संसाधनों का पूरी क्षमता के साथ प्रयोग करने में मात खा गया निगम, जानिए वजह Aligarh News
शहर में सफाई व्यवस्था पर नगर निगम हर साल करोड़ाें रुपये फूंकता है बावजूद इसके समस्याएं बनी रहती हैं। सड़कों पर जगह-जगह लगे कूड़े के ढेर गंदगी से अटे नाले-नालियां देखकर नहीं लगता कि शहरवासियों को इससे निजात दिलाने के लिए निगम कुछ कर रहा है।
अलीगढ़, जेएनएन। शहर में सफाई व्यवस्था पर नगर निगम हर साल करोड़ाें रुपये फूंकता है, बावजूद इसके समस्याएं बनी रहती हैं। सड़कों पर जगह-जगह लगे कूड़े के ढेर, गंदगी से अटे नाले-नालियां देखकर नहीं लगता कि शहरवासियों को इससे निजात दिलाने के लिए निगम कुछ कर रहा है। फिर हर साल दो से तीन करोड़ का बजट कहां ठिकाने लगाया जा रहा है? दरअसल, निगम ने संसाधन तो खूब जुटा लिए, लेकिन इनका उपयाेग नहीं कर पा रहा। इनके रखरखाव में ही हर साल लाखाें रुपये खर्चा हो रहा है। यही नहीं, डीजल भी बेवजह फूंका जा रहा है। जिन वाहनों की आवश्यकता नहीं है, उन्हें भी दौड़ाया जाता है।
सब स्टेशन में धूल फांक रहे नगर निगम के उपकरण
नगर निगम में संसाधनों की कमी नहीं है, पिछले चार साल में तो और बढ़ गए हैं। डोर टू डोर कूड़ा उठाने के लिए खरीदे गए 107 अाटो टिपर का चालीस फीसद की संचालन हो पा रहा है। बन्नादेवी क्षेत्र के सारसौल में दो करोड़ की लागत से बना वेस्ट ट्रांसफर सब स्टेशन भी अभी उद्देश्य की पूर्ति नहीं कर पा रहा। लाखों की कीमत के कूड़ेदान नगर निगम के वर्कशाप और सब स्टेशन में धूल फांक रहे हैं। इसके अलावा एक हजार हथगाड़ी, 750 रिक्शे व अन्य उपकरण भी खरीदे, मगर सफाई व्यवस्था कोई बदलाव नहीं आया। डोर टू डोर के अलावा कूड़ा कलेक्शन प्वाइंट से भी समय पर कूड़ा नहीं उठ पा रहा। नाले-नालियों की सफाई की बात करें तो हर वर्ष इस मद में 70 से 80 लाख रुपये खर्च होने का दावा किया जाता है। सच्चाई तो तब सामने आती है, जब मानसून में गंदगी से अटे नालों की वजह से जलभराव होता है।
इन पर किया खर्च
नगर निगम ने दो साल के दौरान चार करोड़ रुपये में 107 आटो टिपर खरीदे। 2.25 करोड़ रुपये में कांपैक्टर मशीन मंगाई, 1.80 करोड़ में स्टील के कूड़ेदान अौर 75 लाख रुपये में हथगाड़ी खरीदी गईं। एमआरएफ सेंटरों पर 3.30 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। यही नहीं, 750 रुपये प्रति मीट्रिक टन कूड़ा उठान का नगर निगम एटूजेड कंपनी को भुगतान करता है। इन सब साधन, संसाधनों के बाद भी सफाई व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो पा रही। नालों से निकली सिल्ट वाहनों से ले जाने की व्यवस्था है, इसके बाद भी सड़कों पर सिल्ट निकाली जा रही है। जीवनगढ़ में दो दिन से सड़क पर पड़ी सिल्ट इसी अव्यवस्था का नतीजा है।