Third wave of Corona : कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों पर संकट, बाल रोग विशेषज्ञों की कमी Aligarh News
जनपद बच्चों के सरकारी डाक्टर तो सिर्फ पांच ही हैं। जबकि तीसरी लहर में बच्चों को ही सबसे ज्यादा खतरा है। अब निजी चिकित्सकों की मदद लेनी पड़ेगी या फिर आउटसोर्सिंग के जरिए डाक्टरों की नियुक्त करनी पड़ेगी। शासन को भी हालात से अवगत कराया गया है।
अलीगढ़, जेएनएन। कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान जोर पकड़ रहा है। अस्पतालों में बेड, आक्सीजन, वेंटीलेटर व आइसीयू की सुविधा में भी सुधार जारी है। लेकिन, संक्रमण बढ़ने पर कोविड केयर सेंटरों व पीडियाट्रिक आइसीयू में मरीजों के इलाज में दिक्कत आ सकती है। दरअसल, जनपद में बाल रोग विशेषज्ञ ही नहीं, अन्य डाक्टरों की भी भारी कमी है। हालात ये हैं कि अस्पतालों में स्वीकृत पदों से आधे भी डाक्टर नहीं। स्टाफ नर्स, वार्ड ब्वाय, वार्ड आया व अन्य कर्मचारियों की भी यही स्थिति है। जनपद बच्चों के सरकारी डाक्टर तो सिर्फ पांच ही हैं। जबकि, तीसरी लहर में बच्चों को ही सबसे ज्यादा खतरा है। अब निजी चिकित्सकों की मदद लेनी पड़ेगी या फिर आउटसोर्सिंग के जरिए डाक्टरों की नियुक्त करनी पड़ेगी। शासन को भी हालात से अवगत कराया गया है।
ये है सूरतेहाल
सीएमओ के अधीन 16 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 34 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 18 अर्बन पीएचसी व एक ट्रामा सेंटर संचालित है। इनमें कुल 214 डाक्टरों के पद स्वीकृत हैं, जिसके सापेक्ष नियुक्ति केवल 71 डाक्टरों की है। इसमें भी 14 डाक्टर पीजी करने अथवा अन्य कारणों से अनुपस्थित चल रहे हैं। इस तरह मात्र 57 ही स्थाई डाक्टर हैं। इसमें भी सीएमअो, एसीएमअो व डिप्टी सीएमओ स्तर के चिकित्साधिकारी शामिल हैं। फिलहाल, तीन-चार बाल रोग विशेषज्ञ कार्यरत हैं। हालांकि, विभिन्न कार्यक्रमों के अंतर्गत नियुक्त 30 आयुष चिकित्सक व 11 दंत रोग विशेषज्ञ भी हैं। इस तरह सीएमओ समेत करीब 100 डाक्टर हैं। यदि जिला अस्पताल की बात करें तो यहां 27 पदों के सापेक्ष 14 ही डाक्टर हैं। मात्र एक बाल रोग विशेषज्ञ है। महिला अस्पताल में 14 के सापेक्ष पांच डाक्टर हैं। एक बाल रोग विशेषज्ञ यहां भी नियुक्त है। दीनदयाल अस्पताल में भी यही स्थिति है। इस तरह जनपद में लगभग 100 ही सरकारी डाक्टर (संविदा के भी शामिल) हैं।
40 लाख की आबादी, डाक्टर कम
जिले की आबादी करीब 40 लाख है, जबकि सरकारी डाक्टरों की संख्या करीब 100 ही है। इस तरह चार हजार मरीजों पर एक डाक्टर की ड्यूटी है। मेडिकल कालेज व निजी डाक्टरों के जरिए, किसी तरह लोगों को चिकित्सीय सुविधा मिल पा रही है।
पहली भी झेली परेशानी
दूसरी लहर के दौरान कोविड केयर सेंटरों में मरीजों ने डाक्टरों की काफी किल्लत झेली। एक डाक्टर पर कई-कई वार्ड की जिम्मेदारी आ गई। दरअसल, 14 दिन की ड्यूटी के बाद हर डाक्टर की नान कोविड ड्यूटी लगती है। शासन को आनन-फानन डाक्टरों की नियुक्ति करनी पड़ी। लखनऊ से सीधे डाक्टर भेजने पड़े। काफी डाक्टरों ने जोखिम के चलते ज्वाइन ही नहीं किया। स्थानीय स्तर पर आउटसोर्सिंग व वाक इन इंटरव्यू के लिए कई बार विज्ञप्ति निकाली गई, लेकिन डाक्टर नहीं आए। यही नहीं, पहले से कार्यरत काफी डाक्टर तो ड्यूटी लगते ही गायब हो गए। ऐसे में किसी तरह आयुष चिकित्सक व दंत रोग विशेषज्ञों तक को कोविड वार्ड में लगाना पड़ा। आइसीयू विशेषज्ञ भी नहीं मिल पाए। तीसरी लहर में कोविड मरीजों (खासतौर से बच्चों) के इलाज में डाक्टरों की कमी की चिंता अफसरों को भी है। लिहाजा, पहले से ही निदेशालय व शासन को पत्र भेज दिया है।
तीसरी लहर के मद्देनजर मरीजों के लिए सभी व्यवस्थाएं की जा रही है। डाक्टरों की कमी सभी जगह पर है। फिर भी हम प्रयास करेंगे। निदेशालय व शासन को पत्र भेज दिया है। अनुमति मिली तो वाक एंड इंटरव्यू से बाल रोग व अन्य विशेषज्ञों की नियुक्ति की जाएगी।
- डा. आनंद उपाध्याय, सीएमओ।