AMU New Gate : भूकंप भी बाल बांका नहीं कर पाएगा एएमयू के सेंटेनरी गेट का, ये है खासियत

देश-दुनिया में अपने ज्ञान का डंका बजा रही अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) की शान में एक नगीना और गढ़ गया है। यूनिवर्सिटी के सौ साल पूरा होने पर शताब्दी यादगार के रूप में बनाया गया सेंटेनरी गेट एएमयू की शान में चार-चांद लगा रहा है।

By Sandeep SaxenaEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 10:20 AM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 10:20 AM (IST)
AMU New Gate : भूकंप भी बाल बांका नहीं कर पाएगा एएमयू के सेंटेनरी गेट का, ये है खासियत
एएमयू की शान में एक नगीना और गढ़ गया है।

अलीगढ़, संतोष शर्मा। देश-दुनिया में अपने ज्ञान का डंका बजा रही अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) की शान में एक नगीना और गढ़ गया है। यूनिवर्सिटी के सौ साल पूरा होने पर शताब्दी यादगार के रूप में बनाया गया सेंटेनरी गेट एएमयू की शान में चार-चांद लगा रहा है। खास बात ये है कि गेट को भूकंप रोधी बनाया गया है। गेट की बाहरी साइड पर लाल पत्थर लगाए गए हैं। जिस पर राजस्थान के मजदूरों ने नक्कासी की है। गेट को विशाल रूप दिया गया है। जिसकी ऊंचाई 57 फीट से अधिक है। 

17 दिसंबर 2020 में एएमयू की स्थापना 

17 दिसंबर 2020 में एएमयू की स्थापना के सौ साल पूरे होन जा रहे हैं। इस ऐतिहासिक अवसर को इंतजामिया शताब्दी समारोह के रूप में मना रही है। यूनिविर्सटी में इसे लेकर कार्यक्रमों की श्रंखला चल रही है। सर सैयद अहमद खां ने 24 मई 1875 में सात छात्रों से मदरसा तुल उलूम के रूप में यूनिवर्सिटी की नींव रखी थी। 8 जनवरी 1877 को 74 एकड़ फौजी छावनी में मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल (एमएओ) कॉलेज स्थापित किया। एमएओ कॉलेज को एएमयू में अपग्रेड करने के लिए तब के शिक्षा सदस्य सर मोहम्मद शफी ने 27 अगस्त 1920 को इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल में बिल पेश किया। काउंसिल ने इसे 9 सितंबर को दोपहर 12:03 बजे पारित किया। गवर्नर जनरल की सहमति भी मिली। एक दिसंबर को अधिसूचना जारी की गई और विश्वविद्यालय अस्तित्व में आया। उसी दिन राजा महमूदाबाद पहले कुलपति नियुक्त किए गए। उद्घाटन 17 दिसंबर 1920 को स्ट्रेची हॉल में हुआ। 

अद्भुत है सेंटेनरी गेट 

शहर में अलीगढ़-मुरादाबाद मार्ग पर स्थित एएमयू के चुंगी गेट के स्थान पर इस गेट का निर्माण किया गया है। जो यूनिवर्सिटी का सबसे बड़ा गेट बनकर तैयार हुआ है। गेट की कुल ऊंचाई 57 फीट है। जबकि चौड़ाई 66 फीट । गेट को तीन भागों में बांटा गया है। 44 फीट चौड़ा मुख्य गेट है, जिस पर बड़ा फाटक लगाया है। इस गेट का इस्तेमाल बस, ट्रक आदि बड़े वाहनों के लिए किया जाएगा। गेट के दोनों साइड में 11-11 फुट के दो छोटे गेट और बनाए गए हैं। इनसे बाइक, कार छोटे वाहन गुजर सकते हैं। गेट के बराबर से ही मिंटो सर्किल स्कूल के लिए एक और गेट बनाया गया है। पूरा गेट आरसीसी का बनाया गया है। यूनिवर्सिटी इंजीनियरों के अनुसार गेट को भूकंप रोधी बनाया गया है। इसकी नींव सात फीट गहरी है। गेट की दोनों साइड में दीवारों पर राजस्थान का लाल पत्थर लगाया गया है। जो इसकी सुंदरता को और बढ़ा रहा है। इस गुट का लुक बाबे सैयद की तरह ही दिया गया है। दूसर लगता भी ऐसा ही है। लेकिन बाबे सैयद से यह आकार में बहुत बड़ा है। 

बाबे सैयद थी अभी तक पहचान 

एएमयू में यूं तो विक्टोरिया गेट सबसे एेतिहासिक है, लेकिन वर्ष 2000 में बने बाबे सैयद यूनिवर्सिटी की पहचान बन गया। 19 फरवरी 2000 को इस गेट का शुभारंभ उस समय के कुलपति डॉ. महमूद उर रहमान के कार्यकाल में जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला ने किया था। एक बड़े व दो छोटे गेट वाले इस गेट की पहचान ऐसी बनी कि छात्रों का हर आंदोलन इसी गेट के नीचे ही हुआ। छात्रों का जब भी इंतजामिया के खिलाफ गुस्सा फूटा उन्होंने इस गेट को जरूर बंद किया। एक-एक माह तक गेट बंद रहा। सीएए-एनआरएसी बिल के विरोध में पिछले साल15 दिसंबर को बवाल इसी गेट पर हुआ था। जिसमें पुलिस और छात्रो के बीच जमकर संघर्ष हुआ। गेट को तोड़कर छात्र बाहर आ गए थे। पुलिस को टीयर गैस व लाठी चार्ज तक का इस्तेमाल किया। जिसमें कई छात्र घायल हाे गए। 

छात्रों का नया धरना स्थल बनेगा सेंटेनरी गेट 

हाईकोर्ट के आदेशानुसार वीसी कार्यालय व आवास से सौ मीटर के दायरे में छात्र धरना प्रदर्शन नहीं कर सकते। इस दायरे में बाबे सैयद भी आ रहा है। इसे देखते हुए इंतजामिया ने धरना स्थल के लिए कैंपस में डक प्वाइंट को निर्धारित किया था लेकिन छात्र को यह रास नहीं आया। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी छात्रों ने बाबे सैयद पर ही कई बार धरना प्रदर्शन किया। सेंटेनरी गेट के बनने के बाद से अब माना जा रहा है कि छात्रों का नया धरना स्थल यही गेट बनेगा। अव्व्ल तो यह गेट बहुत खूबसूरत है। दूसरा यहां जगह भी पर्याप्त है। 

एएमयू की स्थापना के सौ साल पूरे के होने के उपलक्ष में गेट का निर्माण कराया गया है। जो काफी भव्य बना है। निर्माण पर करीब 90 लाख रुपए खर्च हुए हैं। सुरक्षा की दृष्टि से हर चीज का ध्यान रखा गया है। 

- अब्दुल हमीद, रजिस्ट्रार एएमयू

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