Corruption in investigation of Coronavirus : अलीगढ़ में Coronavirus की आरटीपीसीआर जांच पर भ्रष्टाचार की ‘आंच’, जानिए विस्‍तार से

कोरोना काल में सर्वाधिक आरटीपीसीआर जांच का रिकार्ड बनाकर पं. दीनदयाल उपाध्याय संयुक्त चिकित्सालय के अधिकारियों ने खूब वाह-वाही लूटी लेकिन इसकी आड़ में लाखों का घोटाला भी किया। डीएम ने जांच कराई तो सारी परतें खुल गईं।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 07:06 AM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 07:06 AM (IST)
Corruption in investigation of Coronavirus : अलीगढ़ में Coronavirus की आरटीपीसीआर जांच पर भ्रष्टाचार की ‘आंच’, जानिए विस्‍तार से
कोरोना काल में पं. दीनदयाल उपाध्याय संयुक्त चिकित्सालय के अधिकारियों ने खूब वाह-वाही लूटी

अलीगढ़, विनोद भारती। कोरोना काल में सर्वाधिक आरटीपीसीआर जांच का रिकार्ड बनाकर पं. दीनदयाल उपाध्याय संयुक्त चिकित्सालय के अधिकारियों ने खूब वाह-वाही लूटी, लेकिन इसकी आड़ में लाखों का घोटाला भी किया। यहां लैब के लिए 1.20 करोड़ रुपये का सामान बिना टेंडर के लिए खरीदा गया, वह भी बाजार दर से कई गुना अधिक कीमत पर। डीएम ने जांच कराई तो सारी परतें खुल गईं। लखनऊ से आई विशेष टीम भी आडिट करके जा चुकी है। तत्कालीन सीएमएस डा. एबी सिंह, एसएमओ स्टोर डा. पी कुमार व चीफ फार्मासिस्ट एसके सिंघल कटघरे में हैं।

यह भी जानें

पिछले साल कोविड-19 जांच के लिए दीनदयाल अस्पताल में आरटीपीसीआर लैब स्थापित की गई। यहां जुलाई 2020 से मई 2021 तक लाखों आरपीपीसीआर जांच हुईं। इस अवधि में 1.20 करोड़ रुपये का निजी फर्म से कंज्यूमेबिल्स (सहायक सामग्री) खरीदा गया। एक करोड़ रुपये का भुगतान भी कर दिया। इसमें 80 लाख रुपये का भुगतान राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत जारी धनराशि से किया गया। एक लाख से अधिक की सामग्री टेंडर या जेम पोर्टल से ही खरीदने का प्राविधान है, लेकिन प्रबंधन ने एक ही कोटेशन पर बार-बार सामान खरीदा, जिसकी सीमा एक लाख रुपये ही है। यूपीएनएचएम की वेबसाइट्स पर डिस्ट्रिक्ट आडिट कमेटी के जो मिनट डाले गए हैं, उसमें पूरे मामले से पर्दा उठाया गया है।

ऐसे सामने आया घोटाला

तत्कालीन सीएमएस डा. एबी सिंह ने अवशेष भुगतान की फाइल जिला स्वास्थ्य समिति को भेजी तो कोटेशन से 1.20 करोड़ का सामान खरीदने की बात पता चली।

तत्कालीन डीएम चंद्रभूषण सिंह ने सीडीओ अंकित खंडेलवाल व दीनदयाल अस्पताल के वर्तमान सीएमएस डा. शिव कुमार उपाध्याय की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की। वित्त एवं लेखाधिकारी मनोज कुमार सिंह व सीएचसी जवां के चिकित्सा अधीक्षक डा. अंकित कुमार को भी इसमें रखा।

रिपोर्ट में घोटाले का पर्दाफाश

समिति ने जांचोपरांत डीएम को रिपोर्ट सौंपी। इसमें बिना टेंडर या बिड के एक लाख से अधिक का क्रय वित्तीय अनियमितता माना। पाया कि लैब के कंज्यूमेबिल्स की सबसे बड़ी मद फिल्टर बैरियर टिप्स की है, जिसके लिए 80 लाख का भुगतान हुआ। जून 2020 से जून 2021 तक जेएन मेडिकल कालेज ने यह प्रति टिप्स आठ रुपये से भी कम खर्च किए, वहीं दीनदयाल अस्पताल में 17 रुपये की एक टिप्स खरीदी गई। मई 2021 में सीएमओ ने सात रुपये से कम में यह टिप्स खरीदकर लैब को दी। समिति ने शासकीय धन की क्षति की आशंका जताई है।

रिपोर्ट पर सीएमओ ने भी लगाई मुहर

सीएमओ ने 15 जुलाई 2021 को जिला आडिट समिति की बैठक में यह रिपोर्ट डीएम के समक्ष रखी। उन्होंने खुद रिपोर्ट मुहर लगाई। प्रस्ताव दिया कि प्रक्रिया के दौरान आहरण वितरण अधिकारी व प्रथम हस्ताक्षरकर्ता का दायित्व निभा रहे तत्कालीन सीएमएस डा. एबी सिंह, एसएमएस स्टोर डा. पी कुमार व चीफ फार्मासिस्ट एसके सिंघल से सक्षम स्तर से स्पष्टीकरण प्राप्त करते हुए दायित्व निर्धारण किया जाए। डा. एबी सिंह, जो एटा जिला अस्पताल में वरिष्ठ परामर्शदाता हैं, वे लेवल-चार के चिकित्साधिकारी हैं, उनका स्पष्टीकरण मंडल स्तर के अधिकारी के माध्यम से प्राप्त किया जाए। डीएम ने आरोपित अफसरों से स्पष्टीकरण प्राप्त करने के निर्देश दिए। इस खरीदसे शासकीय धन की वास्तविक क्षति की जांच विशेष आडिट समिति से कराने की संस्तुति की। ताकि, अग्रिम कार्रवाई की जा सके।

लखनऊ से आई टीम आडिट करके ले गई है। क्रय से संबंधित सभी दस्तावेज उपलब्ध करा दिए गए हैं, ताकि क्षति का आंकलन हो सके। अब लैब के लिए सामान टेंडर से ही खरीदा जाएगा।

- डा. शिव कुमार उपाध्याय, सीएमएस व अध्यक्ष जांच समिति।

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