बेटियां छू रहीं हैं आसमान, बस उन्हें मौका दीजिए : गीतू Aligarh news
समाजसेवी गीतू हरकुट सेवा के क्षेत्र में तो आगे काम कर रही हैं। कविताओं के माध्यम से भी वह नारी के दर्द को उभार रही हैं। उनकी कविताएं स्त्रियों की दशा और दुर्दशा पर हैं। हालांकि वह नारी शक्ति को भी जगाती हैं।
जेएनएन, अलीगढ़ : समाजसेवी गीतू हरकुट सेवा के क्षेत्र में तो आगे काम कर रही हैं। कविताओं के माध्यम से भी वह नारी के दर्द को उभार रही हैं। उनकी कविताएं स्त्रियों की दशा और दुर्दशा पर हैं। हालांकि, वह नारी शक्ति को भी जगाती हैं। कई ऐसी कविताएं हैं, जिसमें उन्होंने नारी को देवी दुर्गा और झांसी की रानी लक्ष्मी बाई जैसी शक्ति और साहस की देवी भी बताया है।
महिलाओं को जागरूक करती रहती हैं
ब्रह्मनपुरी निवासी गीतू हरकुट गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए वह मदद करती रहती हैं। गभर्वती महिलाएं और कुपोषण पर भी महिलाओं को जागरूक करती रहती हैं। इसी बीच जब वह महिलाओं के बीच पहुंची तो उन्हें तमाम समस्याएं दिखाई दीं, जिन्हें उन्होंने कविता के माध्यम से समाज के सामने लाना शुरू किया। गीतू हरकुट कहती हैं कि बेटियों को देवी की तरह पूजा जाता है। नवरात्र में तो उन्हें बहुत आदर और सत्कार के साथ घर में बुलाया जाता है। देवी का स्वरुप माना जाता है, मगर जब घर में बेटी होती है तो सन्नाटा पसर जाता है। बेटी और बेटों में भेदभाव बंद करना होगा। तभी समाज में समानता आएगी। आज भी बेटियों को कुछ लोग कमतर आंकते हैं। जबकि बेटियां आसमान छूं रही हैं, बस उन्हें मौका मिलना चाहिए। बालिका दिवस की पूर्व संध्या पर बिटिया पर बेहतरी कविता लिखी है...
मैं वो शक्ति हूं, जो हर घर में पूजी जाती हूं
हां मैं नारी हूं, नारी कही जाती हूं।।
बिटिया नाम माना कि बहुत प्यारा है ।
किसी को भी हरगिज ना ये गवारा है ।।
सच, वो हर मंजर भी उदास हो जाता ।
हां पहली बार जब मैं घर में लायी जाती हूं।।
हा...
एक सवाल सदा ही जेहन में रहता है।
ख्याल बेटियों का किसको कहां रहता है ।।
सवरता दिखता है बेटों से बुढ़ापा उनको ।
मैं तो बचपन से ही पराई कहीं जाती हूं।।
हां...