं के हैं। इस उद्योग में प्रयोग होने वाले मशीनरी उपकरण की खरीद पर 50 प्रतिशत या अधिकतम एक लाख रुपये अनुदान के रुप में दिया जाएगा। ग्रामीण पुरुष व महिलायों के लिए यह प्रशिक्षण बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुआ है। मशीनें लगाने की पर्याप्त जगह मिल जाती है और फल-सब्जियां भी आसानी प्राप्त हो जाती हैं। अकराबाद विकास खंड की ग्राम पंचायत नगला केशिया में भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसमें भी महिलाएं प्रतिभाग कर रही हैं। जिला उद्यान अधिकारी एनके सहानिया ने बताया कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग आज के दौर में महत्वपूर्ण है। सरकार भी सहयोग कर रही है। प्रशिक्षण पूरा होने पर प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र दिए जाते हैं। प्रशिक्षित युवा खाद्य पदार्थों को गुणवक्तायुक्त और मानकों के अनुसार तैयार कर बाजार उतारकर अपनी पहचान बना सकते हैं। खासकर महिलाएं इस काम का अधिक कर रही है। महिला समूह अपने ब्रांड से खाद्य पदार्थ बाजार में उतार रहे हैं। 

जैविक खेती भी

जैविक खेती में भी महिलाएं आगे हैं। जैविक उत्पाद तैयार कर बाजार में उतारा जा रहा है। भवीगढ़ की पूनम सिंह जैविक खेती करती हैं। गेहूं, धान, सरसों आदि की फसल होती है। अपनी फर्म के नाम से जैविक उत्पाद बाजार में उतारे हैं। अब प्रशासन ने धनीपुर मंडी में जैविक उत्पाद बाजार खोलकर किसानों को सहूलियत दे दी है।

खुलेंगे प्रेरणा केंद्र

स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के दिशा में पहल हुई है। जनपद में नुमाइश मैदान, मंडी, ब्लॉक कार्यालय और तहसीलों में 25 प्रेरणा केंद्र खोले जाएंगे। यहां स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं खुद की बनाई दैनिक उपयोग की वस्तुओं को बेच सकेंगी। डीसी एनआरएलएम को इन वस्तुओं की पैकिंग की जिम्मेदारी सौंपी है। महिलाओं काे पैकेजिंग, ब्रांडिंग और मैनेजमेंट के गुर सिखाए जाएंगे। 

इनका कहना है

अभी तक स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं दुकानों पर अपना उत्पाद बेचती थीं। अब इन्हें बिक्री केंद्र की सुविधा उपलब्ध होगी, जहां इनके उत्पाद रखे जाएंगे। पहले चरण में 25 केंद्र खुलवाए जा रहे हैं। 

चंद्रभूषण सिंह, जिलाधिकारी

chat bot
आपका साथी