शिक्षाविद बोले शोध कार्य को बढ़ावा देने वाला हो बजट, विशेषज्ञों ने दी राय Aligarh news
आने वाले दिनों में राज्य सरकार बजट की घोषणा करने वाली है। शिक्षा जगत में भी बजट को लेकर काफी ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। नई शिक्षा नीति के सफल क्रियान्वयन को लेकर भी बजट घोषणा काफी अहम मानी जा रही है।
अलीगढ़, जेएनएन : आने वाले दिनों में राज्य सरकार बजट की घोषणा करने वाली है। ऐसे में हर वर्ग बजट का इंतजार कर रहा है। शिक्षा जगत में भी बजट को लेकर काफी ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। नई शिक्षा नीति के सफल क्रियान्वयन को लेकर भी बजट घोषणा काफी अहम मानी जा रही है। जिले के शिक्षाविदों का कहना है कि शिक्षा की बेहतरी व उत्कृष्ट शिक्षण माहौल बनाने के लिए शोध कार्य को बढ़ावा देने वाला बजट ही होना चाहिए। नई शिक्षा नीति में जो नए प्रावधान किए गए हैं उनको सही से संचालित करने के लिए अच्छे बजट की बहुत जरूरत है। शिक्षाविदों ने बजट के बारे में क्या विचार रखे आप भी जानिए...।
शोधकार्य को बढ़ावा देने वाला हो बजट
शिक्षाविद् डा. रक्षपाल सिंह ने कहा कि एडेड व राजकीय डिग्री कालेजों में केमिकल्स की खरीद व लैब को सुदृढ़ बनाने के लिए बजट को बढ़ाना ही हितकार होगा। सेल्फ फाइनेंस कालेजों में शिक्षकों को बेसिक व माध्यमिक के सापेक्ष कम से कम 40 फीसद धन सरकार को अपनी ओर से देना चाहिए। तभी शिक्षण व्यवस्था सुधरेगी। क्योंकि तकरीबन 20 फीसद एडेड व राजकीय कालेेज हैं जबकि बाकी 80 फीसद सेल्फ फाइनेंस कालेज हैं। कहा कि बजट जो भी आए उसका सही उपयोग हो ये देखना जरूरी है। इसके लिए निगरानी व नियंत्रण व्यवस्था को मजबूत बनाना अतिआवश्यक है।
पुराने कालेजों को हेरिटेज का दर्जा दें
डीएस डिग्री कालेज के चीफ प्राक्टर व पूर्व औटा अध्यक्ष डा. मुकेश भारद्वाज ने कहा कि सभी पुराने कालेजों को हेरिटेज का दर्जा देकर उनको विश्वस्तरीय बनाने के लिए बजट का प्रावधान किया जाना चाहिए। लाइब्रेरी व इंटरनेट मुफ्त होना चाहिए। इनका पुनुरुद्धार किया जाए जिससे नई पुस्तकें व जर्नल्स आ सकें। इस दिशा में बजट का प्रावधान किया जाना चाहिए। तभी नई शिक्षा नीति को भी सही मायने में मूर्त रूप दिया जा सकता है।
डिग्री कालेजों में जूनियर स्कूल हों
एसवी कालेज से शिक्षाविद डा. वीपी पांडेय ने कहा कि प्रयोगशालाओं के अलावा थ्योरी के लिए भी इंटरनेट संबंधी सुविधाएं जरूरी हैं। इनको बढ़ाना चाहिए। टीचिंग एजुकेशन में चार साल के बीएड पाठ्यक्रम को चलाने के ढांचा चाहिए। इसके लिए सबसे जरूरी है कि डिग्री कालेजों में जूनियर के कक्षा छह से आठवीं तक के स्कूल भी बनाए जाएं। जिससे वहां बीएड अभ्यर्थी अपना प्रैक्टिकल वर्क कर सके। हर कालेज में शैक्षणिक प्रयोगशाला हों। इन सबको ध्यान में रख बजट का प्रावधान होना चाहिए।