जयपुर की पोशाक, बनारस के पालना में झूलेंगे कान्हा,जन्माष्टमी की तैयारियां जोरों पर Aligarh News

श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की तैयारियां इन दिनों जोरों पर हैं। 11 व 12 अगस्त को इस बार कान्हा घर-घर जन्मेंगे।

By Sandeep SaxenaEdited By: Publish:Sat, 08 Aug 2020 02:31 PM (IST) Updated:Sat, 08 Aug 2020 02:31 PM (IST)
जयपुर की पोशाक, बनारस के पालना में झूलेंगे कान्हा,जन्माष्टमी की तैयारियां जोरों पर Aligarh News
जयपुर की पोशाक, बनारस के पालना में झूलेंगे कान्हा,जन्माष्टमी की तैयारियां जोरों पर Aligarh News

अलीगढ़ जेएनएन:श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की तैयारियां इन दिनों जोरों पर हैं। 11 व 12 अगस्त को इस बार कान्हा घर-घर जन्मेंगे। शनिवार व रविवार को लॉकडाउन रहेगा। इसके चलते शुक्रवार को बाजारों में महिलाएं रेलवे रोड, महावीरगंज बर्तन बाजार, नौरंगाबाद सहित अन्य बाजारों में खरीदारी करते हुए देखी गईं। राधा-कृष्ण की मूर्तियां, उनकी पोशाक, नई तकनीक के झूले, बिस्तर, आकर्षक म'छरदानी, बिस्तर, पंखा, एसी (खिलौना) भी कान्हा के  लिए पंसद किए। अब तक बाजार में बनारस के पीतल व स्टील के पालना मिलते थे। अबकी बार हाथरस व मथुरा में निर्मित पालनों की धूम है। मीरा वाष्र्णेय, नीलम ङ्क्षसह ने कहा कि वे हर साल जन्माष्टमी पर मंदिर में भव्य सजावट करती हैं। भगवान को नई पोशाक पहनाती हैं। पालकी सजाने के लिए सजावट का सामान खरीदा है। पूजन सामग्री से लेकर लड्डू गोपाल और कान्हा की जयपुरी पोशाक बाजार में छायी हुई हैं। झूला, मोर मुकुट, सिंघासन जैसी वस्तुओं की बिक्री में उछाल आया है।

जन्माष्टमी का दो दिन बन रहा योग
जासं, अलीगढ़ : वैदिक ज्योतिष संस्थान के अध्यक्ष स्वामी पूर्णानंदपुरी ने बताया कि इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का दो दिन योग बन रहा है। इस बार कृष्ण जन्म की तिथि और नक्षत्र एक साथ नहीं मिल रहे हैं। इसे लेकर श्रद्धालुओं में असमंजस है। इस साल जन्माष्टमी पर कृतिका नक्षत्र लग रहा है और सूर्य, कर्क और चंद्रमा मेष राशि में रहेगा। इस संयोग से वृद्धि योग भी बन रहा है। जन्माष्टमी को मनाने वाले दो अलग संप्रदाय के लोग होते हैं। इनमें स्मार्त और वैष्णव हैं। इनके विभिन्न मतों के कारण दो तिथियां बनती हैं। 11 अगस्त को सुबह 9:06 बजे अष्टमी तिथि का आरंभ होगा, जो 12 अगस्त को 11:16 बजे तक रहेगा। वहीं, रोहिणी नक्षत्र का आरंभ 13 अगस्त को सुबह 03:26 बजे से 05:21 बजे तक होगा। शास्त्रों के अनुसार गृहस्थों को उस दिन व्रत रखना चाहिए, जिस रात अष्टमी तिथि हो। पंचांग के अनुसार 11 अगस्त को गृहस्थ आश्रम के लोगों के लिए जन्माष्टमी पर्व मनाना सही रहेगा। साधु-संत व वैष्णव 12 अगस्त को व्रत रख सकते हैं। 

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