World Rabies Day : रेबीज से मौत निश्चित, वैक्सीन ही इलाज

एक बार रेबीज हो गया तो फिर इलाज संभव नहीं है। वैक्सीनेशन को ही बचाव व इलाज माना जाता है। पालतू व अन्य जानवरों का वैक्सीनेशन नहीं हो पाता है इसलिए हर साल हजारों लोगों को जानवरों के काटने पर वैक्सीन लगवानी पड़ती है।

By Sandeep SaxenaEdited By: Publish:Mon, 28 Sep 2020 12:46 PM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 03:48 PM (IST)
World Rabies Day : रेबीज से मौत निश्चित, वैक्सीन ही इलाज
लुइस पाश्चर की पुण्यतिथि है, जिनकी स्मृति में हर साल 'वल्र्ड रेबीज डे' मनाया जाता है।

अलीगढ़ जेएनएन : रेबीज घातक व जानलेवा बीमारी है, जो कुत्ते, बिल्ली, लोमड़ी, बंदर ही नहीं, बल्कि उनके काटने से मनुष्यों को भी हो सकती है। एक बार रेबीज हो गया तो फिर इलाज संभव नहीं है। वैक्सीनेशन को ही बचाव व इलाज माना जाता है। पालतू व अन्य जानवरों का वैक्सीनेशन नहीं हो पाता है, इसलिए हर साल हजारों लोगों को जानवरों के काटने पर वैक्सीन लगवानी पड़ती है। सोमवार को एंटी रेबीज वैक्सीन बनाने वाले लुइस पाश्चर की पुण्यतिथि है, जिनकी स्मृति में हर साल 'वल्र्ड रेबीज डे' मनाया जाता है।

सुरेंद्र नगर स्थित वेटेरिनरी क्लीनिक एंड सर्जिकल सेंटर के संचालक डॉ. राम विराम बताते हैं कि रेबीज केवल स्तनधारियों को प्रभावित करता है, जो कुत्तों में सर्वाधिक मिलता है। संक्रमण के लक्षण दो सप्ताह से चार माह के बीच कभी हो दिखाई दे जाते हैं। एक बार संक्रमण हो गया तो जानवर या उसके काटने से संक्रमित व्यक्ति का बचना संभव नहीं होता। यदि कुत्ते का वैक्सीनेशन हो चुका है खतरा नहीं रहता।

 कुत्तों में रेबीज के लक्षण

- मांसपेशियों में अकडऩ। चलना- फिरना कम कर देना व भोजन न खाना।

- कुत्तों में सुस्ती व व्यवहार में बदलाव। व्यवहार में आक्रामकता।

- मुंह से झाग, जबड़े में अकडऩ,तेज बुखार। निगलने में कठिनाई से अत्यधिक मात्रा में लार।

- चलने में कठिनाई या शरीर का तालमेल न बना पाना।

- उलझन में रहना, किसी जानवर या इंसान को देखकर प्रतिक्रिया न देना।

- जानवर लकवाग्रस्त स्थिति में पहुंच जाता है और मौत हो जाती है।

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10 साल में चबा गए करोड़ों का बजट

जिला व दीनदयाल अस्पताल में हर साल 40-50 लाख रुपये की एंटी रेबीज वैक्सीन की खपत है। सीएमओ के अधीन सीएचसी-पीएचसी पर भी 10 लाख तक की वैक्सीन लग जाती हैं। 10 साल में ही सात-आठ करोड़ रुपये वैक्सीन पर खर्च हो चुके हैैं। इसके 10 फीसद बजट में तमाम घरेलू व आवारा कुत्तों का वैक्सीन हो जाता। रोजाना नए-पुराने 400 से अधिक मरीजों को वैक्सीन की जरूरत होती है।

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