System negligence: कोरोना मानकर कर दिया अंतिम संस्कार, बाद में रिपोर्ट आई निगेटिव Aligarh news

कोरोना काल में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के चलते एक पत्नी अंतिम समय में अपने पति का चेहरा तक नहीं देख पाई। अस्पताल ने पति को बिना जांच के ही कोरोना संक्रमित घोषित कर दिया। किसी को छूने तक की इजाजत नहीं दी और अंतिम संस्कार करा दिया गया।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 06:16 AM (IST) Updated:Sun, 18 Apr 2021 06:52 AM (IST)
System negligence: कोरोना मानकर कर दिया अंतिम संस्कार, बाद में रिपोर्ट आई निगेटिव Aligarh news
बिना जांच के कोरोना घोषित कर किया गया अंतिम संस्‍कार।

अलीगढ़, जेएनएन । कोरोना काल में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के चलते एक पत्नी अंतिम समय में अपने पति का चेहरा तक नहीं देख पाई। अस्पताल ने पति को बिना जांच के ही कोरोना संक्रमित घोषित कर दिया। किसी को छूने तक की इजाजत नहीं दी और अंतिम संस्कार करा दिया गया। बाद में पता चला कि मृतक की जांच रिपोर्ट निगेटिव थी। यह वाकया दीनदयाल अस्पताल में हुआ है। पत्नी ने अब अधिवक्ता के माध्यम से कोर्ट में सीएमएस व कर्मचारियों के खिलाफ वाद दायर कर दिया है। 

चिकित्सक व कर्मचारियों के खिलाफ वाद दायर

अधिवक्ता नरेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि देहलीगेट थाना क्षेत्र के नगला मेहताब की रहने वाली रचना की ओर से वाद दायर किया गया है। इसमें कहा है रचना के पति 40 वर्षीय जितेंद्र कुमार नगर निगम में संविदा पर सफाईकर्मी थे। पांच अप्रैल 2021 को जितेंद्र को बेचैनी महसूस हुई तो मोहल्ले के पप्पू व जगमोहन की मदद से उन्हें रात 11 बजे दीनदयाल अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां डाक्टरों ने जांच के बिना जितेंद्र को कोरोनाग्रस्त घोषित कर दिया। साथ आए तीमारदारों को लौटा दिया। कुछ देर बाद ही पत्नी रचना को फोन पर सूचना दी गई कि जितेंद्र की मौत हो गई है। जबकि पति इतने बीमार नहीं थे। बातचीत कर रहे थे। सामान्य रूप से खाना भी खाकर गए थे। जब पत्नी व स्वजन अस्पताल पहुंचे तो जितेंद्र के शव को किट में बंद करके स्ट्रेचर पर दूर रख दिया गया। आरोप है कि पति के पेट के एक तरफ खून लगा हुआ था। किट भीगी हुई थी। पति का मुंह तक नहीं देखने दिया। छह अप्रैल को जितेंद्र के शव को एंबुलेंस में आइटीआइ रोड स्थित श्मशानगृह ले जाया गया। एंबुलेंस में सिर्फ चालक मौजूद था। सिर्फ चार-पांच रिश्तेदारों को श्मशान में जाने की इजाजत दी। सभी को किट पहनाई गई। इसके बाद आनन-फानन अंतिम संस्कार कर दिया गया। बाद में पता चला कि पति कोरोना से पीड़ित नहीं थे। रचना का आरोप है कि पति को कोरोनाग्रस्त दिखाकर उनके अंगों को गैरकानूनी ढंग से निकाल लिया गया है। इसमें चिकित्सकों व कर्मचारियों की मिलीभगत है। अधिवक्ता नरेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि सीजेएम कोर्ट में पंडित दीनदयाल उपाध्याय संयुक्त चिकित्सालय के मुख्य चिकित्साधिकारी व आन ड्यूटी चिकित्सक व कर्मचारियों के खिलाफ वाद दायर कर दिया है। इस पर 30 अप्रैल को सुनवाई होगी।  

ताकि अपनों को देख सकें स्वजन   

अधिवक्ता नरेंद्र कुमार शर्मा ने कहा है कि कोरोना काल में हर काम वर्चुअल तरीके से हो रहा है। ऐसे में कोरोना संक्रमित मरीजों के स्वजन के लिए भी शासन को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि वह अपने मरीज को वर्चुअल तरीके से देख सकें। इससे किसी भी तरह की गड़बड़ी की आशंका नहीं रहेगी।

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