शादी, निकाह में लेनदेन की प्रथा खत्म कराएगा दहेज मुक्ति अभियान, समाज में जागरूकता लाने का प्रयास

शादी निकाह में लेनदेन (दहेज) की वर्षों पुरानी प्रथा को खत्म करने के लिए समाज के जागरुक लोग प्रयास कर रहे हैं। इन्हीं में कुछ ने दहेज मुक्ति अभियान नाम संस्था बनाकर इस बुराई को समाज से समाप्त करने का बीड़ा उठाया है।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 02:31 PM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 02:32 PM (IST)
शादी, निकाह में लेनदेन की प्रथा खत्म कराएगा दहेज मुक्ति अभियान, समाज में जागरूकता लाने का प्रयास
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि दहेज एक सामाजिक बुराई है।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। शादी, निकाह में लेनदेन (दहेज) की वर्षों पुरानी प्रथा को खत्म करने के लिए समाज के जागरुक लोग प्रयास कर रहे हैं। इन्हीं में कुछ ने दहेज मुक्ति अभियान नाम संस्था बनाकर इस बुराई को समाज से समाप्त करने का बीड़ा उठाया है। संस्था के संयोजक बाबा फरीद आजाद का कहना है कि लोगों की जागरुकता ही इस बुराई काे खत्म कर रही है। इसके लिए हर वर्ग के लोगों को प्रेरित किया जा रहा है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस बयान का स्वागत किया, जिसमें कहा है कि दहेज की प्रथा खत्म करने के लिए समाज के भीतर से ही बदलाव हो।

दहेज सामाजिक बुराई है इसे सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा

दहेज मुक्ति अभियान के संयोजक ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि दहेज एक सामाजिक बुराई है, लेकिन इसको लेकर समाज के भीतर ही बदलाव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि दहेज के कारण ही आज समाज में महिलाओं का जीवन स्तर आगे नहीं बढ़ पा रहा है। क्योंकि, दहेज के कारण माता-पिता बच्चियों की शिक्षा पर ध्यान नहीं देते। इसकी वजह से बच्चियों का आगे चलकर सामाजित जीवन नहीं सुधर पाता। वह घर तक ही सीमित रह जाती हैं। वास्तव में महिलाओं को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना है तो समाज के भीतर बदलाव होना चाहिए, तभी महिलाओं को आगे बढ़ाया जा सकता है। हमारे देश में दहेज प्रथा को रोकने के लिए बहुत कानून हैं, लेकिन सरकार राजनीतिक दबाव के कारण उनको कठोरता से लागू नहीं कर पाती। इसी वजह से समाज में यह बुराई पनप रही है।

समाज के भीतर बदलाव जरूरी 

दहेज को पूरी तरीके से रोकने के लिए समाज में जागरूकता और समाज के अंदर बदलाव लाना होगा। तब तक हम इस सामाजिक बुराई से समाज को मुक्ति नहीं दे सकते। उन्होंने समाज के सभी बुद्धिजीवी, धर्म गुरुओं और समाज के प्रत्येक नागरिक से अनुरोध किया कि वे दहेज जैसी बुराई को खत्म करने के लिए समाज के भीतर से ही बदलाव करें। सरकार को भी चाहिए कि दहेज लेने और देने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करे। कानूनों का पालन कराया जाए। दहेज के खिलाफ बने कानून को प्रभावी बनाने के लिए विधि आयोग को कड़े कदम उठाने चाहिए। तभी दहेज जैसी सामाजिक बुराई को हम खत्म कर सकते हैं। सरकार कानून तो बना सकती है, लेकिन बदलाव समाज के भीतर से ही होगा। संयोजक ने बताया कि संस्था द्वारा लोगों को इसके लिए प्रेरित किया जा रहा है। शादी-निकाह समारोह में जाकर वर-वधू पक्ष को समझाया जाता है। हम सब को आगे आकर इस पर विचार करना चाहिए, तभी दहेज मुक्त समाज की स्थापना की जा सकती है।

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