अपनी दौलत की इम्युनिटी बूस्ट कर रहे डाक्टर साहब Aligarh News
स्वास्थ्य विभाग में आपदा के समय कुछ डाक्टर पैरामेडिकल स्टाफ व अन्य कर्मचारी योद्धा की तरह डटे हुए हैं। कोविड वार्ड में ड्यूटी हो नान कोविड या फील्ड में बिना संकोच के हर दायित्व संभालने को तैयार। इन कोरोना योद्धाओं के बूते ही अदृश्य वायरस से जंग लड़ रहे हैं।
अलीगढ़, जेएनएन । कोरोना काल में मरीजों की इम्युनिटी बूस्ट करने पर जोर है। अफसोस, प्राइवेट कोविड सेंटरों व अन्य हास्पिटलों के कुछ संचालक मरीजों को भूलकर अपनी ही ‘इम्युनिटी बूस्ट’ करने में लगे हैं। इनकी समस्या शारीरिक नहीं, बल्कि लाखों-करोड़ों कमाने के बाद भी उन्हें अपनी जेब का वजन हमेशा हल्का ही लगता है। ऐसे में हास्पिटल पहुंचकर ‘डोज’ तैयार करने में जुट जाते हैं। आपदा इनके लिए अवसर बन गई है। जांच कराई जाए तो नामचीन हास्पिटलों में अनुमति से दुगने-तिगुने कोरोना के मरीज एडमिट मिल जाएंगे। मरीजों को डरा-डारकर संचालक अपनी जेब का वजन बढ़ा रहे हैं। हर मरीज को वेंटीलेटर व अन्य कथित उपचार की जरूरत बताकर खूब वसूली हो रही है। कार्रवाई के नाम पर अधिकारी भेदभाव करते रहे हैं। मुख्यमंत्री ने भी ऐसे डाक्टरों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। अब देखना ये है कि सरकारी तंत्र अपना दोेहरा रवैया छोड़ता है या नहीं।
इनकी भी बोल रही तूती
स्वास्थ्य विभाग में आपदा के समय कुछ डाक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ व अन्य कर्मचारी, योद्धा की तरह डटे हुए हैं। कोविड वार्ड में ड्यूटी हो नान कोविड, या फील्ड में, बिना संकोच के हर दायित्व संभालने को तैयार हैं। इन कोरोना योद्धाओं के बूते ही इस अदृश्य वायरस से जंग लड़ रहे हैं। दूसरी ओर विभाग में ऐसे भी कर्मचारी हैं, जो आपदा के समय अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं। अपने सियासी आकाओं की सिफारिश या अधिकारियों की चापलूसी कर ऐसे काम में ड्यूटी लगवा ली है, जहां करने के लिए कुछ है ही नहीं। सीएमओ दफ्तर में ही ऐसे तमाम कर्मचारी हैं। दिनभर काम करने वाले लोगों पर धौंस जमाना या अफसरों की चापलूसी ही इनका काम है। कई तो कोविड ड्यूटी के नाम पर घर पर आराम फरमा रहे हैं। वेतन नियमित रूप से खातों में पहुंच रही है। ऐसे नकारा लोगों की विभाग में खूब तूती बोल रही है।
स्वास्थ्य विभाग का फर्जी कंट्रोल रूम
कलक्ट्रेट में कोविड कमांड सेंटर की स्थापना की गई है। कोई भी व्यक्ति हेल्पलाइन नंबरों पर काल करके कोरोना से संबंधित मदद ले सकता है। एक कंट्रोल रूम स्वास्थ्य विभाग ने भी बनाया है। इसमें तीन महिला कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है। हैरानी की बात ये है? कि यह कंट्रोल कहां चल रहा है? कैसे चल रहा है? कैसे काम हो रहा है? किसी को पता नहीं। और तो और कंट्रोल रूम का नंबर तक नहीं। सवाल ये है? कि कंट्रोल रूम और उसमें नियुक्त कर्मचारी कहां गए। जिन्हें हर माह समय से वेतन भी जारी हो रहा है। अफसरों से कोई सवाल पूछता है? तो बगलें झांकने लगते हैं या लोगों को गुमराह करते हैं। जिस कक्ष में कंट्रोल बताया जाता है, वहां हमेशा ताला लटका मिलता है। सूत्रोें की मानें तो एक विभागीय अधिकारी ने चहेते कर्मियों को आराम देने के लिए ही फर्जी कंट्रोल रूम बनवा दिया है।
सरकार नहीं, आप हराएंगे
यह सप्ताह काफी सुकून से गुजरा है। न बेड की ज्यादा मारामारी रही हो न ही आक्सीजन की, पर ये सब केवल सरकारी बंदोबस्त या फिर प्रशासनिक प्रबंधन से संभव नहीं हुआ है। बल्कि, अब कोविड के मामले कम होने लगे हैं। रोजाना स्वस्थ होने वाले मरीजों की संख्या संक्रमितों से अधिक निकल हो रही है। इससे सक्रिय मरीजों की संख्या निरंतर कम हो रही है। इसकी वजह लाकडाउन व कोविड प्रोटोकाल को लेकर सख्ती को माना जा सकता है। वहीं, डर से ही सही, तमाम लोग मास्क का इस्तेमाल, हाथों की सफाई व आवश्यक शारीरिक दूरी के नियम का पालन कर रहे हैं। इसलिए कोरोना का खात्मे के लिए सरकार के भरोसे नहीं रहना है। आमजन को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। अफवाह फैलाने वालों से सावधान रहना है। जब तक कोरोना पूरी तरह खत्म न हो जाए, तब तक सतर्कता बरतनी है। इससे एक दिन कोरोना को जरूर हरा पाएंगे।